For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२२     २१२२  

 

 

लाज़ गहना बेचकर आई 

नार जब यारो नगर आई

 

 

ख्वाब में जब तू नज़र आई

कमरे में खुश्बू बिखर आई

 

बेवफा का जिक्र आया गर

आँखे तुझ पर घूमकर आई

 

 

इश्क़ ने जब हाथ थामा तो

हुश्न की सूरत निखर आई

 

 

खत किताबों में पड़ा पाया तो

याद तेरी रहगुजर आई

 

 

जिक्र हो जब भी कभी उसका

यूँ लगे गोया  सहर आई

 

 

ख्वाब आये आँख में बरबस

जब जवानी की उमर आई

 

 

दिल दहल सा उठता है माँ का

सरहदों से जब खबर आई

 

 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 387

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 18, 2014 at 5:20pm

waah laxman dhami ji  khoob achha laga ,,,,,,,,,,,, sir aapse baat ho sakti hai ,,,,,,,,,,, fon no,........... gar aap chahen...

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 16, 2014 at 11:45am

लाज़ गहना बेचकर आई
नार जब यारो नगर आई.......... क्या कहने गुमनाम भाई
इश्क़ ने जब हाथ थामा तो
हुश्न की सूरत निखर आई...........बहुत खूब  
जिक्र हो जब भी कभी उसका
यूँ लगे गोया  सहर आई..........बहुत ही लाजवाब शेर
ख्वाब आये आँख में बरबस
जब जवानी की उमर आई..........कटु सत्य
दिल दहल सा उठता है माँ का
सरहदों से जब खबर आई  .... एक यादगार  शेर
आ0 गुमनाम भाई इस छोटी बहर की बेहतरीन गजल के लिए हार्दिक बधाई ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2014 at 9:08pm

आदरणीय गुमनाम भाई , बहुत लाजवाब ग़ज़ल खी है , बधाइयाँ स्वीकार करें ॥

इश्क़ ने जब हाथ थामा तो

हुश्न की सूरत निखर आई

दिल दहल सा उठता है माँ का

सरहदों से जब खबर आई ----- बहुत खूब भाई ॥

खत किताबों में पड़ा पाया तो ------- ये मिसरा बेबह्र हो रहा है ॥

Comment by gumnaam pithoragarhi on July 14, 2014 at 3:46pm

dhanywaad dosto,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 14, 2014 at 3:04pm

गुम्नाम्  जी

बेहतरीन i  आख़िरी शेर ने तो जान ही निकाल ली i

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 14, 2014 at 9:49am

इश्क़ ने जब हाथ थामा तो

हुश्न की सूरत निखर आई............वाह! बहुत सुंदर, दिली बधाई आपको आदरणीय गुमनाम जी


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on July 14, 2014 at 7:52am

आदरणीय गुमनाम जी बहुत बढ़िया बेहतरीन ग़ज़ल है बहुत बहुत बधाई आपको

Comment by Dr. Vijai Shanker on July 14, 2014 at 2:29am
इश्क़ ने जब हाथ थामा तो
हुश्न की सूरत निखर आई
बहुत अच्छा , बधाई .

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम. . . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। रोटी पर अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मजदूर
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आदाब।‌ हार्दिक धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' साहिब। आपकी उपस्थिति और…"
7 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं , हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया छंद
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रेरणादायी छंद हुआ है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on मिथिलेश वामनकर's blog post कहूं तो केवल कहूं मैं इतना: मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"आ. भाई शेख सहजाद जी, सादर अभिवादन।सुंदर और प्रेरणादायक कथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
9 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to योगराज प्रभाकर's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-110 (विषयमुक्त)
"अहसास (लघुकथा): कन्नू अपनी छोटी बहन कनिका के साथ बालकनी में रखे एक गमले में चल रही गतिविधियों को…"
yesterday
pratibha pande replied to मिथिलेश वामनकर's discussion ओबीओ मासिक साहित्यिक संगोष्ठी सम्पन्न: 25 मई-2024
"सफल आयोजन की हार्दिक बधाई ओबीओ भोपाल की टीम को। "
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"आदरणीय श्याम जी, हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर।"
Thursday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service