For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

भीड़तंत्र - लघुकथा

 इंडिया गेट पर गुलाब सिंह अपने औटो से  जा रहा था। तभी वहाँ तैनात हवलदार रोशन ने उसे रोक दिया।

"आज इधर से वाहनों के लिये मार्ग बंद है। केवल पैदल यात्री ही जा सकते हैं"।

"भाई, आज अचानक ऐसा क्यों"?

"इस में इतना चोंकने वाली क्या बात है। आज मंत्री जी की रैली है"।

"वह किसलिये"?

 "मंत्री जी के दामाद को गिरफ़्तार ना किया जाय, इसलिये"।

"ऐसा क्या किया है उनके दामाद ने"?

 "उनका दामाद दरोगा है, उसने अपने ही मातहत एक हवलदार की पत्नी के साथ बलात्कार किया था"।

"तो फ़िर तो उसे गिरफ़्तार होना ही चाहिये"?

"पर मंत्री जी का कहना है कि वह औरत चरित्रहीन थी।पैसे लेकर धंधा करती थी"।

"पर इसका फ़ैसला तो अदालत करेगी"?

"इसीलिये तो यह सब नाटक हो रहा है ताकि अदालत पर दबाव बने"।

"अदालत को तो सबूत चाहिये"?

"उसके लिये भी मंत्री जी ने बीस बाईस लोगों द्वारा  हलफ़नामे दाखिल कराये हैं कि उन लोगों ने भी उस औरत से पैसे देकर शारीरिक संबंध बनाये थे"।

"पर उस औरत का क्या कहना है"?

"उसका तो एक ही बयान हुआ था एस पी के आगे। उसके बाद तो इतनी बदनामी होने के बाद उसने आत्महत्या ही कर ली"।

"और उसका आदमी"?

"मंत्री जी ने पहले तो उसे सब्ज़वाग दिखाये। दरोगा बनाने का लालच दिया। नहीं माना तो भीड़ से पिटवा दिया। अस्पताल में जीवन मृत्यु से संघर्ष कर रहा है"।

"भाई, तुम भी तो पुलिस में हो तुम्हें क्या लगता है"?

"देख भाई,अब सरकारी नौकरी का एक ही उसूल है। आँख और  कान खुले रखो, मुँह बंद रखो। नौकरी पक्की"।

"भाई, आजकल यह  क्या हो रहा है, हमारा यह देश किस ओर जा रहा है"?

"भाई, मेरे विचार से यह देश अब लोक तंत्र से नहीं भीड़ तंत्र से चलाया जा रहा है"।

.

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 753

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on February 4, 2018 at 12:36pm

जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा लघुकथा लिखी आपने,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।

Comment by नाथ सोनांचली on February 4, 2018 at 10:31am

आद0 तेजवीर जी सादर अभिवादन। अच्छा व्यंग समाज मे भीड़ के द्वारा दबाव बनाने की नीति पर। इस प्रस्तुति पर मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 4, 2018 at 10:11am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on February 4, 2018 at 9:39am

कड़वे सच को शाब्दिक करती बढ़िया भावपूर्ण विचारोत्तेजक रचना के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on February 3, 2018 at 1:31pm

हार्दिक आभार आदरणीय तस्दीक अहमद खान साहब जी।

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on February 3, 2018 at 12:09pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,सियासत दानों पर चोट कसती उम्दा लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
6 hours ago
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
6 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
11 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद  रीति शीत की जारी भैया, पड़ रही गज़ब ठंड । पहलवान भी मज़बूरी में, पेल …"
13 hours ago
आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
Thursday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Nov 16

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service