For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

संस्कार  की  नींव दे, उन्नति  का  प्रासाद
हर मन बंदिश में रहे, हर मन हो आजाद।१।


महल झोपड़ी सब जगह, भरा रहे भंडार
जिस दर भी जायें मिले, भूखे को आहार।२।


लगे न बीते साल सा, तन मन कोई घाव
राजनीति ना भर सके, जन में नया दुराव।३।


धन की बरकत ले धनी, निर्धन हो धनवान
शक्तिहीन अन्याय हो, न्याय बने बलवान।४।


घर आँगन सबके खिलें, प्रीत प्यार के फूल
और जले नव वर्ष मेें, हर नफरत का शूल।५।


निर्धन को नव वर्ष की, बस इतनी पहचान
छोड़ उदासी ओढ़ता, अधरों पर मुस्कान।६।


फिरते  हैं  बेसुध  यहाँ, जो  मदिरा  में  डूब
सुध उनको भी कुछ मिले, मंदिर जायें खूब।७।


स्नेह  संयम  विश्वास  का, फेरा  हो  हर द्वार
खुशियों की बगिया करे, नया साल गुलज़ार।८।

मौलिक अप्रकाशित
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'

Views: 603

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 4, 2019 at 11:24am

आ. भाई बृजेश जी, सादर आभार ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 3, 2019 at 2:52pm

वाह वाह आदरणीय बहुत ही उत्तम दोहे..

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 2, 2019 at 7:29am

आ. भाई सुरेंद्र नाथ जी, दोहों की प्रशंसा के लिए आभार । आपको भी नव वर्ष की हार्दिक शुभकामनाएँ...

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2019 at 9:04pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन।,, बेहतरीन दोहों के लिए हार्दिक बधाई और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित हैं। सादर

Comment by नाथ सोनांचली on January 1, 2019 at 8:59pm

आद0 लक्ष्मण धामी जी सादर अभिवादन।,, बेहतरीन दोहों के लिए हार्दिक बधाई और नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित हैं। सादर

Comment by Samar kabeer on January 1, 2019 at 5:03pm

आपको भी नववर्ष की हार्दिक बधाई।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 1, 2019 at 12:58pm

आ. भाई समर जी, सादर अभिवादन साथ ही नव वर्ष की शुभकामनाएँ। दोहों की प्रशंसा व मार्दर्शन के लिए आभार ।

Comment by Samar kabeer on January 1, 2019 at 12:13pm

जनाब लक्ष्मण धामी 'मुसाफ़िर' जी आदाब,नववर्ष पर अच्छे दोहे लिखे आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

'जिस दर भी जायें मिले, भूखे को आहार'

इस पंक्ति में 'जायें' बहुवचन है,और 'भूखे' एक वचन,इसे यूँ करें:-

'जिस दर भी जाये मिले' या यूँ करें:-

'जिस दर भी जायें मिले, भखों को आहार'

हर नफरत का शूल'

इस पंक्ति को मेरे ख़याल से यूँ करना उचित होगा:-

'नफ़रत का हर शूल'

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
13 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
18 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
20 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
22 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
23 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
48 minutes ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
2 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"ठीक है पर कृपया मुक़द्दमे वाले शे'र का रब्त स्पष्ट करें?"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी जी  इस दाद और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत बहुत…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आपका"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"बहुत बहुत शुक्रिय: आदरणीय "
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service