For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-121

परम आत्मीय स्वजन,

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 121वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है| इस बार का मिसरा -ए-तरह जनाब  शकील बदायूंनी साहब की ग़ज़ल से लिया गया है|

"दिन तो होता है मगर रात नहीं होती है "

2122     1122 1122     22

फाइलातुन          फइलातुन      फइलातुन      फेलुन/फइलुन

(बह्र:  रमल मुसम्मन मख्बून मक्तुअ )

रदीफ़ :- नहीं होती है।
काफिया :- आत ( बात, रात, मुलाक़ात, बरसात, मात, ज़ात, करामात, खुराफ़ात  आदि)

मुशायरे की अवधि केवल दो दिन है | मुशायरे की शुरुआत दिनाकं 24  जुलाई दिन शुक्रवार  को हो जाएगी और दिनांक 25 जुलाई  दिन शनिवार समाप्त होते ही मुशायरे का समापन कर दिया जायेगा.

 

नियम एवं शर्तें:-

  • "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" में प्रति सदस्य अधिकतम एक ग़ज़ल ही प्रस्तुत की जा सकेगी |
  • एक ग़ज़ल में कम से कम 5 और ज्यादा से ज्यादा 11 अशआर ही होने चाहिए |
  • तरही मिसरा मतले को छोड़कर पूरी ग़ज़ल में कहीं न कहीं अवश्य इस्तेमाल करें | बिना तरही मिसरे वाली ग़ज़ल को स्थान नहीं दिया जायेगा |
  • शायरों से निवेदन है कि अपनी ग़ज़ल अच्छी तरह से देवनागरी के फ़ण्ट में टाइप कर लेफ्ट एलाइन, काले रंग एवं नॉन बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें | इमेज या ग़ज़ल का स्कैन रूप स्वीकार्य नहीं है |
  • ग़ज़ल पोस्ट करते समय कोई भूमिका न लिखें, सीधे ग़ज़ल पोस्ट करें, अंत में अपना नाम, पता, फोन नंबर, दिनांक अथवा किसी भी प्रकार के सिम्बल आदि भी न लगाएं | ग़ज़ल के अंत में मंच के नियमानुसार केवल "मौलिक व अप्रकाशित" लिखें |
  • वे साथी जो ग़ज़ल विधा के जानकार नहीं, अपनी रचना वरिष्ठ साथी की इस्लाह लेकर ही प्रस्तुत करें
  • नियम विरूद्ध, अस्तरीय ग़ज़लें और बेबहर मिसरों वाले शेर बिना किसी सूचना से हटाये जा सकते हैं जिस पर कोई आपत्ति स्वीकार्य नहीं होगी |
  • ग़ज़ल केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, किसी सदस्य की ग़ज़ल किसी अन्य सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी ।

विशेष अनुरोध:-

सदस्यों से विशेष अनुरोध है कि ग़ज़लों में बार बार संशोधन की गुजारिश न करें | ग़ज़ल को पोस्ट करते समय अच्छी तरह से पढ़कर टंकण की त्रुटियां अवश्य दूर कर लें | मुशायरे के दौरान होने वाली चर्चा में आये सुझावों को एक जगह नोट करते रहें और संकलन आ जाने पर किसी भी समय संशोधन का अनुरोध प्रस्तुत करें | 

मुशायरे के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है....

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 24 जुलाई  दिन शुक्रवार लगते ही खोल दिया जायेगा, यदि आप अभी तक ओपन
बुक्स ऑनलाइन परिवार से नहीं जुड़ सके है तो www.openbooksonline.comपर जाकर प्रथम बार sign upकर लें.


मंच संचालक
राणा प्रताप सिंह 
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 13675

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion

आद0 बहन राजेश कुमारी जी सादर अभिवादन।अच्छे अशआर के साथ उम्दा ग़ज़ल कही आपने। शैर दर शैर बधाई निवेदित करता हूँ।

सुरेंद्र नाथ भैया आपका तहे दिल से शुक्रिया।

वाह ...बहूत खूबी आदरणीया ! करामात और खुराफ़ात बहुवचन हैं तो ये क़ाफ़िए रदीफ़ 'है़ ' के लिए मुनासिब नहीं .

आद.अनिल जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया।

आपकी शंका के समाधान हेतु ये शेर देखिये

ख़िर्क़ा मिंदील ओ रिदा मस्त लिए जाते हैं

शैख़ की सारी करामात चली जाती है

मीर तकी मीर

 दिल से किस तरह हटे साया-ए-वहशत की अभी

इन निगाहों की करामात चली जाती है
सज़्ज़ाद बाक़र रिज़वी

धन्यवाद महोदया . क्या करामात और ख़ुराफ़ात दोनों वचनों में मान्य हैं !

