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तो रो दिया .......

मौन की गहन कंदराओं में
मैनें मेरी मैं को
पश्चाताप की धूप में
विक्षिप्त तड़पते देखा
तो रो दिया ।

खामोशी के दरिया पर
मैंने मेरी मैं को
तन्हा समय की नाव पर
अपराध बोध से ग्रसित
तिमिर में लीन तीर की कामना में लिप्त
व्यथित देखा
तो रो दिया

क्रोध के अग्नि कुण्ड में
स्वार्थघृत की आहूति से परिणामों को
जब धू- धू कर जलते देखा
तो रो दिया

सच , क्रोध की सुनामी के बाद जब
तबाही का मंजर देखा
तो साथ मेरे
मेरा मैं भी रो दिया ।

सुशील सरना / 30-9-21
मौलिक एवं अप्रकाशित

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Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 17, 2023 at 8:08pm

बहुत सुन्दर ढंग से एहसासों को शब्दों में पिरोया है | बधाई स्वीकारें आदरणीय सुशिल सरना जी| 

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 15, 2022 at 7:24pm

आदरणीय सुशील सरना जी सादर अभिवादन एक बहुत ही उत्कृष्ट रचना पढ़कर मुझे खुशी मिली सादर शुभकामनाएं

Comment by नाथ सोनांचली on October 13, 2021 at 4:09pm

आद0 सुशील सरना जी सादर अभिवादन। हर बार की तरह एक बेहतरीन सृजन पढ़ने को मिला। कोटि कोटि बधाई आपको

Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:40pm
आदरणीय अमन सिन्हा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:39pm
आदरणीय समर कबीर जी आदाब, सृजन के भावों को आत्मीय मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:39pm
आदरणीय अमीरुद्दीन साहिब, आदाब - सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर
Comment by Sushil Sarna on October 10, 2021 at 8:38pm
आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 10, 2021 at 6:34am

आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।

Comment by अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी on October 1, 2021 at 7:55pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, हमेशा की तरह एक और शानदार कृति के लिए आपको हार्दिक बधाई। 

Comment by Samar kabeer on October 1, 2021 at 2:13pm

जनाब सुशील सरना जी आदाब, अच्छी रचना हुई है. इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें I 

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