For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'अंधवायु में प्राणवायु' (लघुकथा)

कोई 'रोज़ी-रोटी' और 'नोटों' के लिए तरस रहा था या बिक रहा था; तो कोई 'वोटों' और 'ओटों' के लिए तरस रहा था या बिक रहा था। आम जनता जानती थी कि हर मुकाम पर कहीं न कहीं 'दाल में कुछ काला' है क्योंकि सालों से उसने सब कुछ देखाभाला है; अपने आपको वक़्त-व-वक़्त 'चोटों' से उबारा है। तरक़्क़ी के मुद्दों पर नेता व अधिकारी सब अपनी-अपनी वफ़ा की सफाई पेश कर दूसरों पर छींटाकशी कर, अपनी ही जगहंसाई कर चिल्ला रहे थे; विरोधी बिलबिला रहे थे!
"ये डील नहीं .. मतलबियों को ढील है! .. राजनीति नहीं .. चील है! चीट है ... ढीठ है, बस ढीठ है!"
"ये व्यापार नहीं .. भ्रष्टाचार है ... व्याभिचार है ग़रीब जनता, संस्कृति और संस्कारों के साथ! धर्म-निरपेक्ष जनतंत्र के साथ!
"लोकतंत्र नहीं... यह तो तानाशाही है! .. हर उद्योगपति ही शाही है! दूजी ग़ुलामी की आगाही है!"
आम जनता अपने अंदर तनिक 'शक्ति' और 'जागरूकता' के संचार होने पर बस इतना ही बोल पा रही थी सड़कों पर, धरनों पर, नये थोपे गए क़ानूनों पर, घोषणाओं और योजनाओं पर!
"कान बंद कर लो, बोलने वालों को बोलने दो! इनको जान सको, तो जान लो! ..अब तो अपनी अक़्ल से काम लो! अंधवायु में ईमानदार मतदान से लोकतंत्र को प्राणवायु दो, बस!" भीड़ में से एक बुज़ुर्ग ने ज़ोर से चिल्लाकर कहा।


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 652

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr. Vijai Shanker on October 8, 2018 at 10:21pm

ये ढील नहीं , घेरे में और और लोगों को बाँध लेने की कोशिश है , उसके बाद , समय हो जाने पर कसने की कवायद होती है।
जाएगा कहाँ ? की स्थिति है , उन्हीं के लिए लाभप्रद।
बहुत सारगर्भित लघु ( बोध ) कथा ,
बधाई आदरणीय शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।

Comment by Neelam Upadhyaya on October 8, 2018 at 12:14pm

आदरणीय शेख  शहज़ाद उस्मानी जी ,बहुत बढ़िया  लघुकथा हुई है।  इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें। 

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 7, 2018 at 11:01am

मेरी इस रचना पर समय देकर प्रोत्साहक टिपप्णियों द्वारा अनुमोदन और मेरी हौसला अफ़ज़ाई हेतु तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब प्रदीप देवीशरण भट्ट

साहिब, जनाब समर कबीर साहिब और जनाब  लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'  साहिब और जनाब तेेेजवीर सिंह साहिब।

Comment by TEJ VEER SINGH on October 7, 2018 at 10:33am

हार्दिक बधाई आदरणीय शेख उस्मानी जी। बेहतरीन कटाक्ष युक्त बढ़िया लघुकथा।

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on October 7, 2018 at 5:28am

आ. भाई शेख शहजाद जी,अच्छी कथा हुयी है । हार्दिक बधायी।

Comment by Samar kabeer on October 6, 2018 at 5:26pm

//बहुत खूब //

जनाब प्रदीप भट्ट साहिब,इतनी छोटी टिप्पणी सोशल मीडिया पर देने का रिवाज हो सकता है,ये इस मंच की परिपाटी नहीं है,चूँकि ये सीखने सिखाने का मंच है, इसलिये यहाँ पहले रचनाकार को आदर पूर्वक सम्बोधित करते हैं फिर उसकी रचना की आलोचना या तारीफ़ की जाती है,उम्मीद है आप इस परिपाटी में सहयोग करेंगे,यही आपसे निवेदन है ।

Comment by प्रदीप देवीशरण भट्ट on October 6, 2018 at 12:38pm

बहुत खूब 

Comment by Samar kabeer on October 6, 2018 at 12:33pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
8 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
yesterday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
yesterday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
yesterday
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Nov 17

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Nov 17
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service