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गीत – सवेरा तू है लाती....

आहिस्ता – आहिस्ता, पास तू आने लगी,
बाहों मे आकर, दिल मे समाने लगी,
छूकर मुझको, सपना दिखाने लगी,
नींदों मे आकर, तू अब सताने लगी.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....(2)


1} देदूं मैं इम्तिहान, प्यार मे तेरे,
कोई तो राज़ है, इनकार मे तेरे,
है इक नशा सा, आँखों के जाम मे तेरे,
आँसुओं की स्याही से ना लिखना, तू पैगाम मे तेरे.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....(2)


2} तेरी इक झलक से, कायल हुए हम तेरे,
हसी ने तेरी तीर सी, घायल किया दिल को मेरे,
पानी सा बहता था, प्यार मे मैं तेरे,
डूबकर भी ज़िंदा हू इकरार से मैं तेरे.
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....
सवेरा तू है लाती, तू ही लाती रात है,
मेरे दिल को जो धड़कादे , तुझमे वही बात है....

"मौलिक व अप्रकाशित"

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Comment by Mahendra Kumar on December 29, 2016 at 7:44pm
आदरणीय विजिश जी, बढ़िया गीत लिखा है आपने। हार्दिक बधाई। सादर।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on December 29, 2016 at 7:59am
सुन्दर प्रस्तुति हार्दिक बधाई आदरणीय
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 28, 2016 at 8:17pm

अच्छी प्रस्तुति , वाह .

Comment by नाथ सोनांचली on December 28, 2016 at 6:59pm
आदरणीय एम् विजिश कुमार जी बेहतरीन गीत पढने को मिली,बधाई आपको।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 28, 2016 at 6:38pm

आदरणीय विजिश जी, गीत का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई. सादर 

Comment by Samar kabeer on December 28, 2016 at 5:15pm
जनाब एम विजिश कुमार जी आदाब,अच्छा लगा आपका गीत,इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on December 28, 2016 at 3:29pm
सुन्दर प्रस्तुति ।
Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 28, 2016 at 1:21pm

इस सुंदर प्रयास पर हार्दिक बधाई सादर 

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