For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

किस ओर जाएँ हम कि हमें रास्ता मिले

221 2121 1221 212

किस ओर जाएँ हम कि हमें रास्ता मिले

फ़िरक़ापरस्ती का न कहीं फन उठा मिले

 

दिल इस जहान का अभी इतना बड़ा नहीं

हर हक़बयानी पर मेरा ही सर झुका मिले

 

नाज़ुक है मसअला ये अक़ीदत का दोस्तो

आईना जो दिखाऊँ तो बस बद्दुआ मिले

 

ख़्वाहिश कहाँ रही मुझे महलों की ऐ ख़ुदा

बस ज़ेरे-आसमाँ तेरा ही आसरा मिले

 

ढहने लगी हैं आज अदब की इमारतें

इतिहास मलबे में यहाँ कुचला हुआ मिले

 

धरती थमी-थमी है फलक भी झुका-झुका

मैं मुंतज़िर हूँ अब कि कज़ा मुझसे आ मिले

 

इंसान खो गया कहीं आभासी दुनिया में

अब तर्जनी से अपनी, सुकूँ ढूँढता मिले

 

Meaning:

फ़िरक़ापरस्ती - सम्प्रदायवाद, हक़बयानी – सच कहना, अक़ीदत - श्रद्धा,

ज़ेरे-आसमाँ - आसमाँ के नीचे, अदब – साहित्य, मुंतज़िर – इंतज़ार में, कज़ा – मौत

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 916

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 23, 2016 at 3:39pm

आ. सुशील सरना सर आपका हार्दिक आभार


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 23, 2016 at 3:39pm

आ. सुरेन्द्र नाथ सिंह जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on November 23, 2016 at 3:38pm

बहुत बहुत शुक्रिया आ. तेजवीर सिंह सर 

Comment by Samar kabeer on November 23, 2016 at 3:32pm
जनाब शिज्जु शकूर साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल हुई है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
दूसरे शैर के सानी मिसरे में'हैरत न होगी'को "हैरत न करना"उचित होगा ?
मेरी बात को अन्यथा न लें,इस ग़ज़ल की ये कमज़ोरी है कि इसके पांच अशआर में 'न'की तकरार है,सिर्फ़ दो शैर इससे बचे हुए हैं,हालांकि ये कोई दोष नहीं,फिर भी इससे बचना चाहिये था ।
आख़री शैर में 'तर्जनी'का अर्थ क्या है ?
Comment by Sushil Sarna on November 23, 2016 at 2:40pm

ढहने लगी हैं आज अदब की इमारतें
ऐसा न हो कि मलबे में तू भी दबा मिले
वाह आदरणीय शिज्जु शकूर साहिब गज़ब के अहसास पिरोये हैं आपने इस ग़ज़ल में। इस बेहतरीन ग़ज़ल के सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकारें।

Comment by नाथ सोनांचली on November 23, 2016 at 2:34pm
आदरणीय शिज्जू 'शकूर' जी सादर अभिवादन। आपकी गजल बेहतरीन बन पड़ी है। मेरी दिली मुबारकबाद कबूल फरमाएं
Comment by TEJ VEER SINGH on November 23, 2016 at 12:37pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी।बेहतरीन गज़ल।

ढहने लगी हैं आज अदब की इमारतें

ऐसा न हो कि मलबे में तू भी दबा मिले|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service