आदरणीय अनिल कुमार सिंह साहिब, मेरी जानकारी के मुताबिक़ दोनों मान्य हैं। वैसे तो 'करामत' का बहुवचन है 'करामात' और 'ख़ुराफ़त' का बहुवचन है 'ख़ुराफ़ात', लेकिन बहुत से शोअ'रा ने 'करामात' और 'ख़ुराफ़ात' को एकवचन में भी इस्तेमाल किया है। तहक़ीक़ के दौरान मुझे ये अशआर मिले जिनमें 'करामात' को एकवचन में इस्तेमाल किया गया है:

ख़ुर्शीद सा प्याला-ए-मय बे-तलब दिया
पीर-ए-मुग़ाँ से रात करामात हो गई
(मीर तक़ी मीर)

अहल-ए-वतन से दूर जुदाई में यार की
सब्र आ गया 'फ़िराक़' करामात हो गई
(फ़िराक़ गोरखपुरी)

सूफ़ी का ख़ुदा और था शायर का ख़ुदा और
तुम साथ रहे हो तो करामात रही है
(मुस्तफ़ा ज़ैदी)

ज़ाहिद को ज़िंदगी ही में कौसर चखा दिया
रिंदों से आज ये भी करामात हो गई
(अख़्तर शीरानी)

मुंक़लिब सूरत-ए-हालात भी हो जाती है
दिन भले हों तो करामात भी हो जाती है
(अब्दुल हमीद अदम)

आदरणीय रवि भाई उम्दा  जानकारी शेयर करने का शुक्रिया ।

और ये कुछ अशआर हैं जिनमें 'ख़ुराफ़ात' को एकवचन में इस्तेमाल किया गया है:

कहने लगा वो हाल मिरा सुन के रात को
सब क़िस्से जा चुके ये ख़ुराफ़ात रह गई
(मीर असर)

मिल गए जब वही शिकवे वही क़िस्से 'असअद'
ये ख़ुराफ़ात ख़ुराफ़ात से आगे न बढ़ी
(असअ'द बदायुनी)

मैं ने कहा मिज़ाह में इक बात भी तो है
बोले कि इस के साथ ख़ुराफ़ात भी तो है
(दिलावर फ़िगार)

साँप ही साँप थे कहानी में
इक ख़ुराफ़ात थी गुज़र ही गई
(नीलमा नाहीद दुर्रानी)

बाक़ी उस्ताद-ए-मुहतरम की टिप्पणी का इन्तेज़ार रहेगा, क्यूँकि वे जो बताएँगे वो तो शत प्रतिशत सहीह होगा।

जी करामात और खुराफ़ात दोनों ही एक वचन की तरह प्रयोग हुए हैं जैसे भीड़ को ।भीड़ ख़ुद में बहुवचन है अर्थात लोगों का समूह उसी तरह करामात और खुराफ़ात को लिया गया है।जो मेरे हिसाब से भी सहीह है मेरा तो यही मानना है मोहतरम।

जनाब अनिल कुमार सिंह जी आदाब, करामात करामत का तथा ख़ुराफ़ात ख़ुराफ़त का बहुवचन है लेकिन उर्दू ज़बान में करामात बतौर मुफ़रद यानि वाहिद (एक वचन) के रूप में इस्तेमाल होता है, जबकि मैं ख़ुराफ़ात के बारे में ये बात पक्के तौर पर नहीं कह सकता। इस पर जनाब समर कबीर साहिब की क़ीमती राय का इंतज़ार है। सादर। 

जनाब अनिल जी, "करामात" शब्द के बारे में तो लुग़त में साफ़ इशारा है कि इसे एक वचन में भी ले सकते हैं,लेकिन "ख़ुराफ़ात" के बारे में ऐसा कोई इशारा देखने में नहीं आया ।

जनाब रवि भसीन जी ने इस पर जो अशआर मिसाल में पेश किए हैं वो इसी तरह हैं जैसे "पतंग" शब्द हिन्दी उर्दू दोनों  में पुल्लिंग बताया गया है,लेकिन हमें एक भी शैर इसकी मिसाल में नहीं मिलता,सभी शो'अरा ने इसे स्त्रीलिंग में ही लिया है, इसलिए मजबूरी है ।

जी शुक्रिया मोहतरम

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Vikas is now a member of Open Books Online
10 hours ago
Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय । विलम्ब के लिए क्षमा "
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"जय हो, बेहतरीन ग़ज़ल कहने के लिए सादर बधाई आदरणीय मिथिलेश जी। "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"ओबीओ के मंच से सम्बद्ध सभी सदस्यों को दीपोत्सव की हार्दिक बधाइयाँ  छंदोत्सव के अंक 172 में…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ जी सादर प्रणाम, जी ! समय के साथ त्यौहारों के मनाने का तरीका बदलता गया है. प्रस्तुत सरसी…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह ..  प्रत्येक बंद सोद्देश्य .. आदरणीय लक्ष्मण भाईजी, आपकी रचना के बंद सामाजिकता के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक भाई साहब, आपकी दूसरी प्रस्तुति पहली से अधिक जमीनी, अधिक व्यावहारिक है. पर्वो-त्यौहारों…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी  हार्दिक धन्यवाद आभार आपका। आपकी सार्थक टिप्पणी से हमारा उत्साहवर्धन …"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी छंद पर उपस्तिथि उत्साहवर्धन और मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार। दीपोत्सव की…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय  अखिलेश कॄष्ण भाई, आयोजन में आपकी भागीदारी का धन्यवाद  हर बरस हर नगर में होता,…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी छन्द पर उपस्तिथि और सराहना के लिए हार्दिक आभार आपका। दीपोत्सव की हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service