For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल

(2122-2122-2122-212)

मुश्किलें कितनी हैं अपने दरमियाँ गिनता रहा ।
बैठ कर मैं राह की दुश्वारियाँ गिनता रहा ।

आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा ।

और करता भी तो क्या वो नौजवां बेरोज़गार,
दी हैं कितनी नौकरी कीअरज़ियाँ गिनता रहा ।

राजनेता को न था मतलब किसी इंसान से,
वो तो केवल धोतियाँ और टोपियाँ गिनता रहा ।

वो रहे गिनते मुनाफ़ा कारख़ाने का उधर,
मैं इधर दरिया में मरती मछलियाँ गिनता रहा ।

नाम पर आतंकियों के ले के निर्दोषों की जान,
वो लगीं कंधों पे अपनी फीतियाँ गिनता रहा ।

लहलहाती फ़स्ल पर जब बर्फ़ बारी हो गई
खेत में दहक़ान टूटी बालियाँ गिनता रहा । 

क्या ग़ज़ल पढ़ता भला ' जम्मू' गया जब मंच पर,
धीरे धीरे ख़ाली होती कुर्सियाँ गिनता रहा ।

(मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 935

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Gurpreet Singh jammu on February 15, 2023 at 9:00pm

आदरणीय अजय तिवारी जी, आदरणीय विजय निकोरे जी हालांकि बहुत देर कर दी है मैने लेकिन बहुत शुक्रिया आपका ग़ज़ल पसन्द करने के लिए

Comment by vijay nikore on July 12, 2018 at 1:00pm

वाह, सच मज़ा आ गया आपकी गज़ल पड़ कर। हार्दिक बधाई।

Comment by Ajay Tiwari on July 11, 2018 at 6:52am

आदरणीय गुरप्रीत जी,

बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई. 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:34pm

शुक्रिया नीलेश सर जी ...इस ज़मीन पर आपकी और समर सर जी की बेहतरीन गजलें पढ़ कर ही ये ग़ज़ल कहने की प्रेरणा मिली 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:33pm

शुक्रिया आदरणीय सुशील सरना जी ..आपको कोशिश पसंद आई , अच्छा लगा 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 10, 2018 at 3:32pm

shukriya aadarniya . neelam upadhyaya ji 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on July 10, 2018 at 9:17am

आ. गुरप्रीत जी,
आप का इंतज़ार था. आप की ग़ज़ल का अंदाज़ आकर्षित करता है,,
बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है.. बधाई स्वीकार करें 

Comment by Sushil Sarna on July 9, 2018 at 2:35pm

आँखों में अश्कों का दरिया चढ़ के जब उतरा तो फ़िर,
मैं तो बस ख़्वाबों की डूबी कश्तियाँ गिनता रहा । ... वाह आदरणीय बहुत खूबसूरत ग़ज़ल बनी है। हार्दिक बधाई।

Comment by Neelam Upadhyaya on July 9, 2018 at 1:37pm

आदरणीय  गुरप्रीत सिंह जी, खूबसूरत ग़ज़ल की पेशकश के लिए मुबारकबाद ।  

Comment by Samar kabeer on July 9, 2018 at 11:11am

भाई आप अच्छा लिखते हैं,मैंने तो कुछ शब्द इधर उधर किये हैं बस ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
13 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service