For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला'
  • Male
  • Raipur, Chhattisgarh
  • India
Share on Facebook MySpace

आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला''s Friends

  • Samar kabeer
  • डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव
  • गिरिराज भंडारी
  • मिथिलेश वामनकर
 

आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला''s Page

Profile Information

Gender
Male
City State
रायपुर (छ. ग.)
Native Place
रायपुर

आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला''s Blog

ग़ज़ल:हसरतें बाँध लें बेडियाँ करके । (आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला' )

212  212  212   22

ज़िन्दगी को मिरे रायगाँ करके,    

चल दिये रंज को मेहमाँ करके,.

बाँह के इस क़फ़स से उड़े, अब क्या?

हसरतें बाँध लें बेडियाँ करके,

बेबसी आदमी की कहाँ ठहरे,

 रास्ते पर रहे आशियाँ करके,

पैर के धूल पर वक़्त मेहरबाँ,

धूल उड़ने लगे आँधियाँ करके,

लज़्ज़तें कुछ नहीं, दर्द ओ आंसू,

ये मिले फासले दरमियाँ करके,

वक़्त यूँ ही गुज़रता रहा…

Continue

Posted on October 2, 2016 at 1:00pm — 4 Comments

नज़्म : अदाकार (आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला')

किसी को हँसाये,किसी  को रुलाये,
कोई परेशां है,कोई हंसे कोई बिलखे,
कोई चुप- तो कोई चीखे,
उम्र के अलग अलग पड़ावों में,
अभिनय मिले नये-नये किरदारों में,
ज़िन्दगी तू मक़बूल अदाकार है,
कि क्या खूब अदायगी है तेरी...
सब कुछ बिल्कुल मौलिक लगे ।
और उस भगवान् का निर्देशन तो देखो !
कि हम जग के लोगों को सांसारिक लगे ।


आशीष सिंह ठाकुर 'अकेला'
मौलिक एवं अप्रकाशित

Posted on September 23, 2016 at 3:00pm

ग़ज़ल: इक नज़र देखा मुझे तो प्यार मुझसे कर गया,

2122. 2122. 2122. 212



इक नज़र देखा मुझे तो प्यार मुझसे कर गया,

देखकर सारे ज़माने की अदावत फिर गया,



टूटते हैं बेसबब जिस भी तरह पत्त्ती यहाँ,

वो नज़र से ख़ुद किसी के बेवजह ही गिर गया,



दर्द लेकर प्यार का ज़ख़्मी बना आशिक़ नया,

बन शराबी लड़खड़ाते उस तरफ़ से घर गया,



जानकर उसकी ख़ताओं की वजह,अहसास से,

आँख भरता हो दुखी का दिल मिरा बस भर गया,



लोग कहते थे उसे है साहसी कितना बड़ा,

प्यार के अंजाम के पहले निडर भी डर गया ।…



Continue

Posted on September 16, 2016 at 11:00pm — 10 Comments

एक नज़्म: सूनापन

सूनापन



एक ख़ला है, ख़ामोशी है,

जिधर देखो उदासी है,

समय सिफ़र हो गया,

आंसू निडर हो गए,

घेरे हैं लोग,पर कोई साथ नहीं,

सर पर किसी का हाथ नहीं,

शाम खाली गिलास सा,

टेबल पर औंधे मुंह पड़ा है,

मन में चिंता दीमक की तरह,

मन को खाये जा रही  है,

दिल की गली ऐसी सूनी है,

मानो दंगे के बाद कर्फ़्यू लगा हो,

शरीर सूखे पेड़ की तरह खड़ा तो है पर,

पीसा के मीनार सा, झुक सा गया है,

कब तक और कहाँ तक

इस सूनेपन, इस अकेलेपन का

बोझ…

Continue

Posted on September 1, 2016 at 6:30pm — 8 Comments

Comment Wall (2 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 9:22pm on October 7, 2016, डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव said…

मित्र आपका ह्रदय से स्वागत है , सादर  .

At 4:59pm on August 30, 2016,
सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर
said…

आपका अभिनन्दन है.

ग़ज़ल सीखने एवं जानकारी के लिए

 ग़ज़ल की कक्षा 

 ग़ज़ल की बातें 

 

भारतीय छंद विधान से सम्बंधित जानकारी  यहाँ उपलब्ध है

|

|

|

|

|

|

|

|

आप अपनी मौलिक व अप्रकाशित रचनाएँ यहाँ पोस्ट (क्लिक करें) कर सकते है.

और अधिक जानकारी के लिए कृपया नियम अवश्य देखें.

ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतुयहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

 

ओबीओ पर प्रतिमाह आयोजित होने वाले लाइव महोत्सवछंदोत्सवतरही मुशायरा व  लघुकथा गोष्ठी में आप सहभागिता निभाएंगे तो हमें ख़ुशी होगी. इस सन्देश को पढने के लिए आपका धन्यवाद.

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
3 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
3 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
6 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
8 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
9 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
10 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
10 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service