For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

एक ग़ज़ल देश के वीर सैनिकों के नाम

मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
दुख दर्द आह दिल की खलिश को लताड़ कर
हम चल दिये बदन पे पड़ी धूल झाड़ कर

दिल दुश्मनों के हिल गये इक पल न टिक सके
हमने नजर उठा उन्हें देखा दहाड़ कर

आवाज दी चमन ने पुकारा बहार ने
हम आ गये हसीन जहाँ छोड़ छाड़ कर

माँ भारती तरफ बढ़े नापाक जो कदम
रख देंगे तेरे दौनों जहाँ को उजाड़ कर

है रूह जिस्म जान तलक हिन्द के लिये
ओ माँ सपूत से तेरे इतना न लाड़ कर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 816

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 10, 2017 at 8:49pm
आदरणीय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें..आपने जो इंगित किया है उसके लिये कुछ सुधार की कोशिश करता हूँ..सादर
Comment by Ravi Shukla on June 7, 2017 at 2:19pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. देश भक्ति से पूर्ण मॉं भारती के बाद का शब्‍द की जरूरत महूसूस हो रही है ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:58pm
सुधार की गुंजाईश सदैव ही विधमान रहती है आदरणीय महेंद्र जी..कुछ अच्छा करने की कोशिश करूँगा..आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:55pm
तहेदिल से शुक्रिया ज़नाब आरिफ साहब..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:54pm
आदरणीय अंकित आपका आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:54pm
आदरणीय सतविंद्र कुमार जी हार्दिक आभार..सादर
Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 8:19pm

आ. बृजेश जी, देशभक्ति से परिपूर्ण बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आख़िरी शेर का सानी कुछ और बेहतर हो सकता है. देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 5, 2017 at 4:45pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र मारक क्षमता वाला । दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by Ankit on June 5, 2017 at 11:05am
सुंदर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 5, 2017 at 7:18am
बहुत खूब बहुत् खूब

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Vikram Motegi is now a member of Open Books Online
5 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . . .पुष्प - अलि

दोहा पंचक. . . . पुष्प -अलिगंध चुराने आ गए, कलियों के चितचोर । कली -कली से प्रेम की, अलिकुल बाँधे…See More
5 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दयाराम जी, सादर आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई संजय जी हार्दिक आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. रिचा जी, हार्दिक धन्यवाद"
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई दिनेश जी, सादर आभार।"
22 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय रिचा यादव जी, पोस्ट पर कमेंट के लिए हार्दिक आभार।"
23 hours ago
Shyam Narain Verma commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: ग़मज़दा आँखों का पानी
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Shyam Narain Verma commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"नमस्ते जी, बहुत ही सुंदर प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
yesterday
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी, बहुत धन्यवाद"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service