For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शील्डिंग ( ढाल) [लघुकथा]

"इन भूखों को कैसे सबक़ सिखाना है, मुझसे पूछो!" आधुनिक नव-यौवना ने पास ही खड़ी किशोर उम्र भतीजी की अत्याधुनिक कसी हुई पोशाक उसके शरीर पर किसी तरह समायोजित करते हुए कहा।

"इन पर ध्यान दिए बिना, है न!"

"हां, इन्हें दूर से ही अपनी आंखें सेंकने दो! कुछ गड़बड़ करें या छुएं, तभी अपने नुस्ख़े आजमाना है, समझीं! नीयत तो अधिकतर की वही होती है!" भतीजी की बात पर समझाते हुए युवती ने कहा - "नये ज़माने के साथ चलो और इसी ज़माने की ढालें साथ लेकर चलो! तन को पूरा ढंकलो या मनचाहा उघाड़ो , मर्द अपनी जात और औकात नहीं छोड़ता!"


"पापा ने इसीलिए तो हमें जुडो-कराटे भी सिखाया है!" भतीजी उचकती हुई चारों तरफ़ घूम कर इतरा कर बोली - "आप तो इसके अलावा दो-तीन तरह की पाउडर-पुड़िया और नक़ाब वग़ैरह भी हमेशा पास में रखती हो न!"


"... और क्या! अधिकतर जगहों पर संस्कार और संस्कृति की शील्डिंग अब काम नहीं करती! सब कुछ बदल गया है खुलेपन से!"


"फिर भी तो कितने किस्म से रेप हो रहे हैं!" समाचारों पर भौंचक्की सी भतीजी की बात पर अब वह युवती निरुत्तर थी!


(मौलिक व अप्रकाशित)

Views: 549

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on April 25, 2018 at 10:57pm

अपने विचार साझा करने, अनुमोदन और हौसला अफ़ज़ाई के लिए बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब समर कबीर साहिब, जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहिब, जनाब विजय निकोरे साहिब, आदरणीया कल्पना भट्ट जी और आदरणीया नीलम उपाध्याय जी

Comment by Samar kabeer on April 17, 2018 at 12:15pm

जनाब शैख़ शहज़ाद उस्मानी जी आदाब, आज के हालात पर बहतरीन लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by vijay nikore on April 17, 2018 at 9:36am

आज की स्थिति को बहुत ही अच्छा उकेरा है आपने इस लघु कथा में। हार्दिक बधाई, भाई शेख शहज़ाद उस्मानी जी।

Comment by Neelam Upadhyaya on April 16, 2018 at 4:16pm

आदरणीय उसमानी जी, नमस्कार । अच्छी लघु कथा की प्रस्तुति पर बधाई ।

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on April 16, 2018 at 3:44pm

हार्दिक बधाई इस लघुकथा के लिए| 

Comment by Mohammed Arif on April 15, 2018 at 10:11am

आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी आदाब,

                                               बेटियों के ऊपर होते लगातार यौन हमलों, संस्कृति और संस्कार के प्रति उग्र होते नज़रिये , बदलाव की आग को दर्शाती बेहतरीन लघुकथा । संवादों भी आक्रोश भरे और बदलाव और बदले की भावना से ओतप्रोत । होना भी चाहिए । जिस तरह हमारा देश बेटियों के दुष्कर्म के संक्रमण-काल से गुज़र रहा है उसका सीधा-सीधा प्रभाव क़लम से उभरकर बाहर आ रहा है । हार्दक बधाई स्वीकार करें इस सामयिक लघुकथा के लिए ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"बहुत बेहतरीन ग़ज़ल। एक के बाद एक कामयाब शेर। बहुत आनंद आया पढ़कर। मतले ने समां बांध दिया जिसे आपके हर…"
1 hour ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - आँखों की बीनाई जैसा
"आ. अमीरुद्दीन अमीर साहब जब मलाई लिख दिया गया है यानी किसी प्रोसेस से अलगाव तो हुआ ही है न..दूध…"
23 hours ago
Ashok Kumar Raktale commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी सादर, पहलगाम की जघन्य आतंकी घटना पर आपने अच्छे दोहे रचे हैं. उस पर बहुत…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा चतुर्दशी (महाकुंभ)
"आदरणीय सुरेश कल्याण जी, महाकुंभ विषयक दोहों की सार्थक प्रस्तुति के लिए हार्दिक धन्यवाद. एक बात…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"वाह वाह वाह !  आदरणीय सुरेश कल्याण जी,  स्वामी दयानंद सरस्वती जैसे महान व्यक्तित्व को…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मौत खुशियों की कहाँ पर टल रही है-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"जय हो..  हार्दिक धन्यवाद आदरणीय "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post पहलगाम ही क्यों कहें - दोहे
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  जिन परिस्थितियों में पहलगाम में आतंकी घटनाओं को अंजाम दिया गया, वह…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी left a comment for Shabla Arora
"आपका स्वागत है , आदरणीया Shabla jee"
Monday
Shabla Arora updated their profile
Monday
Shabla Arora is now a member of Open Books Online
Monday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . अपनत्व
"आदरणीय सौरभ जी  आपकी नेक सलाह का शुक्रिया । आपके वक्तव्य से फिर यही निचोड़ निकला कि सरना दोषी ।…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-174
"शुभातिशुभ..  अगले आयोजन की प्रतीक्षा में.. "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service