For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - लिखता मिला मज़ार पे अरमान आदमी

2212 121 1221 212
खोने लगा यकीन है अनजान आदमी ।
जब से बना है मौत का सामान आदमी ।।

बाज़ार सज रहे हैं नए जिस्म को लिए ।
बनकर बिका है मुल्क में दूकान आदमी ।।

ठहरो मियां हराम न खैरात हो कहीं ।
माना कहाँ है वक्त पे एहसान आदमी ।।

दरिया में डालता है वो नेकी का हौसला ।
देखा खुदा के नाम परेशान आदमी ।।

मजहब तो शर्मशार तेरी हरकतों पे है ।
कुछ मजहबी इमाम भी शैतान आदमी ।।

मतलब परस्तियों का जरा देखिये सितम ।

बेचा है मोल भाव पे ईमान आदमी ।।

दौलत से आरजू का फ़कत वास्ता यही ।
लिपटा कफ़न के दाम में शमशान आदमी ।।

शातिर लिखा गया है उसी आम सख़्श को ।
जिसको कहा गया था है नादान आदमी ।।

शायद मुगालतों में जिए जा रहा है वो ।
लिखता मिला मजार पे अरमान आदमी ।।


-नवीन मणि त्रिपाठी
मौलिक अप्रकाशित

Views: 471

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 1, 2016 at 10:08pm

आदरणीय नवीन भाई , अच्छी गज़ल कही है दिल से बधाइयाँ स्वीकार करें ,आदरणीय समर भाई जी की बातों का खयाल कीजियेगा।

Comment by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:18pm
आदरणीय रामबली गुप्ता जी सादर आभार
Comment by Naveen Mani Tripathi on September 1, 2016 at 9:17pm
आदरणीय कबीर सर विशेष आभार ।
Comment by रामबली गुप्ता on September 1, 2016 at 6:28pm
वाकई शेर दर शेर बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। आद0 समर भाई जी से सहमत हूँ।
Comment by Samar kabeer on August 31, 2016 at 6:02pm
जनाब नवीन मणि त्रिपाठी जी आदाब,बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
पांचवें शैर के ऊला मिसरे में'शर्मशार' को "शर्मसार"कर लें ।
इसी तरह आठवें शैर के ऊला मिसरे में 'सख्श'को "शख़्स" कर लें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Samar kabeer commented on गिरिराज भंडारी's blog post एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]
"जनाब गिरिराज भंडारी जी आदाब, काफ़ी समय बाद मंच पर आपकी ग़ज़ल पढ़कर अच्छा लगा । ग़ज़ल का प्रयास अच्छा है,…"
7 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"बच्चों का ये जोश, सँभालो हे बजरंगी भीत चढ़े सब साथ, बात माने ना संगी तोड़ रहे सब आम, पहन कपड़े…"
7 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166 in the group चित्र से काव्य तक
"रोला छंद ++++++   आँगन में है पेड़, मौसमी आम फले…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . .तकदीर
"आदरणीय अच्छे सार्थक दोहे हुए हैं , हार्दिक बधाई  आख़िरी दोहे की मात्रा फिर से गिन लीजिये …"
23 hours ago
सालिक गणवीर shared Admin's page on Facebook
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी's blog post was featured

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

एक धरती जो सदा से जल रही है [ गज़ल ]

एक धरती जो सदा से जल रही है   ********************************२१२२    २१२२     २१२२ एक इच्छा मन के…See More
Tuesday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . .तकदीर

दोहा सप्तक. . . . . तकदीर   होती है हर हाथ में, किस्मत भरी लकीर । उसकी रहमत के बिना, कब बदले तकदीर…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 166

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ छियासठवाँ आयोजन है।.…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय  चेतन प्रकाश भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आदरणीय बड़े भाई  आपका हार्दिक आभार "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-173
"आभार आपका  आदरणीय  सुशील भाई "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service