For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

राज़ नवादवी: एक अंजान शायर का कलाम- ६५

२१२२ २१२२ २१२२
---------------------------
आ गया है जेठ, गर्मी का महीना
अब समंदर को भी आयेगा पसीना //१

उम्र भी अब तो सताने लग गई है
डूबता ही जा रहा है ये सफ़ीना //२

सोचता हूँ जिंदगी भी क्या करम है
उफ़ ! ये मरना और यूँ मर मर के जीना //३

ज़िंदगानी के तराने गा रहे सब
हैं दिवाने सैकड़ों और इक हसीना //४

सुन रहे हैं ये ग़ज़ल जो आप हमसे 
हमने पत्थर से निकाला है नगीना //५

घर से तेरे लौट कर हमको लगा यूँ
आ गए हम होके मक्का और मदीना //६

आदमी ही आदमी को डंस रहा है
आदमी भी हो गया कितना कमीना //७

अब नहीं निस्बत न कोई आरज़ू है
आ गया मुझको भी जीने का करीना //८

हो करम फ़रमाँ तू ग़ैरों के अलम में
तू कभी अपने अलम में हो दुखी ना //९

अब नहीं लिखता ग़ज़ल, सब पूछते हैं
तेरी भी वो एक शहज़ादी तो थी ना? // १०

लौट के जाऊं अदम जो अब मैं चलके 

राज़ निकलूँ घर से बाहर मैं कभी ना //११

~राज़ नवादवी

"मौलिक एवं अप्रकाशित"

(इस्लाह के बाद)

Views: 792

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 12:50pm

आदरणीय तेज वीर सिंह साहब, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 12:50pm

आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by राज़ नवादवी on November 3, 2018 at 12:49pm

आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी, आदाब. ग़ज़ल में शिरकत और हौसला अफज़ाई का दिल से शुक्रिया. सादर 

Comment by TEJ VEER SINGH on November 3, 2018 at 12:16pm

हार्दिक बधाई आदरणीय राज़ नवादवी जी। बेहतरीन गज़ल।

सोचता हूँ जिंदगी भी क्या करम है 
उफ़ ! ये मरना और यूँ मर मर के जीना //३ 

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on November 3, 2018 at 11:39am

आ. भाई राज नवादवी जी, सादर अभिवादन । बेहतरीन गजल हुई है । हार्दिक बधाई । 

आ गया है जेठ, गर्मी का महीना
अब समंदर को भी आयेगा पसीना

खूबसूरत भावचित्र खींचा है ..

Comment by बसंत कुमार शर्मा on November 3, 2018 at 8:51am

आदरणीय राज जी को सादर नमस्कार , बहुत सुंदर गजल हुई , बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
58 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
5 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
8 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service