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इस गीत के साथ ओबीओ परिवार के सभी मनीषियों को दीपोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं

सारा जग उजियारा कर दे
दीप कहाँ से लाऊँ

अंधकार ने फन फैलाया
मैला हर इक मन है
सूरज भी गुमसुम सा बैठा
विस्मित नील गगन है
मन को मनका मोती कर दे
सीप कहाँ से लाऊँ
सारा जग उजियारा कर दे
दीप कहाँ से लाऊँ

गली गली में घूमे रावण
हर घर में इक लंका
प्यार मुहब्बत भाईचारा
मिटने की आशंका
कण कण राम बिराजें ऐसा
द्वीप कहाँ से लाऊँ
सारा जग उजियारा कर दे
दीप कहाँ से लाऊँ
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 9, 2018 at 10:12am

बहुत बहुत आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी...सादर

Comment by TEJ VEER SINGH on November 8, 2018 at 6:50pm

हार्दिक बधाई आदरणीय  बृजेश कुमार 'ब्रज'जी। बेहतरीन गीत।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2018 at 4:50pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय डा. साहब..सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2018 at 4:49pm

आदरणीय शेख साहब आपके सुन्दर शब्दों से अति प्रसन्नता हुई..सादर आभार

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2018 at 4:48pm

आदरणीय समर जी रचना पटल पे आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार...

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2018 at 4:47pm

स्वागत संग आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी..

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on November 8, 2018 at 4:46pm

तहेदिल से शुक्रिया ज़नाब राज साहब...

Comment by डॉ छोटेलाल सिंह on November 7, 2018 at 9:27pm

आदरणीय बृजेश जी बहुत अच्छी रचना लिखने के लिए बहुत बहुत बधाई

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on November 7, 2018 at 8:19pm

//मन को मनका मोती कर दे , सीप कहाँ से लाऊँ। सारा जग उजियारा कर दे , दीप कहाँ से लाऊँ।// बेहतरीन शुभकामनाएं। बेहतरीन सृजन। हार्दिक बधाई और दीपोत्सव पर हार्दिक शुभकामनाएं आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज' साहिब।

Comment by Samar kabeer on November 7, 2018 at 5:08pm

जनाब बृजेश कुमार 'ब्रज' जी आदाब,बहुत उम्दा गीत हुआ है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

आपको भी दीपोत्सव की हार्दिक बधाई और शुभकामनाएँ ।

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"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
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