For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो - सलीम रज़ा रीवा

 212 212 212 212 -
रंज -ओ-ग़म ज़िंदगी के भुलाते रहो
गीत ख़ुशिओं के हर वक़्त गाते रहो
-
मोतियों  की तरह जगमगाते रहो
बुल बुलों की तरह चहचहाते रहो
-
जब तलक आसमां में सितारें रहें
ज़िंदगी में  सदा  मुस्कुराते  रहो
-
इतनी खुशियां मिले ज़िंदगी में तुम्हे
दोनों हांथों से  उनको  लुटाते  रहो
-
सिर्फ़ कल की करो दोस्तों फिक़्र तुम
जो गया वक़्त उसको भुलाते रहो
-
हम भी तो आपके जां  निसारों में हैं
क़िस्सा- ए- दिल हमें भी सुनाते रहो
-
ख़ुद ब ख़ुद ही फ़ज़ाएँ महक जाएंगी
अपनी ज़ुल्फ़ें हवा में उड़ाते रहो
-
रात यूँ ही न कट पाएगी जाग कर
कुछ तो मेरी सुनो कुछ सुनाते रहो
-
रोशनी कम "रज़ा" हो न जाये कहीं
तुम शम्अ अंजुमन में जलाते रहो

....

मौलिक एवं अप्रकाशित 

Views: 798

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SALIM RAZA REWA on December 20, 2017 at 7:50am
अफ़रोज साहब खुशियों कर लिया जाएगा आपका बहुत शुक्रिया.
Comment by SALIM RAZA REWA on December 20, 2017 at 7:47am
जनाब अफ़रोज साहब,
ग़ज़ल पर आपकी नज़रे इनायत के लिए शुक्रिया, आपकी सख़ावत कि खुश्बू यूँ है बनी रहे.
Comment by SALIM RAZA REWA on December 20, 2017 at 7:41am
आ. सतविन्द्र कुमार जी,
आपकी ग़ज़ल पर शिर्कत और आपकी मुबारक़बाद का बहुत शुक्रिया.,
Comment by Afroz 'sahr' on December 19, 2017 at 11:57pm
आदरणीय सलीम रजा़ साहिब बहुत ख़ूबसूरत गज़ल शेर दर शेर दाद केसाथ मुबारकबाद पेश करता हूँ।,,,,
"ख़ुशिओं", को ख़ुशियों करलें।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 19, 2017 at 9:15pm

आदरणीय सलीम रजा रेवा जी उम्दा अशार निकले हैं.हार्दिक मुबारकबाद

Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 7:00pm
सुरेंद्र जी आपकी महब्बत के लिए शुक्रिया.
Comment by नाथ सोनांचली on December 19, 2017 at 6:31pm

आद0 सलीम साहब सादर अभिवादन। अच्छी ग़ज़ल हुई है। शैर दर शैर दाद और मुबारकबाद कुबूल फरमायें। सादर

Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 6:29pm
आली जनाब तस्दीक साहब,
आपकी महब्बत और दुआओं के लिए शुक़गुज़ार हूँ, इस नाचीज़ पर यूँ ही करम फरमाते रहे..
Comment by SALIM RAZA REWA on December 19, 2017 at 6:26pm
मोहतरम जनाब समर साहब,
ग़ज़ल पे आपकी महब्बत और नाचीज़ पर इनायत के लिए . बड़े अदब - ओ-एहतराम से शुक्रिया अदा करता हूं....
Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 19, 2017 at 5:50pm

जनाब सलीम रज़ा साहिब , उम्दा ग़ज़ल हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। दोहों पर मनोहारी प्रतिक्रिया के लिए हार्दिक आभार।"
14 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
16 hours ago
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी , सहमत - मौन मधुर झंकार  "
16 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"इस प्रस्तुति पर  हार्दिक बधाई, आदरणीय सुशील  भाईजी|"
17 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"विषय पर सार्थक दोहावली, हार्दिक बधाई, आदरणीय लक्ष्मण भाईजी|"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाईसुशील जी, अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति व उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।  इसकी मौन झंकार -इस खंड में…"
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा पंचक. . . .  जीवन  एक संघर्ष जब तक तन में श्वास है, करे जिंदगी जंग ।कदम - कदम…"
yesterday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 163

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
yesterday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"उत्तम प्रस्तुति आदरणीय लक्ष्मण धामी जी ।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170
"दोहा अष्टक***हर पथ जब आसान हो, क्या जीवन संघर्ष।लड़-भिड़कर ही कष्ट से, मिलता है उत्कर्ष।।*सहनशील बन…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service