For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वादा .....

वादा .....

मेरे ग़मगुसार ने
इक वादा किया था
कि वो हर लम्हा
मेरा ज़िस्म होगा
मेरा हर ग़म
उस पे आशकार होगा
फ़ना की तारीक वादियों में भी
वो मेरे साथ होगा

क्या सच में उसने
इस जहां से
उस जहां तक
साथ निभाने का
वादा किया था

लम्हा दर लम्हा
दूरी का अज़ाब बढ़ता गया
अकेलेपन की शाखाओं पे
यादों का शबाब
बढ़ता गया


साये गुफ़्तगू करने लगे
मेरी अफ़सुर्दा निगाहें
जाने ख़ला में
क्या तलाशती थीं

मैं अकेला
चुप
बेज़ान

खामोश उफ़क में 
तलाशता रहा उसको
फ़लक में जो
चल दिया
मुझसे पहले
उस जहाँ में
जहां तक
साथ देने का
उसने वादा किया था

*ग़मगुसार =मित्र,आशकार=प्रकट ,अज़ाब=कष्ट ,
अफ़सुर्दा=उदास ,उफ़क़ =क्षतिज


सुशील सरना
मौलिक एवम अप्रकाशित

Views: 597

Facebook

You Might Be Interested In ...

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sushil Sarna on October 10, 2016 at 3:46pm

आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई। 

Comment by सुरेश कुमार 'कल्याण' on October 8, 2016 at 3:04pm
आदरणीय श्री सुशील सरना जी बहुत ही खूबसूरत और दिल की गहराईयों को छूती हुई रचना के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें । सादर ।
Comment by Sushil Sarna on October 7, 2016 at 1:23pm

आदरणीया कल्पना भट्ट जी सृजन को आपकी आत्मीय प्रशंसा ने जो मान दिया है उसके लिए आपका हार्दिक आभार।

Comment by Sushil Sarna on October 7, 2016 at 1:22pm

आदरणीय तस्दीक साहिब प्रस्तुति में निहित भावों को आपकी आत्मीय प्रशंसा ने जो मान दिया है  उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by Sushil Sarna on October 7, 2016 at 1:20pm

आदरणीय समर कबीर साहिब प्रस्तुति को हौसला देते आपके अल्फ़ाज़ों ने बन्दे को जो इज्ज़त बख़्शी है उसके लिए आपका तहे दिल से शुक्रिया। 

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on October 6, 2016 at 9:36pm

बहुत अच्छी रचना हुई है आपकी आदरणीय सुशिल जी | हार्दिक बधाई |

Comment by Tasdiq Ahmed Khan on October 6, 2016 at 8:46pm

मोहतरम जनाब सुशील सरना साहिब , दिल की गहराईयो में उतरती और गज़ब का एहसास कराती सुन्दर कविता के लिए मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं 

Comment by Samar kabeer on October 6, 2016 at 8:33pm
जनाब सुशील सरना साहिब आदाब,बहुत नाज़ुक अहसासात को बहुत ख़ूबसूरती से अल्फ़ाज़ का जामा पहना दिया है आपने,इस शानदार प्रस्तुति पर दिल से बधाई स्वीकार करें ।
Comment by Sushil Sarna on October 6, 2016 at 6:42pm

आदरणीय शिज्जु शकूर जी प्रस्तुति आपकी आत्मीय सराहना से उपकृत हुई।  फ़ना की तारीक वादियों में'' का मेरा अभिप्राय मौत की अंधेरी वादियों में '' से या मिट जाने के बाद की अंधेरी वादियों से था। कोई त्रुटि हो अवश्य सुझाव दें। आपका हार्दिक आभार। 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on October 6, 2016 at 5:46pm

आ. सुशील सरना सर अच्छी रचना हुई है बहुत बहुत बधाई,

एक बात 

//फ़ना की तारीक वादियों में भी

वो मेरे साथ होगा// आपके इस बयान का मतलब नहीं समझा

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam posted a blog post

तरही ग़ज़ल: इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्या

२१२२ २१२२ २१२२ २१२इस 'अदालत में ये क़ातिल सच ही फ़रमावेंगे क्यावैसे भी इस गुफ़्तगू से ज़ख़्म भर…See More
51 minutes ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"परम् आदरणीय सौरभ पांडे जी सदर प्रणाम! आपका मार्गदर्शन मेरे लिए संजीवनी समान है। हार्दिक आभार।"
11 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . . . विविध

दोहा सप्तक. . . . विविधमुश्किल है पहचानना, जीवन के सोपान ।मंजिल हर सोपान की, केवल है  अवसान…See More
16 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"ऐसी कविताओं के लिए लघु कविता की संज्ञा पहली बार सुन रहा हूँ। अलबत्ता विभिन्न नामों से ऐसी कविताएँ…"
17 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

छन्न पकैया (सार छंद)

छन्न पकैया (सार छंद)-----------------------------छन्न पकैया - छन्न पकैया, तीन रंग का झंडा।लहराता अब…See More
18 hours ago
Aazi Tamaam commented on Aazi Tamaam's blog post ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के
"आदरणीय सुधार कर दिया गया है "
22 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। बहुत भावपूर्ण कविता हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Aazi Tamaam posted a blog post

ग़ज़ल: चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल के

२२ २२ २२ २२ २२ २चार पहर कट जाएँ अगर जो मुश्किल केहो जाएँ आसान रास्ते मंज़िल केहर पल अपना जिगर जलाना…See More
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

गहरी दरारें (लघु कविता)

गहरी दरारें (लघु कविता)********************जैसे किसी तालाब कासारा जल सूखकरतलहटी में फट गई हों गहरी…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

212/212/212/212 **** केश जब तब घटा के खुले रात भर ठोस पत्थर  हुए   बुलबुले  रात भर।। * देख…See More
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन भाईजी,  प्रस्तुति के लिए हार्दि बधाई । लेकिन मात्रा और शिल्पगत त्रुटियाँ प्रवाह…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 170 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी, समय देने के बाद भी एक त्रुटि हो ही गई।  सच तो ये है कि मेरी नजर इस पर पड़ी…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service