For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

रेत को आब-ए-रवाँ और धूप को झरना लिखा - ग़ज़ल

2122 2122 2122 212

रेत को आब-ए-रवाँ और धूप को झरना लिखा

बेखुदी में तूने मेरे दोस्त ये क्या-क्या लिखा

 

वो तो सीधे रास्ते पर था मगर यह देखिये

नासमझ लोगो ने उसका हर क़दम उल्टा लिखा

 

एक मुद्दत से अदब में है सियासत का चलन

मैं अलग था नाम के आगे मेरे झूठा लिखा

 

जब तेरे दिल में कभी उभरा जो मंज़र शाम का

तूने काग़ज़ पर महज मय सागर-ओ-मीना लिखा

 

अब मुहब्बत पर अक़ीदत ही नहीं है लोगों को

इसलिए पाक़ीज़गी को ही तेरी धोखा लिखा

 

मेरे चेहरे पर न जाने क्या दिखा था उसको जो

उसने दिल को मेरे इक टूटा हुआ शीशा लिखा

 

बेख़बर हूँ रोज़-ओ-शब की ग़र्दिशों से क्या कहूँ

कब तलक मेरे मुकद्दर में है अँधियारा लिखा

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 899

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 15, 2016 at 6:11pm

वाह्ह्ह वाह बहुत उम्दा ग़ज़ल कही है शिज्जू जी ,अनेकानेक बधाईयाँ 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 5, 2016 at 10:30pm
शिज्जु साहिब आदाब,बेहद खूबसूरत ख़यालपोशी हुई है दिली दाद कुबूल फरमाएं।
Comment by नाथ सोनांचली on December 4, 2016 at 1:05am
आदरणीय शिज्जू शकूर साहब सादर अभिवादन, बहुत ही उम्दा गजल लिखी है आपने, हर शेर दमदार। शेर दर शेर दाद क़ुबूल फरमाएं। सादर
Comment by Mahendra Kumar on December 3, 2016 at 6:53pm
बहुत ही शानदार ग़ज़ल है आदरणीय शिज्जु सर। शेर दर शेर दाद क़ुबूल कीजिए। सादर।
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on December 3, 2016 at 11:58am

रेत को आब-ए-रवाँ और धूप को झरना लिखा

बेखुदी में तूने मेरे दोस्त ये क्या-क्या लिखा--------------बेहतरीन आ० शिज्जू  भाई


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2016 at 11:01am

आ. विजय निकोर सर आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2016 at 11:01am

आ. लक्ष्मण धामी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2016 at 11:00am

आ. गिरिराज भंडारी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2016 at 11:00am

आ. Nidhi Agrawal जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 3, 2016 at 11:00am

बहुत बहुत शुक्रिया आ. वासुदेव अग्रवाल जी

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं।हार्दिक बधाई। भाई रामबली जी का कथन उचित है।…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय रामबली जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । बात  आपकी सही है रिद्म में…"
Tuesday
रामबली गुप्ता commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"बड़े ही सुंदर दोहे हुए हैं भाई जी लेकिन चावल और भात दोनों एक ही बात है। सम्भव हो तो भात की जगह दाल…"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी"
Monday
रामबली गुप्ता commented on रामबली गुप्ता's blog post कुंडलिया छंद
"हार्दिक आभार भाई चेतन प्रकाश जी"
Monday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय, सुशील सरना जी,नमस्कार, पहली बार आपकी पोस्ट किसी ओ. बी. ओ. के किसी आयोजन में दृष्टिगोचर हुई।…"
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . . रिश्ते
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार "
Sunday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . संबंध
"आदरणीय रामबली जी सृजन के भावों को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार ।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-168
"रोला छंद . . . . हृदय न माने बात, कभी वो काम न करना ।सदा सत्य के साथ , राह  पर …"
Sunday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service