For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरही गजल : फूल जंगल में खिले किन के लिये

2122 2122 212

कार्ड काफी था न लॉगिन के लिए
वो हमे भी ले गए पिन के लिए

चाँद पर जाकर शहद वो खा रहे
आप अब भी रो रहे जिन के लिए

शेर को आता है बस करना शिकार
फूल जंगल में खिले किन के लिए

गुठलियों के दाम भी वो ले गया
उसने शीरीं आम जब गिन के लिये

आ गई अब ब्रेड में बीमारियाँ
जी रहे थे क्या इसी दिन के लिए

आये थे जापान से कल लौट कर
फिर उड़े वो रूस बर्लिन के लिए

पास पप्पू एक दिन हो जाएगा
है दुआ इस गैर मुमकिन के लिए

मौलिक एवं अप्रकाशित

Views: 1276

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on May 9, 2017 at 4:30pm

आ. रवि भैया बेहतरीन ग़ज़ल हुई है, इस्लाह के बाद रंग निखर गया है

Comment by Sushil Sarna on May 9, 2017 at 4:19pm

कार्ड काफी था न लॉगिन के लिए
वो हमे भी ले गए पिन के लिए

चाँद पर जाकर शहद वो खा रहे
आप अब भी रो रहे जिन के लिए

वाह आदरणीय वाह ... आधुनिकता के परिवेश में अद्भुत अशआर की इस दिलकश ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई। हर शेर कल्पना की पराकाष्ठा से सुसज्जित है। हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय रवि शुक्ला जी।

Comment by Ravi Shukla on May 9, 2017 at 3:15pm

आदरणीय समर साहब और गिरिराज भाई जी पटल पर भी सुधार कर दिया है विलंब के लिये क्षमा चाहते है आदरणीय नीलेश जी, नीरज जी और बसंत जी गजल आपको पंसद आई बहुत बहुत धन्‍यवाद आपको हौसला आफजाई के लिये । सादर

Comment by बसंत कुमार शर्मा on May 7, 2017 at 6:53pm

वाह क्या कहने 

Comment by Neeraj Neer on May 6, 2017 at 7:59am

चाँद पर जाकर शहद वो खा रहीं
आप अब भी रो रहे जिन के लिए ....... अहा बस मजा आ गया .... 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on April 23, 2017 at 9:53am

आदरनीय रवि भाई , बहुत अच्छी गज़ल कही है , हार्दिक बधाइयाँ स्वीकार करें । आ. समर भाई जी की बात सही है ... इस पटल मे भी सुधार आवश्यक है ...  एक दोषपूर्ण मिसरा हमारे पटल मे क्यूँ रहे .... अतः मुझे भी पटल मे सुधार आवाश्यक लगता है ।

Comment by Nilesh Shevgaonkar on April 20, 2017 at 4:28pm

वाह वा..आ रवि जी ....
समर सर की इस्लाह के बाद ग़ज़ल और भी   रँग में आ गयी है 
बधाई 

Comment by Samar kabeer on April 20, 2017 at 2:57pm
पटल पर भी सुधार कीजिये न ?
Comment by Ravi Shukla on April 20, 2017 at 1:04pm

आदरणीय समर साहब आदब गजल पर आपकी आमद का बहुत बहुत शुक्रिया साथ ही इस कीमती इस्‍लाह के लिये दिल से शुक्रिया  इससे यकीनन अशआर में और भी रौनक आगई मआनी और भी साफ हो गये । मूल प्रति में सुधार कर लिया है । इसी तरह स्‍नेह बनाए रखियेगा । सादर

Comment by Ravi Shukla on April 20, 2017 at 1:02pm

आदरणीय सुरेन्‍द्र जी गजल आपको पसंद आई उसके लिये आपका बहुत बहुत आभार

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा अष्टक (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post छः दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
17 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रस्तुति को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।हार्दिक आभार "
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"किसी भोजपुरी रचना पर आपकी उपस्थिति और उत्साहवर्द्धन किया जाना मुझे अभिभूत कर रहा है। हार्दिक बधाई,…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहे (प्रकृति)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। उत्तम दोहे रचे हैं हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुन्दर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Shyam Narain Verma replied to Saurabh Pandey's discussion गजल : निभत बा दरद से // सौरभ in the group भोजपुरी साहित्य
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर भोजपुरी ग़ज़ल की प्रस्तुति, हार्दिक बधाई l सादर"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

गजल : निभत बा दरद से // सौरभ

जवन घाव पाकी उहे दी दवाईनिभत बा दरद से निभे दीं मिताई  बजर लीं भले खून माथा चढ़ावत कइलका कहाई अलाई…See More
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"आदरणीय श्याम नारायण वर्मा जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
Sunday
Shyam Narain Verma commented on Sushil Sarna's blog post शर्मिन्दगी - लघु कथा
"नमस्ते जी, बहुत ही सुन्दर और ज्ञान वर्धक लघुकथा, हार्दिक बधाई l सादर"
Saturday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted blog posts
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service