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एक ग़ज़ल देश के वीर सैनिकों के नाम

मफ़ऊलु फ़ाइलातु मुफ़ाईलु फ़ाइलुन
221 2121 1221 212
दुख दर्द आह दिल की खलिश को लताड़ कर
हम चल दिये बदन पे पड़ी धूल झाड़ कर

दिल दुश्मनों के हिल गये इक पल न टिक सके
हमने नजर उठा उन्हें देखा दहाड़ कर

आवाज दी चमन ने पुकारा बहार ने
हम आ गये हसीन जहाँ छोड़ छाड़ कर

माँ भारती तरफ बढ़े नापाक जो कदम
रख देंगे तेरे दौनों जहाँ को उजाड़ कर

है रूह जिस्म जान तलक हिन्द के लिये
ओ माँ सपूत से तेरे इतना न लाड़ कर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

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Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 10, 2017 at 8:49pm
आदरणीय शुक्ला जी सादर अभिवादन स्वीकार करें..आपने जो इंगित किया है उसके लिये कुछ सुधार की कोशिश करता हूँ..सादर
Comment by Ravi Shukla on June 7, 2017 at 2:19pm

आदरणीय बृजेश कुमार जी बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. देश भक्ति से पूर्ण मॉं भारती के बाद का शब्‍द की जरूरत महूसूस हो रही है ।

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:58pm
सुधार की गुंजाईश सदैव ही विधमान रहती है आदरणीय महेंद्र जी..कुछ अच्छा करने की कोशिश करूँगा..आपका हार्दिक अभिनन्दन एवं आभार सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:55pm
तहेदिल से शुक्रिया ज़नाब आरिफ साहब..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:54pm
आदरणीय अंकित आपका आभार
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 5, 2017 at 9:54pm
आदरणीय सतविंद्र कुमार जी हार्दिक आभार..सादर
Comment by Mahendra Kumar on June 5, 2017 at 8:19pm

आ. बृजेश जी, देशभक्ति से परिपूर्ण बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकार कीजिए. आख़िरी शेर का सानी कुछ और बेहतर हो सकता है. देख लीजिएगा. सादर.

Comment by Mohammed Arif on June 5, 2017 at 4:45pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल । हर शे'र मारक क्षमता वाला । दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए ।
Comment by Ankit on June 5, 2017 at 11:05am
सुंदर
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on June 5, 2017 at 7:18am
बहुत खूब बहुत् खूब

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