For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कहीं दीप जले, कहीं दिल (लघुकथा)/ शेख़ शहज़ाद उस्मानी

"चलो दिल बहलाने के लिए अब शतरंज खेलते हैं!"
"ठीक है, लेकिन जीतोगी तो तुम ही!"
"ऐसा मत कहो, दिल बहुत भारी है, कोई भी जीते!"
"सच कहती हो, जीत और हार तो अब इस ताजमहल के इतिहास और हक़ीक़त की होनी है, मुमताज़!"
"आज मुझे अर्जुमंद ही कहो, मुमताज़ नहीं, मेरे ख़ुर्रम! ये इक्कीसवीं सदी का हिन्दुस्तान है, डार्लिंग! कुछ देर आज के लवर्स की तरह बातचीत कर लो न! कल यहां क्या हो, किसने जाना!"
"सही कहा तुमने! सुना है यहां का इतिहास बदलने की धमकियां दी जा रही हैं! तुम्हारा ये ताजमहल अब 'तेजो महल' साबित करने की कोशिशें की जा रही हैं! कहीं हमारे नाम भी बदल न दिये जायें!"
"ओह नो! हाउ इज़ इट पॉसीबल, डियर! हाउ डेअरिंग! ये लोग तो ये भी साबित कर देंगे कि यहां हमारी क़ब्रें नहीं, किसी हिन्दू राजा-रानी की समाधियां हैं!"

ताजमहल पर विवाद सुनकर और अयोध्या में छोटी दीवाली पर दीप जलाने के विश्व रिकॉर्ड बनाये जाने पर आज बादशाह शाहजहां और मुमताज महल की रूहें अपने ताजमहल को निहारते हुए शतरंज की बिसात पर बैठे हुए बतौर नये ज़माने के प्रेमी-प्रेमिका बातचीत कर अपने ग़म साझा कर दिल हल्के करने की कोशिशें कर रहे थे। बीच में खेल रोकते हुए मुमताज़ ने ताजमहल को देखकर कहा- "ख़ुर्रम! अयोध्या में लाखों दीयों की रोशनी की गई, क्या यहां की मस्जिद में लाखों लोग नमाज़ अदा कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बना सकेंगे?"
"दैट्स नॉट पॉसीबल अर्जुमंद! डोन्ट यू नो, इस मुल्क की हज़ारों मस्जिदों तक में नमाज़ियों की तादाद घट रही है!"
"ये मॉडर्न हिन्दुस्तान है, फ़िर भी मन्दिर-मस्जिदों में करोड़ों रुपये फूंके जा रहे हैं, मज़हब के नाम पर लोग आपस में लड़ रहे हैं!" मुमताज़ ने शाहजहां की गोद में सिर रखते हुए कहा-"ख़ुर्रम! तुम्हारे दादाजान के 'दीन-ए-इलाही' का क्या हुआ? हिन्दुस्तानियों ने उससे कोई सबक़ नहीं सीखा?"
"ये इतिहास से सीख नहीं रहे, इतिहास बदल रहे हैं, मुझे तो इस ताजमहल की फ़िक्र हो रही है!"
"परेशान मत हो! कोई तुम्हारे किये पर पानी नहीं फेरेगा। दुनिया भर में इसके करोड़ों दीवाने थे और रहेंगे। सुना तो ये भी है कि हमारे ताजमहल के लिए भी करोड़ों रुपयों के प्रोजेक्ट तय हुए हैं, इज़ इट ट्रू, डार्लिंग!"
"हो सकता है, लेकिन यह भी तो सुना है कि यहां भ्रष्टाचार बहुत है, कितना पैसा कहां जाता है, यहां के लोग जान गये हैं; उनके ज़रूरी मसले कहां हल हो रहे हैं?"
"हां, नेता शो-मैन हो गये हैं और विरासतें शो-पीस!" मुमताज़ की तेज़ हंसी के साथ शाहजहां का ठहाका परिसर में गूंज उठा और दोनों की रूहें अपने-अपने मुकामों पर पहुंच गईं।

(मौलिक व अप्रकाशित)

[19 अक्टूबर, 2017; दीपोत्सव]

