For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लोग इससे ज्यादा
क्या करेंगे ...छीन लेंगे हॅसी
रोक लगा देंगे कहकहों पर,और
घोंट देंगें दम..
मुस्कुराहटों का।
लोग ,लगा देंगे प्रतिबंध
गति,लय और लोच पर।
कामनाओ के छतनार वृक्ष की
हर ड़ाली काट-छाॅट कर;बना देंगे बोनसाई, और
रोंप देंगे,
गमलों में ।
छीन लेंगे कलम,या फिर, काट देंगे अंगुलियां ।
क्रिया के पश्चात प्रतिक्रिया, एक
शाश्वत सत्य है; समय का पहिया
कभी तो घूमेगा प्रतिकूल, और
लौटाएगा मिट्टी को,उसकी सारी ऊव॔रा, फिर
अंखुआएगी, मानस की कोख ...जिसके सहारे
मैं सहलाऊॅगी अतीत का हर घाव,
और,देखेंगे लोग ।

अन्विता ।
मौलिक एवं अप्रकाशित ।

Views: 580

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Anvita on June 4, 2020 at 9:13am
आदरणीय छोटेलाल साहब,बहुत अकिंचन प्राणी हूँ, प्रशंसा हेतु बहुत बहुत आभार व्यक्त करती हूँ परंतु इतनी महान तुलना योग्य नहीं हूँ ।सादर अन्विता ।
Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on June 4, 2020 at 7:51am

आदरणीया अन्विता जी ऐसी रचनाये बहुत कम देखने को मिलती हैं हमे कुछ पल के लिए लग रहा था मुक्तिबोध को पढ़ रहा हूँ, बहुत ही शानदार रचना दिल से बधाई

Comment by Anvita on June 2, 2020 at 3:56pm
आदरणीय कबीर साहब ।रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।सादर अन्विता
Comment by Samar kabeer on June 2, 2020 at 3:02pm

मुहतरमा अन्विता जी आदाब,अच्छी रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Anvita on June 1, 2020 at 8:55am
आदरणीय धामी जी सादर अभिवादन स्वीकार करें रचना की सराहना के लिए आपका बहुत बहुत आभार ।
Comment by Anvita on June 1, 2020 at 8:52am
आदरणीय अमीरूददीन साहब आपकी सलाह के लिए दिल से शुक्रिया ।सादर अभिवादन स्वीकार करें ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 1, 2020 at 4:58am

आ. अन्विता जी, अच्छी रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 31, 2020 at 9:43pm

सुश्री अन्विता जी,  आपकी भावना को समझ रहा हूंँ और उस का सम्मान करता हूँ, लेकिन किसी से आदर पूर्वक उसके नाम के साथ संवाद करने में कोई निरादर नहीं होता है। इस के इलावा LATEST ACTIVITY/Top News · Everything में नाम से ही पता चल जाता है कि संबोधन किसके लिये है। सादर। 

Comment by Anvita on May 31, 2020 at 9:21pm
आदरणीय महोदय आपको बहुत बहुत धन्यवाद ।आशा है आगे भी मनोबल बढ़ाए रखेंगे ।
Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on May 31, 2020 at 8:12pm

सुश्री अन्विता जी, आदाब। मन को झकझोरती एवं वास्तविकता का दर्पण दिखाती अच्छी रचना हुई है। बधाई स्वीकार करें। 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
Wednesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Nov 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service