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2121 222 2121 222
 

मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। 

 

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं।

 

मेघों ने बिछाया है, श्याम रंग का आँचल,

रात हर अमावस है, सो गए सितारे हैं।

 

सब्ज़ रंगी सावन ने, सींच दिया है जीवन,

बूँद-बूँद बारिश ने, मन-चमन सँवारे हैं।

 

भर दिये हैं रिमझिम ने, प्रेम रंग जन-जन में

मन को बहलाने के, ये सुखद सहारे हैं।

 

भाव रंग बरखा के, गा रहे सुमंगल गीत,

धार-धार अमृत से, तृप्त स्रोत सारे हैं।

 

ज्यों बदलते मौसम हैं, रंग भी बदल जाते,

‘कल्पना’ जुड़े इनसे, शुभ दिवस हमारे हैं।

मौलिक व अप्रकाशित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 10, 2014 at 11:33pm

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं।

ऐसे शेरों के माध्यम से बरसात के मौसम को ग़ज़ल के साँचे में बखूबी उतारने की कोशिश हुई है, आदरणीया कल्पना जी.

सादर बधाई स्वीकार करें.

Comment by कल्पना रामानी on July 7, 2014 at 10:29pm

आप सब मित्रों ने मानसून का खूब आनंद लिया, प्रोत्साहित करने के लिए आप सबका हार्दिक आभार

Comment by बृजेश नीरज on July 7, 2014 at 8:31pm

वाह! बहुत ही सुन्दर ग़ज़ल! वर्षा ऋतु का पूरा आनंद आ गया! आपको बहुत-बहुत बधाई दीदी!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on July 6, 2014 at 5:42pm

सुंदर रचना 

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 6, 2014 at 4:58pm

आदरणीया कल्पना जी वाह बहुत ही सुन्दर बरसाती ग़ज़ल कही है आपने पढ़कर भीगा भीगा महसूस कर रहा हूँ दिल से बधाई प्रेषित है स्वीकार कीजिये.

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on July 6, 2014 at 11:04am

सौंधी-सौंधी माटी में, रंग है उमंगों का,

तर हुए किसानों के, खेत-खेत प्यारे हैं......बहुत सुंदर, बधाई स्वीकारें आदरणीया कल्पना जी

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on July 5, 2014 at 9:35pm

आ0 रामानी दी'जी,   //मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। // ---सुन्दर गजल। बधाई स्वीकारें । सादर,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 5, 2014 at 8:59pm

वाह.. वाह... बरसात के मौसम का कितना खूबसूरत चित्र उकेरा है आपने बहुत सुन्दर आ० कल्पना दी हार्दिक बधाई आपको |

Comment by parul 'pankhuri' on July 5, 2014 at 4:37pm

वाह ! अत्यंत सुन्दर गजल  !

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 5, 2014 at 12:59pm

   महनीया 

अतीव सुन्दर i

मानसूनी बारिश के, क्या हसीं नज़ारे हैं।

रंग सारे धरती पर, इन्द्र ने उतारे हैं। 

छा गया है बागों में, सुर्ख रंग कलियों पर,

तितलियों के भँवरों से, हो रहे इशारे हैं। 

 

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