Views: 945

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2017 at 6:20am
मेरी यह लघुकथा पसंद करने व समीक्षात्मक टिप्पणी द्वारा हौसला अफज़ाई के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया आदरणीया नीता कसार जी, आदरणीया कल्पना भट्ट जी और आदरणीय जवाहर लाल सिंह जी।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2017 at 6:17am
मेरी इस ब्लॉग पोस्ट पर वक़्त देकर अनुमोदन व समीक्षात्मक टिप्पणी द्वारा हौसला अफज़ाई के लिए सादर हार्दिक आभार आदरणीय डॉ. आशुतोष मिश्रा साहब, आदरणीय अफ़रोज़'सहर'साहब, और जनाब सुरेन्द्र नाथ सिंह 'कुशक्षत्रप' ।
Comment by Sheikh Shahzad Usmani on October 30, 2017 at 6:15am
एक बार फिर से मेरी रचना पर समय देकर अनुमोदन व समीक्षात्मक टिप्पणी द्वारा प्रोत्साहित करने के लिए तहे दिल से बहुत-बहुत शुक्रिया मुहतरम जनाब मोहम्मद आरिफ़ साहब, जनाब समर कबीर साहब, जनाब अजय तिवारी साहब और डॉ. विजय शंकर जी।
Comment by Nita Kasar on October 23, 2017 at 2:17pm
ताजमहल को लेकर सच्चाई से रूबरू कराती कथा लिखी है,आपकी ही नही हम सबकी चिंता की वजह बन गया है आज हमारा बेहद खूबसूरत ताजमहल ।राजनीति का शिकार बन रहा है।कथा के जरिये कटु व्यंग्य भी वाजिब है।बधाई इस सार्थक प्रस्तुति के लिये आद०शेख शहज़ाद उस्मानी जी ।
Comment by नाथ सोनांचली on October 23, 2017 at 1:29pm
आद0 शेख शहजाद उस्मानी साहब सादर अभिवादन। बहुत बेह्तरीन लघुकथा लिखी आपने। गड़े मुर्दे उखाड़ने से कुछ नहीं होने वाला। जो सत्य है, सत्य रहेगा। कुछ मुट्ठीभरलोग आज ईतिहास बदलने की बात करने लगे है। वक़्त है उनका। वक़्त बदलेगा भी। जल्द ही यह अंधकार छटेगा। आपकी लघुकथा बेहद पसंद आई। बधाई इस प्रस्तुति पर। सादर
Comment by Dr. Vijai Shanker on October 23, 2017 at 5:16am
" हां, नेता शो-मैन हो गये हैं और विरासतें शो-पीस " कथा का सार इस छोटे से सच्चे वाक्य में आ गया है। इतिहास भी यही बताता है कि ऐतिहासिक शेष धरोहरें एक दिन किसी म्यूज़ियम में सजा दी जाती हैं। कितने भी मजबूत किले क्यों न बनवाये गए हों , एक दिन पर्यटन स्थल बन जाते हैं। लेकिन " नेता शो - मैन हो गए " , ये कुछ नया है। प्रस्तुति पर बधाई , आदरणीय शेख़ शहज़ाद उस्मानी जी , सादर।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 22, 2017 at 9:48pm

ऐतिहासिक धरोहर पर राजनीती बढती जा रही हैं , आपने जो सवाल उठाये हैं इस कथा के माध्यम से वे सभी सच में एक गंभीर चिंतन मांग रहे हैं | अच्छी कथा हुई है आदरणीय , हार्दिक बधाई |  

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on October 22, 2017 at 8:49pm

हंगामा खड़ा करना ही मकसद है, तस्वीर बदलने की चिंता किसी को नहीं।।। पर आपकी चिंता जायज है. आदरणीय उस्मानी साहब!

Comment by Dr Ashutosh Mishra on October 20, 2017 at 5:52pm
आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी बहुत ही शानदार कटाक्ष किया है आपने कोई भी अपनी चाल में सफल नहीं होगा। इतिहास बदलने का तो सवाल ही नहीं । ये लोग अपने निर्णय थोपना चाहते हैं । ये कुछ भी कर ले ताजमहल को जब भी देखा जाएगा जेहन में सिर्फ गूंजेगा मुहब्बत ज़िंदाबाद।।इस रचना के माध्यम से आइना दिखाने के लिए ढेर सारी बधाई सादर
Comment by Afroz 'sahr' on October 19, 2017 at 5:18pm
वाह वाहहहहहह क्या बात है उस्मानी साहब सफल लघु कथा । ख़ूबसूरत तंज़ ,,,मेंरी और से बहुत बधाई आपको,,,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

ajay sharma shared a profile on Facebook
2 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
Monday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
Sunday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service