For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गर बनाना चाहते हो विकसित

गर बनाना चाहते हो विकसित
वतन तो करनी होगी मेहनत ।
धरम जाति की दूर करो नफरत
सब आज मिलकर संवार लो किस्मत ।
मजदूर गरीब की किस्मत खोटी
प्रजातन्त्र में भी मिलती न रोटी ।
मरता किसान फसल हुई खोटी
घर में न अन्न कैसे बने रोटी ।
कर्ज में कृषक सरकार है सोती
ललित विदेश में चुन रहा मोती ।
अज्ञान है मिटाना करो सुनिश्चित
हर बालक हो आज करो सुशिक्षित ।
बज गया बिगुल जंग होना बाकी
खत्म हुइ रात सुबह होना बाकी ।
समता समाज में आना बाकी
गरीब के घर प्रकाश है बाकी ।
हम सबकी कोशिसे रंग लाएगी
अज्ञान गंदगी साफ हो जाएगी ।
घर का हर बच्चा जब पढ़ जाएगा
जुल्म का हर वो सितम मिट जाएगा ।
मंज़िल दूर है पर प्रयास जारी
हमने सहा सब अब तुम्हारी बारी ।
अस्तीन में पलते कुछ साँप भाई
कब धोखा दे पता नहीं भाई ।
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 467

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 8:24pm

आद0 रामाश्रय जी सादर अभिवादन। बढिया रचना का प्रयास पर कुछ विराम और वर्तनीगत अशुद्धियों से रचना थोड़ी कमतर हो रही है। मात्राविधान भी मैं समझ नहीं पाया। इस प्रस्तुति पर बधाई आपको

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on March 26, 2018 at 5:38pm

आ.भाई राम आसरे जी, सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Ram Ashery on March 25, 2018 at 2:54pm
आपके मार्ग दर्शन के लिए सहृदय धन्यवाद स्वीकार हो मैं अपनी ओर से त्रुटियों को सुधारने की पूरी कोशिस करूंगा
Comment by Ram Ashery on March 25, 2018 at 2:54pm
आपके मार्ग दर्शन के लिए सहृदय धन्यवाद स्वीकार हो मैं अपनी ओर से त्रुटियों को सुधारने की पूरी कोशिस करूंगा
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on March 25, 2018 at 9:51am

अच्छी रचना है आदरणीय..बधाई

Comment by Mohammed Arif on March 25, 2018 at 7:38am

आदरणीय राम आश्रेय जी आदाब,

                           आशा, विश्वास और उम्मीद का अलख जगाती बेहतरीन कविता । कुछ वर्तनीगत अशुद्धियाँ हैं । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"पगों  के  कंटकों  से  याद  आयासफर कब मंजिलों से याद आया।१।*हमें …"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश जी सादर अभिवादन आपका बहुत शुक्रिया आपने वक़्त निकाला मतला   उड़ने की ख़्वाहिशों…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"उन्हें जो आँधियों से याद आया मुझे वो शोरिशों से याद आया अभी ज़िंदा हैं मेरी हसरतें भी तुम्हारी…"
3 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. शिज्जू भाई,,, मुझे तो स्कॉच और भजिये याद आए... बाकी सब मिथ्याचार है. 😁😁😁😁😁"
5 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तुम्हें अठखेलियों से याद आया मुझे कुछ तितलियों से याद आया  टपकने जा रही है छत वो…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम जी मुशायरे में सहभागिता के लिए हार्दिक बधाई आपको"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय निलेश नूर जीआपको बारिशों से जाने क्या-क्या याद आ गया। चाय, काग़ज़ की कश्ती, बदन की कसमसाहट…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, मुशायरे के आग़ाज़ के लिए हार्दिक बधाई, शेष आदरणीय नीलेश 'नूर'…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"ग़ज़ल — 1222 1222 122 मुझे वो झुग्गियों से याद आयाउसे कुछ आँधियों से याद आया बहुत कमजोर…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"अभी समर सर द्वारा व्हाट्स एप पर संज्ञान में लाया गया कि अहद की मात्रा 21 होती है अत: उस मिसरे को…"
6 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"कहाँ कुछ मंज़िलों से याद आया सफ़र बस रास्तों से याद आया. . समुन्दर ने नदी को ख़त लिखा है मुझे इन…"
8 hours ago
Nilesh Shevgaonkar replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. जयहिन्द रायपुरी जी,पहली बार आपको पढ़ रहा हूँ.तहज़ीब हाफ़ी की इस ग़ज़ल को बाँधने में दो मुख्य…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service