For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए

(बलोचिस्तान के ताज़ा हालात पर )

2212 1 21 12 212 12
कुछ मुद्दतो के बाद सही फैसले हुए ।
निकले तमाम हाथ तिरंगे लिए हुए ।।

मत पूछिए गुनाह किसी के हिजाब का ।
देखा कसूरवार के शिकवे गिले हुए ।।

हालात पराये है किसी के दयार में ।
है वक्त बेहिसाब बड़े हौसले हुए ।।

तकसीम कर रहा था हमारा मकान जो।
शायद उसी के घर में कई जलजले हुए ।।

पत्थर न फेंकिए है शहीदों का कारवां ।
कैसे हिमाकतों से लगे सिलसिले हुए ।।

कातिल तेरा कलाम मुकम्मल कहां रहा ।
नाकामियों के नाम तेरे पैतरे हुए ।।

तुझको तेरी जुबान में देना जबाब था ।
तेरी अदावतों से खड़े फ़लसफ़े हुए ।।

हिन्दोस्ताँ का अम्न मिटाने की हसरतें ।
हो कर गयीं हैं दफ़्न यहां मकबरे हुए ।।

बूढा फ़कीर तान के सीना खड़ा मिला ।
टूटा तेरा वजूद बहुत फासले हुए ।।

-- नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक एवम् अप्रकाशित ।

Views: 491

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:28pm
आ0 आशीष सिंह ठाकुर अकेला जी सादर आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:27pm
आ0 सुरेश कुमार कल्याण जी आभार ।
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:26pm
आ0 बृजेश जी आभार
Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on September 1, 2016 at 12:29pm
बहुत ही सुन्दर रचना आदरणीय नवीन मणि त्रिपाठी जी , बधाई स्वीकार करें ।
Comment by आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' on August 31, 2016 at 3:32pm

बहुत खूब त्रिपाठी जी !!!

Comment by Naveen Mani Tripathi on August 29, 2016 at 9:19am
आ0 कबीर सर आपकी सलाह अत्यंत महत्वपूर्ण है । ग़ज़ल तक आने के लिए तहे दिल से शुक्रिया सर ।
Comment by Samar kabeer on August 28, 2016 at 2:56pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
तीसरे शैर का ऊला मिसरा यूँ तो बह्र में है लेकिन इसे इस तरह कर लें तो रवानी में आ जायेगा:-
"हालात हैं पराये किसी के दयार में"
Comment by Naveen Mani Tripathi on August 27, 2016 at 5:49pm
आ0 बृजेश जी सादर आभार ।
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on August 27, 2016 at 1:53pm

क्या कहने क्या कहने बहुत ही शानदार ग़ज़ल हार्दिक बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
55 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
56 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
57 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
58 minutes ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
1 hour ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी, बहुत धन्यवाद"
3 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम जी सादर नमस्कार। हौसला बढ़ाने हेतु आपका बहुत बहुत शुक्रियः"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service