For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बसंत - लघुकथा –

रजनी के पति का जन्म बसंत पंचमी को हुआ था इसलिये घरवालों ने उसका नाम बसंत ही रख दिया था। रजनी उसके जन्म दिन को खूब जोश  के साथ मनाती थी। शादी को चार साल हुए थे लेकिन अभी तक उसकी गोद खाली थी। इसका एक मुख्य कारण उसके पति का सेना में होना भी था। चूंकि बसंत की तैनाती सीमा पर थी अतः परिवार साथ नहीं रख सकता था।

अभी कुछ दिन पहले एक फोन आया था कि बसंत लापता है, तलाश जारी है। रजनी के अरमानों पर तो मानो वज्रपात हो गया था। वह बसंत के जन्म दिन के लिये क्या क्या सपने बुन रही थी। क्योंकि बसंत ने उसे बोला था कि कुछ भी हो जाय जन्म दिन तो हम एकसाथ ही मनायेंगे।

रजनी बसंत पंचमी के दिन सुबह से उदास और गुमसुम बैठी थी। बार बार बसंत की दी गयी बसंती रंग की साड़ियों को निहार रही थी। बसंत अपने जन्म दिन पर हर बार एक नयी साड़ी भेंट करता था, जिसका बेस रंग बसंती होता था ।

तभी रजनी की ननद ने एक पैकेट लाकर रजनी को दिया,"भाभी, आपके लिये कोरियर आया है"।

रजनी ने बेमन से पैकेट खोला।उसमें एक बहुत खूबसूरत बसंती रंग की साड़ी निकली। उसमें दो पंक्ति का सूक्ष्म सा पत्र निकला।

लिखा था,"मैं कहीं भी रहूं, मेरे जन्म दिन पर तुम सदैव नयी बसंती साड़ी पहनना। मुझे खुशी होगी"।

 तुम्हारा बसंत।

सासु और ननद के दबाव में रजनी ने नयी साड़ी पहन ली। आइंने के आगे खुद को निहार रही थी।

उसी समय किसी ने पीछे से उसकी दोनों आँखें बंद कर दीं और धीरे से कान में बोला,"इतना सजोगी तो नज़र लग जायेगी"?

 रजनी हड़बड़ाकर पीछे मुड़ी। सामने बसंत को देखकर डाल की तरह टूट कर उसके आगोश में समा गयी।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 881

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by TEJ VEER SINGH on January 26, 2018 at 8:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय विजय निकोरे जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 26, 2018 at 8:36pm

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी साहब जी।

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 26, 2018 at 5:57am

बहुत बढ़िया पेशकश के लिए हार्दिक बधाई आदरणीय तेज वीर सिंह जी।

Comment by vijay nikore on January 25, 2018 at 1:12pm

आपकी यह लघु कथा पढ़ कर आनन्द आ गया। हार्दिक बधाई, तेज वीर सिंह जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 24, 2018 at 10:07pm

हार्दिक आभार आदरणीय सुरेंद्र इंसान जी।

Comment by surender insan on January 24, 2018 at 1:59pm

बहुत अच्छी सार्थक रचना जी।बहुत बहुत बधाई हो जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 24, 2018 at 10:09am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on January 24, 2018 at 10:08am

हार्दिक आभार आदरणीय महेंद्र कुमार जी।

Comment by Mohammed Arif on January 24, 2018 at 8:04am

आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,

                       बहुत ही सशक्त और प्रभावशाली लघुकथा । हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।

Comment by Mahendra Kumar on January 23, 2018 at 8:15pm

अच्छी लघुकथा है आ. तेज वीर सिंह जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी, मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। आपने सही कहा…"
Wednesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"जी, शुक्रिया। यह तो स्पष्ट है ही। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सराहना और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लघुकथा पर आपकी उपस्थित और गहराई से  समीक्षा के लिए हार्दिक आभार आदरणीय मिथिलेश जी"
Tuesday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आपका हार्दिक आभार आदरणीया प्रतिभा जी। "
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"लेकिन उस खामोशी से उसकी पुरानी पहचान थी। एक व्याकुल ख़ामोशी सीढ़ियों से उतर गई।// आहत होने के आदी…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"प्रदत्त विषय को सार्थक और सटीक ढंग से शाब्दिक करती लघुकथा के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। प्रदत्त विषय पर सटीक, गागर में सागर और एक लम्बे कालखंड को बख़ूबी समेटती…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"हार्दिक धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर साहिब रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर प्रतिक्रिया और…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"तहेदिल बहुत-बहुत शुक्रिया जनाब मनन कुमार सिंह साहिब स्नेहिल समीक्षात्मक टिप्पणी और हौसला अफ़ज़ाई…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीया प्रतिभा जी प्रदत्त विषय पर बहुत सार्थक और मार्मिक लघुकथा लिखी है आपने। इसमें एक स्त्री के…"
Tuesday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान ______ 'नवेली की मेंहदी की ख़ुशबू सारे घर में फैली है।मेहमानों से भरे घर में पति चोर…"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service