For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल नूर की -जैसे धुल कर आईना फ़िर चमकीला हो जाता है,

22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 22/ 2 
.
जैसे धुल कर आईना फ़िर चमकीला हो जाता है,
रो लेता हूँ, रो लेने से मन हल्का हो जाता है.
.
मुश्किल से इक सोच बराबर की दूरी है दोनों में,
लेकिन ख़ुद से मिले हुए को इक अरसा हो जाता है.
.
फोकस पास का हो तो मंज़र दूर का साफ़ नहीं रहता,
मंजिल दुनिया रहती है तो रब धुँधला हो जाता है.
.
मन्दिर मस्जिद गुरुद्वारे में कोई काम नहीं मेरा
अना कुचल लेता हूँ अपनी तो सजदा हो जाता है.
.
ख़ुद की जानिब क़दम बढ़ाये जाता हूँ मैं सदियों से, 
कभी सफ़र में फ़ानी दुनिया में रुकना हो जाता है.
.
यादों के नन्हे छौने जब चरते हैं माज़ी की दूब
पीछे पीछे फिरता ये मन चरवाहा हो जाता है.
.
हरदम लड़ता रहता है हर बात पे मुझ से मेरा दिल
और मेरे पीछे हटते ही समझौता हो जाता है.
.
जब वो गले लगाता है तो रूह महकती है मेरी,
बारिश की पहली बूँदों से घर सौंधा हो जाता है.
.
“नूर” वली से लगते हो जब मैख़ाने के होते हो 
लेकिन दुनिया के होते ही सच झूठा हो जाता है..
.
निलेश "नूर"
मौलिक/ अप्रकाशित 

Views: 2182

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Aazi Tamaam on February 17, 2021 at 9:18pm

आदरणीय सादर प्रणाम

बता नहीं सकता इस ग़ज़ल को पड़ने के बाद कैसा लगा

इक इक शैर नायाब लगा नये जैसा लगा.......... 

मेरी सबसे पसंदिदा लाईन जो हर जगह याद आ ही जाती है 

" रो लेते हैं रो लेने से मन हल्का हो जाता है "

धन्यवाद ऐसी नायाब ग़ज़ल से रू ब रु कराने के लिये........ 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on March 8, 2018 at 8:58pm

शुक्रिया आ. अजय जी 

Comment by Ajay Tiwari on October 15, 2017 at 10:16am

आदरणीय निलेश जी.

उम्दा ग़ज़ल हुई है. शुभकामनाएं.

सादर 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 8, 2017 at 11:57pm

धन्यवाद आ. सौरभ सर,
निलेश (कृष्ण ) नाम है... अगली बार शिशुपाल के 100 गुनाह माफ़ कर दूँगा...
सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 8, 2017 at 11:43pm
सही है। वो टिप्पणी निहायत अनकॉल्ड फॉर है। किंतु, आप यहाँ रचनाकार हैं, संयम की अपेक्षा आपसे तनिक अधिक थी।
शुभेच्छाएँ
Comment by Nilesh Shevgaonkar on October 8, 2017 at 4:11pm

आ. सौरभ सर,
आपकी टिप्पणी की हमेशा ही प्रतीक्षा रहती है ...आज बड़े दिनों बाद आपकीदाद पाकर संतुष्टि हुई...
आपके दूसरे कमेंट से  भी पूर्णत: सहमत हूँ कि  रचना लेखक और पाठक को करीब लाती है ,,,उसी सम्बन्ध  से रचनाकर्म समृद्ध भी   होता है ..... आप सभी टिप्पणियों में वो सबसे पहली टिप्पणी देखें जिसके कारण मुझे बाद की सभी बातेंविवशता में लिखनी पडी...
कोई कैसे किसी के भावों को फैशनेबल सूफिज्म का हवाहवाई दर्शन कह के व्यंग्य कर सकता है... करेगा तो उचित जवाब भी पायेगा ...
सादर 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 7, 2017 at 8:46pm

इस प्रस्तुति पर आयी हुई सारी टिप्पणियाँ देख गया. मन व्यथित तो है लेकिन संयत भी है. आदरणीय नीरज जी और आदरणीय नीलेश जी दोनों एक-सी बातें दो ढंग में कर रहे हैं. ओबीओ के ढंग में ये बातें करें तो दोनों को एक-दूसरे की महती आवश्यकता है. शाब्दिक प्रस्तोता को पाठक-श्रोता चाहिए और श्रोता-पाठक को प्रस्तोता. दोनों के बीच अन्योन्याश्रय सम्बन्ध है. और पाठक-श्रोता कई बार वाहवाही नहीं करता. तो प्रस्तोता भी अपनी शैली को भिन्न-भिन्न आयाम देता रहता है. साहित्य को दोनों चाहिए. 

शुभेच्छाएँ 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on October 7, 2017 at 8:38pm

आज अरसे बाद आ पाया हूँ .. और आपकी प्रस्तुति देख रहा हूँ ..

आप बहुत बदमाश हैं .. काहे ऐसा लिखते हैं जी ?..

जलन होती है.. 

सलामत रहें.. सलामत रहें, आदरणीय नीलेश नूर जी 

शुभ-शुभ

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 26, 2017 at 3:33pm

शुक्रिया आ. डॉ साहब 

Comment by Nilesh Shevgaonkar on September 26, 2017 at 3:33pm

शुक्रिया आ. नन्द किशोर जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"जी, ऐसा ही होता है हर प्रतिभागी के साथ। अच्छा अनुभव रहा आज की गोष्ठी का भी।"
6 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"अनेक-अनेक आभार आदरणीय शेख़ उस्मानी जी। आप सब के सान्निध्य में रहते हुए आप सब से जब ऐसे उत्साहवर्धक…"
8 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"वाह। आप तो मुझसे प्रयोग की बात कह रहे थे न।‌ लेकिन आपने भी तो कितना बेहतरीन प्रयोग कर डाला…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"ग़ज़ल के लिए बधाई स्वीकार करें आदरणीय गिरिराज जी।  नीलेश जी की बात से सहमत हूँ। उर्दू की लिपि…"
12 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"धन्यवाद आ. अजय जी "
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"मोर या कौवा --------------- बूढ़ा कौवा अपने पोते को समझा रहा था। "देखो बेटा, ये हमारे साथ पहले…"
15 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"जी आभार। निरंतर विमर्श गुणवत्ता वृद्धि करते हैं। अपनी एक ग़ज़ल का मतला पेश करता हूँ। पूरी ग़ज़ल भी कभी…"
16 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"क़रीना पर आपके शेर से संतुष्ट हूँ. महीना वाला शेर अब बेहतर हुआ है .बहुत बहुत बधाई "
16 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"हार्दिक स्वागत आपका गोष्ठी और रचना पटल पर उपस्थिति हेतु।  अपनी प्रतिक्रिया और राय से मुझे…"
16 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-122 (विषय मुक्त)
"आप की प्रयोगधर्मिता प्रशंसनीय है आदरणीय उस्मानी जी। लघुकथा के क्षेत्र में निरन्तर आप नवीन प्रयोग कर…"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - मुक़ाबिल ज़ुल्म के लश्कर खड़े हैं
"अच्छी ग़ज़ल हुई है नीलेश जी। बधाई स्वीकार करें।"
17 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय commented on अजय गुप्ता 'अजेय's blog post ग़ज़ल (कुर्ता मगर है आज भी झीना किसान का)
"मौसम का क्या मिज़ाज रहेगा पता नहीं  इस डर में जाये साल-महीना किसान ka अपनी राय दीजिएगा और…"
17 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service