For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गैर मुरद्दफ़ ग़ज़ल..बहरे रजज़ मुरब्बा सालिम
मुस्तफ्इलुन मुस्तफ्इलुन
2212 2212
मगरूर है वो हमसफ़र
हैरान हूँ ये जानकर

अपनी जड़ों से टूटकर
क्यूँ आदमी है दर-ब-दर

जाना कहाँ थे आ गये
ये पूँछती है रहगुजर

सब आहटें खामोश हैं
चुपचाप सी है हर डगर

आसान है अब तोड़ना
बिखरे हुये हैं सब बशर

बेआबरू ऐ इश्क़ के
हम भी बड़े थे मोतबर
(मौलिक एवं अप्रकाशित)
बृजेश कुमार 'ब्रज'

Views: 734

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 17, 2017 at 11:44pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय रामबली जी..जी हाँ एब ए तनाफुर तो है..लेकिन मुझे लगता है शे'र ठीक ही है..
Comment by रामबली गुप्ता on June 15, 2017 at 8:36pm
छोटी वह्र पर अच्छे अशआर कहे हैं आपने भाई ब्रजेश कुमार जी। हार्दिक बधाई स्वीकार करें।

'बिखरे हुये हैं सब बशर'

इस मिसरे में ऐब-ए-तानफुर हो गया है। देख लीजियेगा।सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 14, 2017 at 11:11pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय गुरप्रीत जी..मुझे लगता है 'थे' शब्द ने दौनों वाक्यों के मध्य सेतु का कार्य किया है..जिससे मिसरा पूर्णता को प्राप्त हुआ..वैसे कोशिश करता हूँ कुछ बदलाव कर सकूँ..सादर
Comment by Gurpreet Singh jammu on June 13, 2017 at 9:56am

आदरणीय ब्रजेश जी छोटी बह्र में बहुत ही अच्छी और पूर्ण ग़ज़ल कह दी है आपने,, बहुत बहुत बधाई आपको
जाना कहाँ थे आ गये
इस मिसरे में शायद कुछ अधूरापन ला रहा है

Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 12, 2017 at 7:58pm
रचना पटल पे आपका हार्दिक स्वागत है शर्मा जी..सादर
Comment by बृजेश कुमार 'ब्रज' on June 12, 2017 at 7:57pm
बहुत बहुत आभार आदरणीय आरिफ जी..सादर
Comment by बसंत कुमार शर्मा on June 12, 2017 at 5:44pm

लाजबाब गजल हुई है आदरणीय बृजेश कुमार जी , बहुत बहुत बधाई आपको 

Comment by Mohammed Arif on June 11, 2017 at 9:46pm
आदरणीय बृजेश कुमार जी आदाब, बहुत बेहतरीन ग़ज़ल । शे'र दर शे'र दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल कीजिए । बाक़ी गुणीजन अपनी राय देंगे ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
18 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Tuesday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
Mar 31
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Mar 31
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Mar 31
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Mar 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Mar 30
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Mar 29

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service