For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

1.

शमअ  देखी न रोशनी देखी । 

मैने ता उम्र तीरगी देखी । 

देखा जो आइना तो आंखों में, 

ख़्वाब की लाश तैरती देखी । 

टूटे दिल का हटाया मलबा तो, 

आरज़ू इक दबी पड़ी देखी । 

एक इक पल डरावना सा लगा, 

इतने पास आ के ज़िन्दगी देखी । 

मैने इंसानियत रह ए हक़ पर, 

दो कदम चल के हांफती देखी 

2.

आप ने क्या कभी परी देखी । 

मैने यारो अभी अभी देखी । 

उसकी आँखों में सुब्ह सी देखी, 

और ज़ुल्फ़ों में शाम भी देखी । 

लब थे अंगार आँख थी बिजली, 

फ़िर भी चहरे पे सादगी देखी । 

उस से ज्यूँ ही नज़र मिली यारो, 

गिरती मैने तो बर्क़ सी देखी । 

उस नज़र सा सुरूर फ़िर ना हुआ, 

हर तरह की शराब पी देखी । 

     (मौलिक व अप्रकाशित )

Views: 886

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 5, 2021 at 6:31pm

आ. भाई गुरप्रीत सिह जी, सादर अभिवादन । दोनों गजलें अच्छी हुई हैं । हार्दिक बधाई ।

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 23, 2019 at 6:50pm

'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'

  वाह सर जी ।  बहुत बहुत धन्यवाद 

Comment by Samar kabeer on July 23, 2019 at 3:24pm

//उस से इक पल निगाह टकराई //

इस मिसरे को यूँ कर सकते हैं:-

'उससे ज्यूँ ही नज़र मिली यारो'

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 23, 2019 at 12:54pm

बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय अजय तिवारी जी 

Comment by Gurpreet Singh jammu on July 23, 2019 at 12:53pm

आदाब समर सर जी । ग़ज़ल की सरहना के शुक्रिया । ये मिसरा ऐसे ठीक रहेगा क्या 

  ' उस से इक पल निगाह टकराई ' 

  जी बहुत दिनों बाद obo पर आ पाया । क्या बताएं सर जी 

      दुनियादारी ने ऐसे उलझाया है । 

       ख़ुद के लिए भी वक़्त नहीं मिल पाया है । 

Comment by Ajay Tiwari on July 20, 2019 at 10:07am

आदरणीय गुरप्रीत जी, ख़ूबसूरत अशाआर हुए हैं. हार्दिक बधाई. 

Comment by Samar kabeer on July 19, 2019 at 11:18am

जनाब गुरप्रीत सिंह जी आदाब,बहुत दिनों बाद आपकी ग़ज़लें ओबीओ पर पढ़ने का मौक़ा मिला,कहाँ रहे भाई?

दोनों ग़ज़लें अच्छी हुई हैं,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

'उस से इक पल नज़र मिली शायद,'

इस मिसरे से "शायद" शब्द निकालें । 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service