For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

डायरी का अंतिम पृष्ठ (लघुकथा)

डायरी का अंतिम पृष्ठ

एक अरसे बाद, आज मेरे आवरण ने किसी के हाथों की छुअन महसूस की, जो मेरे लिए अजनबी थे। कुछ सख्त और उम्रदराज़ हाथ। मेरे पृष्ठों को उनके द्वारा पलटा जा रहा था। दो आँखें गौर से हर शब्द के बोल सुन रही थीं। मेरे अंतिम लिखित पृष्ठ पर आते ही ये ठिठक गईं। पृष्ठ पर लिखे शब्दों में से आकाश का चेहरा उभर आया। सहमा-सा चेहरा। उसने भारी आवाज़ में बोलना शुरू किया, "एक रिटायर्ड फ़ौजी, मेरे पापा। चेहरे पर हमेशा रौब, मगर दिल के नरम। आज उनकी बहुत याद आ रही है। जानता हूँ, स्वभाव से कड़क हैं वे। पर फिर भी कितनी ही बार मुझे लड़खड़ाते को संभाला। मेरी ही इच्छा पर उन्होंने मुझे घर से इतनी दूर कोचिंग लेने के लिए भेजा। इस भारी खर्चे को भी झेला। मेरी हिम्मत वे ही हैं। कभी न टूटने वाली चट्टान-से...."
चेहरे से डर का साया हटता महसूस हुआ। स्वर में हौंसला लौटने लगा,"यह जो हुआ मैं इसे सोच कर यूँ ही परेशान हूँ। मैं... अभी फ़ोन कर उन्हें बता देता हूँ कि पापा अबकी बार पी एम टी का परिणाम मेरे लिए सही नहीं आया। हाँ.. हाँ पापा से बात करके ही अब चैन मिलेगा।"

उम्रदराज आँखें फ़टी की फटी रह गईं। खुद के कहे शब्द कानों में ज़हर उंडेलने लगे और हृदय का तीर सम भेदन करने लगे, "इतनी सुविधाओं के बावजूद तुम्हारा यह हाल! हमने पेट पर पट्टी बाँधी और तुमने माल उड़ाया। शर्म नहीं आती। मुझे मुँह मत दिखाना।"

वे आँखें पश्चताप से झरने लगीं। हाथों ने मुट्ठियाँ भींच ली। मेरे इस पृष्ठ के सीने पर लिखे अंतिम शब्दों पर गर्म पानी के बुलबुले उभर आए। वर्ण सुरसा के मुख सम फैल कर भयावह लगने लगे।

और मैं चट्टान के टूटने को महसूस कर पा रही थी।

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 622

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2018 at 9:37pm

आदरणीय ब्रज भाई जी उतस्सहवर्धक एवं समीक्षात्मक टिपण्णी के लिए सादर हार्दिक आभार नमन

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2018 at 9:36pm

आदरणीय समर कबीर जी, सादर नमन! उत्साहवर्धन के लिए तहे दिल शुक्रिया। 

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2018 at 9:26pm

आदरणीय तेजवीर जी उत्साहवर्धन के लिए सादर आभार नमन

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2018 at 9:25pm

आदरणीया नीलम उपाध्याय जी सादर आभार सह नमन!

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on August 6, 2018 at 9:24pm

उत्साहवर्धन के लिए सादर हार्दिक आभार आ बबिता गुप्ता जी, नमन सादर

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on July 29, 2018 at 2:03pm

आदरणीय सतविंद्र जी बड़ी खूबसूरती से अपने बहुत ही सटीक विषय को उठाया है लघुकथा में..माता पिता को ये समझना होगा कि एक परीक्षा की असफलता का मतलब योग्य या अयोग्य होने से नहीं है..

Comment by Samar kabeer on July 24, 2018 at 12:08pm

जनाब सतविन्द्र कुमार जी आदाब,अच्छी लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by TEJ VEER SINGH on July 23, 2018 at 3:13pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सतविंदर जी।बेहतरीन लघुकथा।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 23, 2018 at 2:44pm

 आदरणीय सतविंद्र  कुमार राणा जी, अच्छी लघुकथा की प्रस्तुति। बधाई स्वीकार करें । 

Comment by babitagupta on July 23, 2018 at 1:19pm

आशाओं पर पानी फिरते देख और वो भी धोखे में रखकर,बहुत ही मार्मिक कहानी,बेहतरीन रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार कीजियेगा आदरणीय सरजी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ अड़सठवाँ आयोजन है।.…See More
15 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"अश्रु का नेपथ्य में सत्कार भी करते रहेवाह वाह वाह ... इस मिसरे से बाहर निकल पाऊं तो ग़ज़ल पर टिप्पणी…"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar posted a blog post

ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं

.सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं  जहाँ मक़ाम है मेरा वहाँ नहीं हूँ मैं. . ये और बात कि कल जैसी…See More
19 hours ago
Ravi Shukla posted a blog post

तरही ग़ज़ल

2122 2122 2122 212 मित्रवत प्रत्यक्ष सदव्यवहार भी करते रहेपीठ पीछे लोग मेरे वार भी करते रहेवो ग़लत…See More
19 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' posted a blog post

गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा

सार छंद 16,12 पे यति, अंत में गागा अर्थ प्रेम का है इस जग में आँसू और जुदाई आह बुरा हो कृष्ण…See More
19 hours ago
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय नीलेश जी "समझ कम" ऐसा न कहें आप से साहित्यकारों से सदैव ही कुछ न कुछ सीखने को मिल…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय गिरिराज जी सदैव आपके स्नेह और उत्साहवर्धन को पाकर मन प्रसन्न होता है। आप बड़ो से मैं पूर्णतया…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आदरणीय रवि शुक्ला जी रचना की विस्तृत समीक्षा के लिए आपका हार्दिक अभिनन्दन और आभार व्यक्त करता हूँ।…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"आ. बृजेश जी मुझे गीतों की समझ कम है इसलिए मेरी टिप्पणी को अन्यथा न लीजियेगा.कृष्ण से पहले भी…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"आ. रवि जी ,मिसरा यूँ पढ़ें .सुन ऐ रावण! तेरा बचना है मुश्किल.. अलिफ़ वस्ल से काम हो…"
yesterday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. रवि जी,ग़ज़ल तक आने और उत्साह वर्धन का धन्यवाद ..ऐ पर आपसे सहमत हूँ ..कुछ सोचता हूँ…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service