For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रतिबंधित मुलाकात हुई है-ग़ज़ल

22 22 22 22

उनसे मेरी बात हुई है
प्रतिबंधित मुलाक़ात हुई है

सारे स्वप्न तरल हैं मेरे
देखो तो बरसात हुई है

स्याही बन कर भस्म्है बिखरी
यूँ न अधेरी रात हुई है

मन खुद में ही खोज खुदी से
शांति कहाँ, आयात हुई है

दिल वो जीते दर्द मग़र हम
मत समझो बस मात हुई है

मौलिक अप्रकाशित

Views: 766

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by surender insan on January 11, 2018 at 4:32pm

वाह जी वाह बहुत बढ़िया अशआर जी। बधाई स्वीकार करे जी।

उन2से2 मे2री2 बा2त1 हु1ई2है2

प्रतिबंधित मुलाक़ात हुई है

सानी की तक़तीय बताये ।

सादर जी।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 11, 2018 at 4:26pm

आदरणीय लक्ष्मण सर जी सादर आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 11, 2018 at 4:26pm

प्रिय सतविंदर भाई जी सादर आभार

Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on January 11, 2018 at 3:03pm

आ. भाई पंकज जी, अच्छी गजल हुई है हार्दिक बधाई ।

Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on January 10, 2018 at 11:24pm

बेहतरीन आदरणीय पंकज भाई साहब।

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 10, 2018 at 10:45pm

आदरणीय बृजेश जी तारीफ के लिए बहुत बहुत आभार

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 10, 2018 at 10:45pm

आदरणीय अफरोज जी आपके द्वारा सुझाई गई कमी को दूर करने के लिए मैंने शेर में परिवर्तन कर दिया

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on January 10, 2018 at 10:11pm

क्या कहने आदरणीय बहुत ही खूब ग़ज़ल कहीं..सादर

Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 9, 2018 at 10:25pm

आदरणीय अफ़रोज़ जी, आपकी बात सही है, सुधार होना चाहिए, शुक्रिया

Comment by Afroz 'sahr' on January 9, 2018 at 5:05pm
जनाब पंकज जी हिफ़ाज़त "सौंपी" जाती है । सौंपा नहीं जाता,,,,वैसे आपने आपके हिसाब से सही बाँधा है तो कोई बात नहीं आप स्वतंत्र हैं ।,,,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .मतभेद
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
34 minutes ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Monday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-169

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Monday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बेहतरीन 👌 प्रस्तुति और सार्थक प्रस्तुति हुई है ।हार्दिक बधाई सर "
Monday
Dayaram Methani commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post मन में केवल रामायण हो (,गीत)- लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, अति सुंदर गीत रचा अपने। बधाई स्वीकार करें।"
Sunday
Dayaram Methani commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post लघुकविता
"सही कहा आपने। ऐसा बचपन में हमने भी जिया है।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' shared their blog post on Facebook
Sunday
Sushil Sarna posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
Dharmendra Kumar Yadav posted a blog post

ममता का मर्म

माँ के आँचल में छुप जातेहम सुनकर डाँट कभी जिनकी।नव उमंग भर जाती मन मेंचुपके से उनकी वह थपकी । उस पल…See More
Saturday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-116
"हार्दिक स्वागत आपका और आपकी इस प्रेरक रचना का आदरणीय सुशील सरना जी। बहुत दिनों बाद आप गोष्ठी में…"
Nov 30

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service