For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लघुकथा -– आँखें -

लघुकथा -– आँखें  -

"सुबोध, यह क्या हिमाक़त है। मुझे पता चला है कि तुमने एक अंधी लड़की से शादी करने का फ़ैसला किया है"?

"जी पिताजी, आपने बिलकुल सही सुना है"।

"तुम्हारा दिमाग तो नहीं खराब हो गया। तुम एक अरबपति व्यापारी की इकलौती संतान हो। साथ ही जाने माने डाक्टर भी हो। तुम्हारे लिये कितने बड़े घरानों से रिश्ते आ रहे हैं, कुछ पता है"?

"मगर मेरा फ़ैसला अटल है"।

"ऐसी क्या वज़ह है जो तुम परिवार के मान सम्मान और प्रतिष्ठा को दॉव पर लगा कर उस मामूली से परिवार की लड़की से शादी पर आमादा हो"?

"मेरे विचार से इस शादी से आपके मान सम्मान में और चार चाँद लग जायेंगे। समाज में आपका रुतबा और बढ़ जायेगा"।

"मगर तुमने अभी तक मुझे इस शादी के निर्णय का कारण नहीं बताया"?

"पिताजी, जब मैं डाक्टरी पढ़ रहा था, यह लड़की भी मेरे साथ डाक्टरी कर रही थी।लैबोरेटरी में मेरी लापरवाही से उसके चेहरे पर तेज़ाब गिर गया और उसकी दोनों आँखें खराब हो गयीं। उस लड़की ने कभी किसी से मेरा नाम नहीं लिया| जबकि उसका पूरा कैरियर बरबाद होगया”।

“फिर तुम इतने परेशान किसलिये हो”?

“उस घटना के बाद से  उसकी खूबसूरत आँखें मेरा पीछा नहीं छोड़ रहीं।दिन रात,सोते जागते, हर वक्त मुझे यही लगता है जैसे वे आँखें मेरा पीछा कर रही हैं और मुझे धिक्कार रही हैं"।

 "बस, इतनी सी बात है, इस मामले को तो एक मोटी रक़म दे कर भी निबटाया जा सकता है"।

"पिताजी, इंसान की हर भूल की कीमत पैसे से नहीं चुकाई जा सकती"।

मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 572

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on December 5, 2017 at 8:26pm

३ दिसंबर, अंतराष्ट्रीय विकलांग दिवस के लिए इससे अच्छे लाघकथा नहीं हो सकती थी. मेरी समझ के अनुसार! बधाई आदरणीय !

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on December 5, 2017 at 7:38pm

मुहतरम जनाब तेजवीर साहिब ,अच्छी लघुकथा हुई है ,मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं

Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2017 at 6:22pm

हार्दिक आभार आदरणीय डॉ पवन मिश्रा जी।

Comment by डॉ पवन मिश्र on December 3, 2017 at 2:41pm
अत्यंत सार्थक कथा। शुभकामनाएं आदरणीय
Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2017 at 1:05pm

हार्दिक आभार आदरणीय समर क़बीर साहब जी।आदाब।

Comment by Samar kabeer on December 3, 2017 at 12:21pm
जनाब तेजवीर सिंह जी आदाब,बहुत उम्दा और सार्थक लघुकथा,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2017 at 11:04am

हार्दिक आभार आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी।

Comment by TEJ VEER SINGH on December 3, 2017 at 11:03am

हार्दिक आभार आदरणीय शेख उस्मानी जी।

Comment by Mohammed Arif on December 2, 2017 at 8:48pm
आदरणीय तेजवीर सिंह जी आदाब,
समाज में ऐसे कई दिव्यांग होते हैं जिनकी ज़िंदगी ख़ुशियों से मेहरूम होती है । उनकी ज़िंदगी में भी ख़ुशियाँ लौटकर आ सकती हैं जब सुबोध जैसे युवा अगर सामने आएँ । सुबोध ने एक उच्च आदर्शवादिता का परिचय दिया है । कथा प्रभावी और संदेशप्रद है । मुझे एक बात समझ में यह नहीं आई कि मेडिकल की पढ़ाई करते समय क
क्या लेब में तेज़ाब भी होता है ? भला मेडिकल की पढ़ाई में लेब में तेज़ाब का क्या काम ? हार्दिक बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on December 2, 2017 at 8:43pm
बेहतरीन विचारोत्तेजक, प्रेरक रचना के लिए सादर हार्दिक बधाई आदरणीय तेजवीर सिंह जी। // उस लड़की ने कभी किसी से मेरा नाम नहीं लिया| //.. यह पंक्ति और अंतिम पंक्ति बहुत कुछ कह रही है।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त चित्रानुसार उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
4 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
30 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
53 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
58 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
1 hour ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service