For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

'महब्बत कर किसी के संग हो जा'

मफ़ाईलुन मफ़ाईलुन फ़ऊलुन

हिमाक़त छोड़ दे फ़रहंग हो जा
महब्बत कर किसी के संग हो जा

ग़ज़ल मेरी सुना लहजे में अपने
मैं गूँगा हूँ मेरा आहंग हो जा

यहाँ घुट घुट के मरने से है बहतर
निकल मैदाँ में मह्व-ए-जंग हो जा

करे अपना के दुनिया फ़ख़्र जिस पर
वफ़ा का वो निराला ढंग हो जा

चढ़े इक बार जिस पर फिर न उतरे
महब्बत का तू ऐसा रंग हो जा

ये दुनिया सीधे साधों की नहीं है
उदासी छोड़ शौख़्-ओ-शंग हो जा

जुदा ता उम्र कोई कर न पाए
"समर"के जिस्म का वो अंग हो जा
-----/
फ़रहंग-दानाई- बुद्धिमानी(उर्दू की एक लुग़ात का नाम )
आहंग-आवाज़
मह्व-ए-जंग-युद्ध में डूबना(लेकिन ये युद्ध तलवार वाला नहीं )
फ़ख़्र-गर्व
शौख़-ओ-शंग-चंचल,चालाक
समर कबीर
मौलिक/अप्रकाशित

Views: 1236

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Samar kabeer on September 17, 2017 at 9:01pm
बहना कल्पना भट्ट जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत बहुत शुक्रिया ।
आपने जो अशआर पसन्द किये हैं वो इस ग़ज़ल के नहीं,मेरी दूसरी ग़ज़ल के हैं ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 7:47pm

अब तक भरी हुई थी जो तेरे दिमाग़ में
फैलाई है वो तूने ग़िलाज़त कहाँ कहाँ

तूने वतन को बेचा है अपने मफ़ाद में
होती है देखें तेरी मज़म्मत कहाँ कहाँ

फ़हरिस्त इसकी अब तो बताना फ़ुज़ूल है
हमने उठाई है ये हज़ीमत कहाँ कहाँ 

बहुत खूब आदरणीय समर भाई जी | उम्दा ग़ज़ल हुई है , बहुत बहुत मुबारकबाद | सादर |

Comment by Samar kabeer on July 29, 2017 at 8:18pm
जनाब ख़ुर्शीद खैराड़ी साहिब आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये आपका बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by khursheed khairadi on July 29, 2017 at 9:13am
मुहब्बत का तू ऐसा रंग हो जा। क्या बात है सर। आदरणीय समर सर उम्दा ग़ज़ल के लिए बहुत बहुत मुबारक़बाद ।सादर।
Comment by Samar kabeer on July 27, 2017 at 3:57pm
जनाब लक्ष्मण धामी जी आदाब,सुख़न नवाज़ी के लिये बहुत बहुत शुक्रिया ।
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on July 26, 2017 at 11:09pm
आ. भाई समर जी इस बोलती गजल के लिए बहुत बहुत बधाई ।
Comment by Samar kabeer on July 26, 2017 at 11:29am
जनाब नीरज कुमार जी ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिये आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Samar kabeer on July 26, 2017 at 11:28am
प्रिय भाई जनाब विजय निकोर जी आदाब,आपकी प्रतिक्रया पाकर मुग्ध हूँ,आपने हमेशा मेरी ग़ज़लों को अपने क़ीमती अल्फ़ाज़ से इज़्ज़त बख़्शी है,और अच्छे से अच्छा लिखने के लिए मेरी हौसला अफ़ज़ाई की है, इसके लिए दिल की गहराइयों से आपका शुक्रिया ।
ग़ज़ल में शिर्कत और सुख़न नवाज़ी के लिए भी आपका तहे दिल से शुक्रगुज़ार हूँ ।
Comment by Niraj Kumar on July 25, 2017 at 4:58pm

आदरणीय समर कबीर साहब, आदाब, बहुत उम्दा ग़ज़ल हुई है दाद के साथ मुबारकबाद.

सादर

 

Comment by vijay nikore on July 25, 2017 at 3:44pm

खूदसूरत ! इतनी खूबसूरत गज़ल ! हर एक शेर मानों हाथ पकड़ कर रोक लेता है, और हर शेर पर दिल कहता है, "वाह" । आपके कारण ओ बी ओ मंच अच्छी गज़लों से बहुत अमीर है, भाई समर कबीर जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-172

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna posted blog posts
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
Friday
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
Mar 6
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Mar 2
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Mar 2
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service