For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

चुनावी घोषणायें  - लघुकथा –

चुनावी घोषणायें  - लघुकथा –

 मंच से नेताजी अपने चुनावी भाषण में आम जनता के लिये लंबी लंबी घोषणायें राशन की तरह बाँट रहे थे।

"अरे साहब यह सब घोषणायें तो घिसी पिटी हैं। हर चुनाव में दोहराई जाती हैं"। नीचे से एक गाँव का आदमी चिल्लाया।

नेताजी ने मुस्कुराते हुए अपनी दाढ़ी पर हाथ फ़िराते हुए कहा,"अब मैं ऐसी घोषणा करने जा रहा हूँ जो इस देश के इतिहास में पहली बार होगा"।

सारे श्रोता गण एकाग्र होकर साँस  रोक कर नेताजी की अगली घोषणा का इंतज़ार करने लगे।

"हमारी सरकार एक कानून बनायेगी। जिसके तहत हर गाँव से, गाँव वालों द्वारा एक चुने हुए व्यक्ति को मंत्री पद का दर्जा दिया जायेगा। वह व्यक्ति सीधे प्रधान मंत्री कार्यालय से संपर्क रखेगा। गाँवालों की सभी समस्यायें उसी के माध्यम से सुलझाई जाया करेंगी"।

 नेताजी जिंदाबाद। नेताजी की जय हो। इन नारों से आकाश गूंजने लगा। कार्यकर्ताओं ने नेताजी को कंधों पर उठा लिया। भीड़ का बदला हुआ रुख देखकर पार्टी की जीत पक्की लग रही थी।

नेताजी जैसे ही पार्टी कार्यालय पहुंचे पार्टी का मुखिया राशन पानी लेकर नेताजी पर चढ़ बैठा,

"तुमसे बड़ा अहमक और जाहिल आदमी आजतक राजनीति में नहीं देखा"?

"क्यों हुजूर, ऐसा क्या अपराध कर दिया हमने? आपकी  पार्टी की जीत पक्की कर दी"।

"और जो बेवकूफ़ी भरी घोषणा कर आये हो, उसे कौन पूरा करेगा"?

"आपने भी तो पिछले चुनाव में घोषणायें की थीं, वह पूरी कर दीं क्या"?

 मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 751

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on June 22, 2018 at 4:23pm

हार्दिक आभार आदरणीय बृजेश कुमार 'ब्रज'जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 22, 2018 at 4:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on June 22, 2018 at 4:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 22, 2018 at 11:16am

उम्दा कटाक्ष किया है लघुकथा के माध्यम से आदरणीय...सादर

Comment by Samar kabeer on June 20, 2018 at 9:46pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा हुई है,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on June 20, 2018 at 6:30pm

उम्दा लघुकथा है आदरणीय तेज़ वीर सिंह जी। हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए। सादर। 

Comment by TEJ VEER SINGH on June 20, 2018 at 4:40pm

हार्दिक आभार आदरणीय नीलम उपाध्याय जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on June 20, 2018 at 3:30pm

आदरणीय  तेजवीर सिंह जी, नमस्कार ।  बहुत ही सही कहा।   घोषणाएं तो होती ही हैं दोहराने के लिए ।  प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।     

Comment by TEJ VEER SINGH on June 20, 2018 at 2:21pm

हार्दिक आभार आदरणीय बबिता गुप्ता जी।

Comment by babitagupta on June 20, 2018 at 1:21pm

खोखली राजनितिक घोषणाओं का मखोल उडाती बेहतरीन लघु कथा,बधाई स्वीकार कीजिएगा आदरणीय सर जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service