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अंत में चकित कर देने वाली इस लघुकथा के सृजन हेतु कृपया सादर बधाई स्वीकार करें, आदरणीया डॉ. गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी सर|
अच्छा संकल्प । बधाई आ. डॉ गोपाल जी।
बहुत बढ़िया रचना , जब माँगना ही है तो अपने सपने को क्यों न पूरा किया जाए । इस रचना में आये कल खंड दोष को आप पहला भाग फ़्लैश बैक में लिखकर संभवतः दूर कर सकते हैं । बहुत बहुत बधाई आपको
गोपाल जी,अर्थ भरपूर रचना के लिए बधाई हो
आदरणीय गोपाल नारायनजी, आपकी प्रस्तुति की गहनता के प्रति मैं नत-मस्तक हूँ. करारा तमाचा के साथ प्रज्ञा डॉ. लोलुप को अपने संकल्प का भान कराती है. काश ऐसे ही कठोर कदम स्त्रियाँ उठायें तो कई विडम्बनाएँ स्वतः समाप्त हो जायें.
परन्तु, यह लघुकथा इस पंक्ति के साथ ही बदल गयी -- छह महीने बाद प्रज्ञा ने पति को उद्घाटन पर आने का निमंत्रण दिया
आदरणीय, आप यदि लघुकथा गोष्ठी के सभी अंकों में बने रहते तो संभवतः नौवें अंक में आकर इस दोष के प्रति इतनी असहजता न बनी होती. यह दोष लघुकथा को लघुकथा होने से ख़ारिज़ करता है.
आपकी सहभागिता केलिए हार्दिक धन्यवाद व बधाइयाँ
आदरणीय गोपाल जी, कालखंड या कालदोष के बारे में सुधिजन कह चुकें है आशा है कि भविष्य में आप इन बातों का ध्यान रखेंगे। सादर शुभकामनाएं
'प्रण '
'किताबों की दुकान पर ये पौधों का क्या काम है बाबा 'चकित होकर अमन दुकानदार से पूछ बैठा ।
"ये पौधे उपहार स्वरूप देने के लिये रखें है,बिल्कुल मुफ़्त है।"
"पर समय कहाँ है यहाँ किसी के पास पौधे लगाकर देखभाल करने का "
"समय नही है तो क्या तुम अपने बच्चे को छोड़ सकते हो" बाबा ने कहा
अमन निरूत्तर हो गया।
"ये ज़िंदगी की सच्चाई है जो मुश्किल से ही समझ आती है सब यही छूट जाता है। मैंने संकल्प किया है, बच्चों को शुद्ध पर्यावरण देना चाहता हूँ, यही मेंरा परम प्रण है। जिसे आज की पीढ़ी जागरूक हो समझे I पौधे ही तो पर्यावरण के पुरोधा है,ये ही पृथ्वी को प्रदूषण से मुक्त कराकर शुद्ध आबोहवा मुहैया करायेंगे। जिससे सब स्वस्थ्य रहेंगे, व रोगमुक्त रहेंगे।पर्यावरण बचाने का
अन्य कोई विकल्प नहीं है। मैं अपना यही संकल्प साकार करने के लिये प्रतिबद्ध हूँ।"
"मुझे एक पौंधादीजिये बाबा, कल माँ का जन्मदिन है" शतप्रतिशत बाबा की बातों से सहमत हो अमन दुकान के बाहर लिखी पंक्तियों का आशय भलीभाँति समझ गया ।
'जन्मदिन,सालगिरह को यादगार बनाये कम से कम एक पौधा ज़रूर लगायें'।
नीता कसार
मौलिक व अप्रकाशित
पर्यावरण के सरंक्षण हेतु लिया गया संकल्प काबिलेतारीफ है।बढ़िया रचना आद नीता जी.
अच्छी बालकथा है आ० नीता कसार जी I
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