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नेताजी – ( लघुकथा )

 नेताजी – ( लघुकथा ) 

 "दादीजी, आज सारे गॉव की गलियों में सफ़ाई और पानी का छिड्काव हो रहा है!पंचायत घर में भी लाउड्स्पीकर बज रहा है!लोग वहां फ़ूलों की मालायें लिये खडे हैं!कोई नेताजी आ रहे हैं क्या"!

"हां मेरी बच्ची, भविष्य के नेताजी आ रहे हैं"!

“भविष्य के नेताजी, दादीजी, मैं कुछ समझी नहीं"!

"प्रधान जी का बेटा आरहा है शहर से,इस बार वही प्रधानी का चुनाव लडेगा, इसलिये इतना प्रचार किया जा रहा है"!

"यह तो अच्छी बात है,नया खून आगे आयेगा तो विकास तेज़ होगा"!

"हॉ बिटिया, तुम तो शहर में रहती हो तुम्हें क्या पता , वह अनपढ कैसा विकास करेगा"!

" अनपढ ,तो  फ़िर वह शहर में क्या करने गया था"!

"शहर में वह जेल में था,पांच साल की सज़ा काट कर आरहा है"!

"किस ज़ुर्म में"!

"बलात्कार और हत्या"!

“ओह माई गॉड , "दादीजी, ऐसे लोगों का कोई विरोध नहीं करता"!

"बिटिया,  विरोध किया था, उसी का तो बलात्कार और खून हुआ था"!

"ठीक है दादीजी, तो इस बार विरोध मैं करूंगी"!

 मौलिक व अप्रकाशित

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Comment by TEJ VEER SINGH on January 15, 2016 at 8:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय फ़ूल सिंह जी!

Comment by PHOOL SINGH on January 15, 2016 at 10:09am

बहुत ही सुन्दर, आप बहुत बहुत बधाई

Comment by TEJ VEER SINGH on January 14, 2016 at 12:43pm

हार्दिक आभार आदरणीय अर्चना त्रिपाठी जी!

Comment by Archana Tripathi on January 13, 2016 at 2:55pm
वाह नेताजी की दबंगई को अबशयद जवाब मिलजाय ।
Comment by TEJ VEER SINGH on January 13, 2016 at 8:43am

हार्दिक आभार आदरणीय महर्षि त्रिपाठी जी !

Comment by maharshi tripathi on January 12, 2016 at 8:08pm
आजकल नेता वही बनता है जिसके नाम अधिक अपराध दर्ज होते हैं,
इस लघुकथा पर बधाई प्रेषित है,सादर !!!
Comment by TEJ VEER SINGH on January 12, 2016 at 7:30pm

हार्दिक आभार आदरणीय प्रतिभा पांडे जी!

Comment by pratibha pande on January 12, 2016 at 7:07pm

हमारी राजनीति का ऐसा विद्रूप चेहरा जिसके बारे में सोच कर नफरत होती है , इस चेहरे को बेनकाब करती सशक्त कथा ,बधाई स्वीकार करें आदरणीय तेज वीर जी  

Comment by TEJ VEER SINGH on January 12, 2016 at 10:04am

हार्दिक आभार आदरणीय राहिला जी!

Comment by TEJ VEER SINGH on January 12, 2016 at 10:04am

हार्दिक आभार आदरणीय प्रदीप कुमार जी!

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