For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल .........;;;गुमनाम पिथौरागढ़ी

२१२ २१२ २२


गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता


लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता


मौत तेरे बुलावे से
अब किनारा नहीं होता


तेरी सौगात है वरना
जख्म प्यारा नहीं होता


है खुदा साथ जिसके वो
बेसहारा नहीं होता


मौलिक व अप्रकाशित


गुमनाम पिथौरागढ़ी

Views: 711

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by भुवन निस्तेज on January 24, 2015 at 8:30am
इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए बधाई स्वीकार करें भाई गुमनाम....
Comment by gumnaam pithoragarhi on January 22, 2015 at 6:40pm

धन्यवाद दोस्तों कुछ लिखने की बाद समालोचना सुनने की उत्सिकता रहती है प्रतिभा जी इसमें क्षमा जैसी कोई बात नहीं ऐसा मुझसे कई बार हुआ है खैर धन्यवाद आपका


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 22, 2015 at 8:03am

बहुत सुन्दर !! आदरणीय गुमनाम भाई , बधाई ।

Comment by Krishnasingh Pela on January 21, 2015 at 7:23pm
ग़म तुम्हारा नहीं होता
तो गुज़ारा नहीं होता
वाह ! क्या मत्ला है ! बधाई हो !
Comment by ajay sharma on January 20, 2015 at 11:07pm

bahut hi badia gazal ke liye dhanyawad ...sir ji 

Comment by gumnaam pithoragarhi on January 20, 2015 at 9:02pm

शुक्रिया दोस्तो आप का सहयोग प्रेरित करता है ............

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 7:50pm

वैसे आदरणीय मैं भी वामनकर जी के कथन से सहमत हूँ कि अगर कुछ और अशआर हो जाते तो मज़ा आ जाता। 

Comment by Sushil Sarna on January 20, 2015 at 7:48pm

गम तुम्हारा नहीं होता
तो गुजारा नहीं होता

लूटते प्यासे ये सागर
गर ये खारा नहीं होता

वाह वाह और वाह ही कहेंगे हम आपकी इस दिलकश ग़ज़ल की प्रस्तुति पर आदरणीय गुमनाम जी।

Comment by Hari Prakash Dubey on January 20, 2015 at 6:43pm

आदरणीय गुमनाम पिथौरागढ़ी जी, बधाई थोडा इस पंक्ति को समझने में समय लगा ....लूटते प्यासे ये सागर 
गर ये खारा नहीं होता ...!


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 20, 2015 at 3:31pm

छोटी बहर में अच्छी ग़ज़ल, बधाई गुमनाम जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"यूॅं छू ले आसमाॅं (लघुकथा): "तुम हर रोज़ रिश्तेदार और रिश्ते-नातों का रोना रोते हो? कितनी बार…"
Apr 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-109 (सियासत)
"स्वागतम"
Apr 29
Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
Apr 28
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
Apr 28
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
Apr 27
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
Apr 27
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
Apr 27
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Apr 27

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service