For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मौत आंगन में आकर टहलती रही

212 212 212 212
जिंदगी रफ़्ता रफ़्ता पिघलती रही ।
आशिकी उम्र भर सिर्फ छलती रही ।।

देखते देखते हो गयी फिर सहर ।
बात ही बात में रात ढलती रही ।।

सुर्ख लब पर तबस्सुम तो आया मगर ।
कोई ख्वाहिश जुबाँ पर मचलती रही ।।

इक तरफ खाइयाँ इक तरफ थे कुएं ।
वो जवानी अदा से सँभलती रही ।।

जाम जब आँख से उसने छलका दिया ।
मैकशी बे अदब रात चलती रही ।।

देखकर अपनी महफ़िल में महबूब को।
पैरहन बेसबब वह बदलती रही ।।

यूँ ही ठुकरा गया हुस्न जब इश्क़ को ।
तिश्नगी उम्र भर हाथ मलती रही ।।

उस परिंदे की फितरत है उड़ना बहुत ।
बे वज्ह आपको बात खलती रही ।।

बच गए हम तो क़ातिल नज़र से सनम ।
मौत आंगन में आकर टहलती रही ।।

रेत मानिंद सहरा में वो हाथ की ।
मुट्ठियों से हमारी फिसलती रही ।।

दिल जलाने की साजिश लिए साथ में ।
वो हमारी गली से निकलती रही ।।

नवीन मणि त्रिपाठी
- मौलिक अप्रकाशित

Views: 773

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 14, 2018 at 3:17pm

आ. भाई नवीन जी, अच्छी गजल हुई है । हार्दिक बधाई ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 10:04am

आ0 लक्ष्मण धामी मुसाफ़िर साहब तहेदिल से शुक्रिया ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 10:03am

आ0 श्याम नारायण वर्मा साहब बहुत बहुत हार्दिक आभार ।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 10:02am

आ0 तेजवीर सिंह साहब तहेदिल से शुक्रिया।

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 10:02am

आदारणीया वी ऍम वृष्टि जी ग़ज़ल तक आने के लिए बहुत बहुत आभार । 

Comment by Naveen Mani Tripathi on October 11, 2018 at 9:59am

आ0 कबीर सर सादर प्रणाम । आपकी इस्लाह के अनुसार ग़ज़ल के कुछ शेर में परिवर्तन कर दिया है । आप जैसे गुरु अत्यंत दुर्लभ हैं । आपकी कृपा ऐसे ही बनी रहे तो यह नचीज भी थोड़ा थोड़ा ग़ज़ल को समझने लगा है ।

सादर नमन ।

एक बात और सर जैसे शब्द गैर इरादतन है वैसे साजिशन क्या नहीं हो सकता । इसको लेकर कन्फ्यूजन था । यद्यपि आपकी बात को मैं आँख बन्द करके मान लिया ।आप जो कहते वह बिलकुल सहीह होगा । 

सादर नमन के साथ आभार । 

Comment by Samar kabeer on October 10, 2018 at 2:12pm

एक बात और,यहाँ सब एक दूसरे को आदरणीय,मुहतरम, या जनाब कहकर सम्बोधित करते हैं,आप भी इस परम्परा को निभाने में सहयोग करें,ऐसी आशा है ।

Comment by Samar kabeer on October 10, 2018 at 2:07pm

मुहतरमा,ये एक सीखने सिखाने का मंच है, यहाँ हर सदस्य गुरु है और हर सदस्य शिष्य,जो जिसको आता है वो दूसरे को सिखा देता है,आप रचनाओं पर आई टिप्पणियां ध्यान पूर्वक पढ़ें तो बहुत कुछ सीखने को मिल जायेगा,शुभेच्छाएँ ।

Comment by V.M.''vrishty'' on October 10, 2018 at 12:40pm
श्रीमान Samar kabeer जी, प्रणाम! आपने सही कहा कि मैं मंच पर पहली बार आयी हूँ। अतः त्रुटियाँ स्वाभाविक हैं। मैं यहां के तौर-तरीकों से पूरी तरह अनभिज्ञ हूँ। निवेदन है कि आप मेरा मार्गदर्शन करें!
महोदय अभी तो मुझे स्वयं ही अनेकानेक सुधारों की आवश्यकता है,, तो मैं किसी की आलोचना के योग्य नही समझती स्वयं को......
आपके सुझाव के लिए बहुत बहुत धन्यवाद!
Comment by Samar kabeer on October 10, 2018 at 12:15pm

जनाब v.m."prishth" जी आदाब,पहली बार मंच पर आपको देख रहा हूँ ,आपका स्वागत है।

संक्षिप्त टिप्पणी। करना सोशल मीडिया पर चलता है, ये ओबीओ की  परिपाटी नहीं है,यहाँ पहले रचनाकार को आदर से उसका नाम लेकर सम्बोधित करते हैं,उसके बाद उसकी रचना की आलोचना या तारीफ़ की जाती है,आपसे सहयोग की उम्मीद है ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177
"दोहे- ******* अनुपम है जग में बहुत, राखी का त्यौहार कच्चे  धागे  जब  बनें, …"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
Wednesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
Wednesday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service