For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता- सलीम रज़ा रीवा

212 1222   212 1222

साथ तुम नहीं होते कुछ मज़ा नहीं होता
मेरे घर में खुशियों का सिलसिला नहीं होता 
-
राह पर सदाक़त की गर चला नहीं  होता 
सच हमेशा कहने का  हौसला नहीं होता
-
कोशिशों से  देता  है  रास्ता समंदर भी
हौसला रहे क़यिम फिर तो क्या नहीं होता
-
कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में 
दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता
-
थोड़े ग़म ख़ुशी थोड़ी,थोड़ी सिसकियाँ भी है
ज़िन्दगी से अब हमको कुछ गिला नहीं होता
-
डूबती नहीं कश्ती पास आके साहिल के 
बे वफ़ा अगर मेरा  नाख़ुदा  नहीं  होता 
-
उसकी शोख़ नज़रों ने ज़िन्दगी बदल डाली
वो अगर नहीं होता कुछ '' रज़ा '' नहीं होता
.......

मौलिक एवं अप्रकाशित 
 

Views: 854

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 11:02pm
जनाब अफरोज साहब, नवाज़िश के लिए शुक्रिया.
Comment by TEJ VEER SINGH on December 31, 2017 at 6:36pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सलीम रज़ा रीवा साहब जी।आदाब ।बेहतरीन गज़ल।

राह पर सदाक़त की गर चला नहीं  होता 
सच हमेशा कहने का  हौसला नहीं होता

Comment by SALIM RAZA REWA on December 31, 2017 at 5:10pm

जनाब समर साहब आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया ✍️

Comment by Afroz 'sahr' on December 29, 2017 at 3:20pm

आदरणीय सलीम रज़ा साहिब उम्दा कलाम बहुत मुबारकबाद आपको,,,

Comment by Mahendra Kumar on December 28, 2017 at 2:56pm

बढ़िया ग़ज़ल हुई है आ. सलीम जी. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. सादर.

Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2017 at 2:15pm

आद0 सलीम रज़ा साहब सादर अभिवादन। बेहतरीन ग़ज़ल हुईहै। हरेक शैर दमदार। वाह वाह।इस शैर पर अतिरिक्त दाद 

कम खुशी नहीं होती मेरे घर के आँगन में 

दिल अगर नहीं बंटता, घर बंटा नहीं होता

Comment by Ajay Tiwari on December 28, 2017 at 1:48pm

आदरणीय सलीम साहब, खूबसूरत ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई.  

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 28, 2017 at 9:44am

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब , बहुत ही उम्दा और कामयाब मुरस्सा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमायें ।

Comment by Mohammed Arif on December 28, 2017 at 7:40am

आदरणीय सलीम रज़ा साहब आदाब,

                               शिकवा- शिकायत कुछ अपनों से उम्मीद की आरज़ू वाली बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र माकूल । दिली मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।

Comment by Samar kabeer on December 27, 2017 at 10:42pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब आदाब,अच्छी ग़ज़ल हुई,दाद के साथ मुबारकबाद पेश करता हूँ ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर

1222-1222-1222-1222जो आई शब, जरा सी देर को ही क्या गया सूरज।अंधेरे भी मुनादी कर रहें घबरा गया…See More
21 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"जय हो.. "
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह .. एक पर एक .. जय हो..  सहभागिता हेतु आपका हार्दिक धन्यवाद, आदरणीय अशोक…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"क्या बात है, आदरणीय अशोक भाईजी, क्या बात है !!  मैं अभी समयाभाव के कारण इतना ही कह पा रहा हूँ.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी, आपकी प्रस्तुतियों पर विद्वद्जनों ने अपनी बातें रखी हैं उनका संज्ञान लीजिएगा.…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपकी सहभागिता के लि हार्दिक आभार और बधाइयाँ  कृपया आदरणीय अशोक भाई के…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाई साहब, आपकी प्रस्तुतियाँ तनिक और गेयता की मांग कर रही हैं. विश्वास है, आप मेरे…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, इस विधा पर आपका अभ्यास श्लाघनीय है. किंतु आपकी प्रस्तुतियाँ प्रदत्त चित्र…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय मिथिलेश भाईजी, आपकी कहमुकरियों ने मोह लिया.  मैंने इन्हें शमयानुसार देख लिया था…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय मिथिलेश जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों पर उत्साहवर्धन के लिए आपका हृदय से आभार.…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 171 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत मुकरियों की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service