For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जन्माष्टमी पर विशेष   

 

                                                   मनमोहन  माधव मधुसूदन I

वात्सल्य रसामृत से जिनके ब्रज का आप्यायित है जीवन I

 

  वे    ग्वाल-बाल  वे   गोपीजन

             वे   कुंज  लताओं  के  वितान I

 वह हरी-भरी मृदु भूमि मृदुल

             वह मंद पवन मधुमय विहान I

 

जिसकी   पावन    स्मृति  से    ही    अंतस    में    होता   स्पंदन I

                                                     मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 

 शत-शत गायों के झुण्ड प्रबल

             यमुना सरि की वह धार प्रखर I

 गूंजती    हवा     में    मधु ताने

              मुरली के मोहन मादक स्वर I

 

खुलता है  धीरे  से  अब  भी  मानस   का    व्याकुल वातायन I

                                                    मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 

ब्रज की होली वह मधुर फाग

                वह मधुवादन वह मधुर राग I

लीलाधर का   आह्लाद   प्रबल

                वे सानुराग !        वे वीतराग !

 

रूपायित करता है समग्र यह प्रिय भारत का जन-गण-मन I

                                                   मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 

अभिसार    चांदनी    की छाया

                 लोकोत्तर     राधा    की     क्रीड़ा I

वह रास रहस्य अजान अमर

                  वह मौन ह्रदय की मधु पीड़ा I

हे कृष्ण !  नहीं   है वर्चनीय   यह  मेरा    आकुल    अवचेतन I

                                                  मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 

 

 माता   यशुदा    के   गौरव क्षण

                 प्रभु का वपु आकर्षक नीला I

मथुरा-नरेश    के     छल   प्रपंच  

                 नारायण  की   नर सी लीला  I

अद्भुत चरित्र   अविरल गाथा अनुपम है    सारा कृष्णायन I

                                                 मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 

 

इतिहास मुखर उर में अंकित

                 मानस     में  घिरती    है रेखा I

कल्पना जगत में कवि निमग्न

                 चाक्षुष किसने वह क्षण देखा I

 

वह महापुरुष ! वह महाभाव !  शब्दों का अर्पित अभिनन्दन I

                                                     मनमोहन  माधव मधुसूदन !

 

(मौलिक व अप्रकाशित)

 

Views: 916

Replies to This Discussion

कृष्ण की परिचयात्मकता और उनके व्यक्तित्व विस्तार को अत्यंत सक्षम तथा आत्मीय शब्द मिले हैं जिनके कारण यह भावाभिव्यक्ति उच्च स्तर की बन गयी है, आदरणीय गोपाल नारायनजी.
आपकी प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई तथा जन्माष्टमी की अनेकानेक शुभकामनाएँ.

आदरणीय सौरभ जी

आपकी अनुशंसा  का आभारी हूँ i  सादर i

बहुत ही सुन्दर , उत्कृष्ट , मनभावन ,दर्शन से ओतप्रोत रचना .
अभिसार चांदनी की छाया
लोकोत्तर राधा की क्रीड़ा I
वह रास रहस्य अजान अमर
वह मौन ह्रदय की मधु पीड़ा I
हे कृष्ण ! नहीं है वर्चनीय यह मेरा आकुल अवचेतन I
मनमोहन माधव मधुसूदन I
एक अमर -कृति तुल्य , बहुत बहुत बधाई आदरणीय डॉ o गोपाल नरायन जी ,
सादर .

आदरणीय विजय जी

सहमती हेतु धन्यवाद 

शत-शत गायों के झुण्ड प्रबल

             यमुना सरि की वह धार प्रखर I

 गूंजती    हवा     में    मधु ताने

              मुरली के मोहन मादक स्वर I

 

खुलता है  धीरे  से  अब  भी  मानस   का    व्याकुल वातायन I

                                                    मनमोहन  माधव मधुसूदन I

 वाह्ह कितनी सुन्दरता से आपने श्री कृष्ण की लीलाओं का स्मरण कराया है ,भक्ति भाव से औत प्रोत इस सुन्दर गीत के लिए हार्दिक बधाई 

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
8 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
8 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय उस्मानी जी।"
9 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी,आपका आभार।"
9 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"  ऑनलाइन शॉपिंग ने खरीदारी के मापदंड ही बदल दिये हैं।जरूरत से बहुत अधिक संचय की होड़ लगी…"
11 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय मनन सिंह जी जितना मैं समझ पाई.रचना का मूल भाव है. देश के दो मुख्य दलों द्वारा बापू के नाम को…"
11 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"जुतयाई (लघुकथा): "..और भाई बहुत दिनों बाद दिखे यहां? क्या हालचाल है़ंं अब?""तू तो…"
13 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service