For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रोटी की मजदूर

यहाँ रोटी के चक्कर में फिरता
गाँव से शहर काम नहीं मिलता
रात को थका हुआ घर लौटता
मजदूर दुखी मन से यह कहता ।
अब घर का राशन बच्चे की फीस
बड़ी मुश्किल से कटेगें दिन तीस ।
विकास की गति है पंद्रह से बीस
चली है दिल्ली से ले शुभ अशीष ।
सड़क पर बना पुल जब गया टूट
किस्मत की गाड़ी को लिया लूट
प्रतिपक्ष कहते रहे सभी एक जुट
विपक्षी एकता में डाल दी फूट ।
संसद से सड़क तक झूठ ही झूठ
जंगल में बचे सिर्फ ठूठ ही ठूठ
मानवता गई इस जहां से रूठ
मरती है जनता पर मंत्री झूठ ॥
मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 530

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by नाथ सोनांचली on March 28, 2018 at 4:09am

आद0 रामश्रये जी बात कथन या कथ्य की नहीं, बात मैंने शिल्प की है। आप दुबारा प्रतिक्रिया पढ़ें। सादर

Comment by Ram Ashery on March 27, 2018 at 8:13pm
श्री मान जी शायद मैं अपनी बात कहने में कुछ गलती कर गया हूँ लेकिन मैं यह कहना चाहता हूँ की आज मजदूर की जो दुर्दशा है वह घर काम के लिए शहर जाता है खाली हाथ घर लौट कर आता है पर उसे बच्चे की फीस और राशन की व्यवस्था तो करनी ही है विभिन्न योजनाओं के द्वारा लोगो काम मिलता है पर वह जब दिल्ली से शुरू होती है तो रास्ते में न जाने कहाँ कहाँ अटक जाती है और जब कभी विपक्ष के लोग इस पर बोलते हैं तो टुकड़ों में बाते होने के कर्ण उनका कुछ भला नहीं कर पाते हैं आज चारों तरफ झूठ का बोल बाला है इंसानियत नाम केवल सुनने में रह गया है सच्चाई में कहीं दिखता नहीं हैं
Comment by नाथ सोनांचली on March 26, 2018 at 8:39pm

आद0 रामश्रये जी सादर अभिवादन। रचना में जब तुकांतता ली जाती है तो उसका भी एक विधान होता है, औऱ अगर कविता अतुकांत न हो तो एक निश्चित विधान भी। पर क्षमा चाहूँगा उपरोक्त रचना में मुझे कोई निश्चित विधान भी नहीं मिला और तुकांतता भी उतनी सटीक नहीं। यह तुकांतता मध्यम स्तर की होती है। बहरहाल आप यहाँ पर उपलब्ध लेखों को आत्मसात करें तो बहुत कुछ सीखा जा सकता है।

Comment by Ram Ashery on March 25, 2018 at 11:01pm
श्री मान जरूर आपकी बातों को ध्यान में रखूगा और सुधारने की कोशिस करूंगा । आपके सुझाव के लिए आपको हृदय से धन्यवाद
Comment by somesh kumar on March 25, 2018 at 2:41pm

मंच पर आपकी पहली रचना पढ़ रहा हूँ |

बेहतरीन प्रयास हैं ,अभ्यास जारी रखें|

तुकांत और भावपूर्ण रचना है पर लगता है आप मेरी तरह ही मुक्त एवं तुकांत के बीच फँसे है |उम्मीद है मंच के मनीषियों से उचित मार्गदर्शन प्राप्त करेंगे और बेहतर प्रस्तुति देंगे |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। बेहतरीन गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

देवता क्यों दोस्त होंगे फिर भला- लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२ **** तीर्थ जाना  हो  गया है सैर जब भक्ति का यूँ भाव जाता तैर जब।१। * देवता…See More
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey posted a blog post

कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ

२१२२ २१२२ २१२२ जब जिये हम दर्द.. थपकी-तान देते कौन क्या कहता नहीं अब कान देते   आपके निर्देश हैं…See More
Sunday
Profile IconDr. VASUDEV VENKATRAMAN, Sarita baghela and Abhilash Pandey joined Open Books Online
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदाब। रचना पटल पर नियमित उपस्थिति और समीक्षात्मक टिप्पणी सहित अमूल्य मार्गदर्शन प्रदान करने हेतु…"
Oct 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर अमूल्य सहभागिता और रचना पर समीक्षात्मक टिप्पणी हेतु…"
Oct 31
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेम

दोहा सप्तक. . . सागर प्रेमजाने कितनी वेदना, बिखरी सागर तीर । पीते - पीते हो गया, खारा उसका नीर…See More
Oct 31
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय उस्मानी जी एक गंभीर विमर्श को रोचक बनाते हुए आपने लघुकथा का अच्छा ताना बाना बुना है।…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय सौरभ सर, आपको मेरा प्रयास पसंद आया, जानकार मुग्ध हूँ. आपकी सराहना सदैव लेखन के लिए प्रेरित…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार. बहुत…"
Oct 31

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-127 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी, आपने बहुत बढ़िया लघुकथा लिखी है। यह लघुकथा एक कुशल रूपक है, जहाँ…"
Oct 31

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service