For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तुम्ही बता दो कैसे आऊँ - (गीत) - मिथिलेश वामनकर

तुम्ही कहो, कैसे आऊँ,

सब छोड़ तुम्हारे पास प्रिये?

 

एक कृषक कल तक थे लेकिन अब शहरी मजदूर बने।

सृजक जगत के कहलाते थे, वो कैसे मजबूर बने?

वे बतलाते जीवन गाथा, पीड़ा से घिर जाता हूँ।

कितने दुख संत्रास सहे हैं, ये लिख दूँ, फिर आता हूँ।

कर्तव्यों के नव बंधन को तोड़ तुम्हारे पास प्रिये,

तुम्ही कहो, कैसे आऊँ,

सब छोड़ तुम्हारे पास प्रिये?

 

कौन दिशा में कितने पग अब कैसे-कैसे है चलना?

अर्थजगत के नए मंच पर, कैसे या कितना ढलना?

तथ्य अधूरे समझ सका पर पूर्ण उन्हें समझाना है।

छोड़ अधूरे काम प्रिये अब आना भी क्या आना है?

आज बताये उन रस्तों को मोड़ तुम्हारे पास प्रिये,

तुम्ही कहो, कैसे आऊँ,

सब छोड़ तुम्हारे पास प्रिये?

 

खेतों की हरियाली का नूतन कर्तव्य निभाना है।

अन्न दान करते हैं जो अब उनका कर्ज चुकाना है।

अम्बरीश मैं, निकट खड़ा हर एक लगे दुर्वासा है।

तन पूरित है मेरा लेकिन मन प्यासा का प्यासा है।

तन के ताने-बाने की बस होड़ तुम्हारे पास प्रिये,

तुम्ही कहो, कैसे आऊँ,

सब छोड़ तुम्हारे पास प्रिये?

 

व्यस्त जगत है अपने में ही, किसको है अवकाश यहाँ?

भूखे प्यासे बेघर निर्धन, अब तक सिर्फ हताश यहाँ।

प्यार मुहब्बत और दिलासा ना पाई है आस कभी ।

खुशियाँ, सुख के क्षण क्या होते? इनसे हैं अनजान सभी।

इक रिश्ते का कम से कम गठजोड़ तुम्हारे पास प्रिये,

तुम्ही कहो, कैसे आऊँ,

सब छोड़ तुम्हारे पास प्रिये?

 

------------------------------------------------------------

(मौलिक व अप्रकाशित)  © मिथिलेश वामनकर 
------------------------------------------------------------

 

Views: 1158

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:55am

आदरणीय नरेन्द्र सिंह जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार आपका. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:55am

आदरणीय पंकज जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:54am

आदरणीय कालीपद प्रसाद जी, गीत की सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:54am

आदरणीया राजेश दीदी, गीत आपको पसंद आया, जानकार ख़ुशी हुई. सराहना एवं मार्गदर्शन हेतु हार्दिक आभार. आपने बहुत बढ़िया मुखड़ा सुझाया है लेकिन तुकांतता 'ओड़' निर्धारित  है अतः 'आस' तुकांत वाला मुखड़ा रखना उचित नहीं होगा. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:52am

आदरणीय मोहम्मद आरिफ़ जी, सराहना हेतु हार्दिक आभार. सादर 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on February 1, 2017 at 12:52am

आदरणीय गिरिराज सर, गीत पसंद करने एवं मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार. आपने बहुत बढ़िया मुखड़ा सुझाया है लेकिन तुकांतता 'ओड़' निर्धारित  है अतः 'आस' तुकांत वाला मुखड़ा रखना उचित नहीं होगा. सादर 

Comment by narendrasinh chauhan on January 31, 2017 at 2:02pm

बहुत सुन्दर

Comment by Samar kabeer on January 30, 2017 at 4:07pm
जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब,एक बात तो ये कि मेरे बेटे को ओबीओ पर चेटिंग नहीं आती,इसके लिये क्षमा चाहता हूँ ।
आपके गीत को कई बार सुन चुका हूँ,मुखड़ा तो आप ठीक कर ही चुके हैं,'अम्बरीश'वाली पंक्ति भी सही हो गई है,अनुस्वार के बारे में पहले ही कह चुका हूँ कि पहले बन्द में 'बनें' के स्थान पर "बने"होना चाहिये,इसके अलावा मुझे और कोई त्रुटि नज़र नहीं आ रही है,हो सकता है ये मेरी कम नज़री हो,मुझे तो बाक़ी की सभी पंक्तियां अच्छी और ठीक लग रही है,जिसके लिये आपको पुनः बधाई देता हूँ ।
Comment by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on January 29, 2017 at 4:40pm
आदरणीय मिथिलेश सर सुन्दर गीत के लिए बधाइयाँ
Comment by Kalipad Prasad Mandal on January 29, 2017 at 4:32pm

आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी ,सभी वंद बहुत सुन्दर हुए है | मुखड़े बारे में तो चर्चा विद्वानों के किया ही  है |हार्दिक बधाई |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"//दोज़ख़ पुल्लिंग शब्द है//... जी नहीं, 'दोज़ख़' (मुअन्नस) स्त्रीलिंग है।  //जिन्न…"
11 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी, बहतर है।"
27 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, तरही मिसरे पर ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार…"
32 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया। आशा है कि…"
37 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश कुमार विश्वकर्मा जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से…"
41 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार अच्छी ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये अमित जी की  टिप्पणी क़ाबिले ग़ौर…"
57 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी नमस्कार बेहतरीन ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये हेर शेर क़ाबिले तारीफ़ हुआ है, फिर भी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल कही आपने बधाई स्वीकार कीजिये गिरह ख़ूब, अमित जी की टिप्पणी…"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण जी बहुत शुक्रिया आपका सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"जी आदरणीय यही कि जिस मुक़द्दमे का इतना चर्चा था उसमें हारने वाले को सज़ा क्या हुई उसका भी चर्चा…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। सुझावों के बाद यह और बेहतर हो गयी है। हार्दिक बधाई…"
1 hour ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"वक़्त बदला 2122 बिका ईमाँ 12 22 × यहाँ 12 चाहिए  चेतन 22"
3 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service