For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुशियाँ और गम, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार के संग...

ओपन बुक्स ऑनलाइन के सभी सदस्यों को प्रणाम, बहुत दिनों से मेरे मन मे एक विचार आ रहा था कि एक ऐसा फोरम भी होना चाहिये जिसमे हम लोग अपने सदस्यों की ख़ुशी और गम को नजदीक से महसूस कर सके, इसी बात को ध्यान मे रखकर यह फोरम प्रारंभ किया जा रहा है, जिसमे सदस्य गण एक दूसरे के सुख और दुःख की बातो को यहाँ लिख सकते है और एक दूसरे के सुख दुःख मे शामिल हो सकते है |

धन्यवाद सहित
आप सब का अपना
ADMIN
OBO

Views: 74271

Reply to This

Replies to This Discussion

मंच के एक सक्रिय सदस्य का यूँ छोड़कर चला जाना कितना दुखद है |  अलबेला जी हमारी यादों में जीवित रहेंगे | प्रभु दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे |

विनम्र श्रद्धांजलि ! :(

बहुत ही दुखद समाचार! अभी तक विश्वास नहीं हो पा रहा!

उन्हें मेरा नमन!

ओह्ह ! अत्यंत दुखद ! हमेशा सबको हँसाने वाला कवि आज रुला रहा है ! ईश्वर उन्हें उनकी आत्मा को शांति दे उनके परिजनों को साहस !

ओऽऽऽह.. .  !! ..

कौतुक करना और अपनी प्रस्तुति शैली से हठात चौंका देना मानो उनका दिलबहलाऊ शगल था. आखीर तक बना रहा. 

अधिक दिन भी नहीं बीते आदरणीय अलबेलाजी से मेरी चैटिंग हुई थीं.

ओबीओ के आयोजनों में इधर शिरकत नहीं कर रहे थे. मेरे आत्मीय ’उलाहने’ पर उन्होंने अपने चिरपरिचित अंदाज़ में कहा था - बस देखते जाइये आदरणीय, आपकी शान में हाज़िर होता हूँ. थोड़ा फ़्री होलूँ.

आज एकदम से फ़्री हो गये आदरणीय अलबेलाजी.

बहुत कुछ करने का हौसला लिए अचानक गुम गये. वो भी इस तरह !!

बहुत याद आओगे, यार.. ज़िन्दग़ी भर...  अभी थोड़ा रो लेने दो.. ...

मेरे हाथ लिखते हुए काँपने लगे हैं, एक परिजन का यूँ चले जाना अत्यंत दुखदायक है। ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिवार के सदस्यों को इस अपार दुःख को सहन करने की शक्ति दें। 

ओह्ह्ह्हह हे प्रभु ....वही हुआ जिसका कई दिनों से डर लग रहा था.आज का दिन ही खराब है ,दिन भी नहीं निकला था अपने एक नजदीकी रिश्तेदार (जो ३५ वर्ष के थे )की मृत्यु का समाचार मिला और अब दिन के डूबने से पहले ये मनहूस खबर.अभी कुछ दिन पहले ही मुझसे चैट हुई थी अलबेला जी की बात करते ही हमेशा मुझे थैंक्स कहते थे ओबीओ से उनको जोड़ने के लिए| भगवान् उनकी आत्मा को शांति दे दुखी दिल से विनम्र श्रधांजली दे रही हूँ इससे अधिक कुछ कहने की हिम्मत नहीं|    

आदरणीय अलबेला जी, एक ऐसा व्यक्तित्व जो हमेशा एक नया अंदाज लिए होता था. कई बार उनसे चैटिंग पर ऐसा लगता मानो सम्मुख ही हों, तरह-तरह की स्मायली देना ,हमेशा मिलने का वायदा किया करते थे. जो सिर्फ अब यादें बनकर रह गई है ईश्वर उनके परिवार को इस दुःख की घडी में सामर्थ्य प्रदान करे

अत्यंत ही दुखद समाचार है. भावभीनी श्रद्धांजलि...................

ओह!

यह क्या कैसे हुआ आदरणीय.

बड़ा दुखद समाचार है...ईश्वर उनकी आत्मा को शांति और उनके परिवार को दुःख झेलने की शक्ति दें।

मन इस बात को स्वीकारने को हामी नहीं भरना चाहता। हमारे परिवार के सदस्य श्री अलबेला जी का अवसान, सहसा विश्वास नहीं हो पा रहा ..... ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति प्रदान करे
ईश्वर उनके परिवार को यह महान दुःख सहन करने की क्षमता दे,
ॐ शांति शांति शांति

अकथनीय पीड़ादायक समाचार सुन कर निशब्द हूँ। भगवान अलबेला जी की आत्मा को शांति दें और

उनके परिवार को शक्ति दें।

अश्रुपूरित श्रद्धांजलि बहुत ही दुखद

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
yesterday
Sushil Sarna posted a blog post

कुंडलिया. . . . .

कुंडलिया. . .चमकी चाँदी  केश  में, कहे उम्र  का खेल । स्याह केश  लौटें  नहीं, खूब   लगाओ  तेल ।…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . . . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सादर प्रणाम - सर सृजन के भावों को आत्मीय मान से अलंकृत करने का दिल से आभार…"
Saturday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post भादों की बारिश
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, आपकी लघुकविता का मामला समझ में नहीं आ रहा. आपकी पिछ्ली रचना पर भी मैंने…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service