For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - क्या आपके दिल में है ?बता क्यों नहीं देते?

ग़ज़ल
क्या आपके दिल में है,बता क्यों नहीं देते ?
नजरों से मेरी पर्दा उठा क्यों नहीं देते ?

ये किसलिये अहसान के नीचे है दबाया?
मुझको मेरी कमियों की सज़ा क्यों नहीं देते ?

कुछ गलतियाँ करवाती हैं मज़बूरियाँ सबसे
तुम तो बड़े हो गलती भुला क्यों नहीं देते?

हालाँकि सराबोर महब्बत से हूँ लेकिन
मौसम ये बहारों के मज़ा क्यों नहीं देते?

ये कौन ज़ुदा शख्स मेरे पीछे पड़ा है
सब पूछते हैं मुझसे,बता क्यों नहीं देते ?

जो शख्स यहाँ आहे महब्बत की वजह है
उस शख्स को दुनिया से मिला क्यों नहीं देते ?

ये दर्द महब्बत का महब्बत के लिए है
इस दर्द को और -और बढ़ा क्यों नहीं देते ?

क्यों सामने अनजान के रोया है "सुजान"आज
सीने में हुआ जख़्म दिखा क्यों नहीं देते ?

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 742

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 23, 2016 at 12:14pm
हालाँकि शराबोर महब्बत से हूँ लेकिन
मौसम ये बहारों के मज़ा क्यों नहीं देते?

शराबोर को सही किया गया है
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 23, 2016 at 12:12pm
अशोक कुमार राक्तले,जी शुक्रिया शुक्रिया शुक्रिया ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 23, 2016 at 12:11pm
रवि शुक्ला,जी आपने सही कहा । बहर,अर्कान यही है ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 23, 2016 at 12:10pm
शिज्जू शकूर जी,आभार व्यक्त करता हूँ आप सही फरमा रहे हैं ।ध्यान रखूँगा
Comment by Ashok Kumar Raktale on September 22, 2016 at 10:08pm

आदरणीय सूबे सिंह सूजान साहब वाह ! खूब उम्दा गजल कही है. बहुत मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं. सादर.

Comment by Ravi Shukla on September 21, 2016 at 3:45pm
आदरणीय सूबे सिंह जी बढ़िया ग़ज़ल कही आपने दाद हाज़िर है आदरणीय समर साहब के सुझाव से यकीनन अशआर में निखार आएगा । बह्र हमारे खयाल से 221 1221 1221 122 है । लिख दिया करें तो समझने में आसानी रहती है ।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on September 21, 2016 at 2:38pm

आदरणीय सूबे सिंह सुजान जी अच्छी ग़ज़ल हुई है बधाई आपको, शेष आपकी समर कबीर साहब से चर्चा हो ही गई है

Comment by सूबे सिंह सुजान on September 20, 2016 at 10:13pm
सुरेश कुमार कल्याण जी,आपकी प्रतिक्रिया पर हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on September 20, 2016 at 10:12pm
Samar kabeer,जी आपने शराबोर के बारे ठीक बताया, मिसरों को ठीक किया है शुक्रिया शुक्रिया ।
आपने ग़ज़ल को ध्यान देकर ठीक किया है ।
हाँ बहर अर्कान नहीं लिख पाया । मुआफी चाहता हूँ । भविष्य में ध्यान रखूँगा ।
Comment by Samar kabeer on September 20, 2016 at 6:30pm
जनाब सूबे सिंह सुजान साहिब आदाब,उम्दा ग़ज़ल कही आपने दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल फरमाएं ।
चौथे शैर में सही शब्द है "शराबोर"
सातवें शैर में 'और'शब्द दो बार आ गया है,सानी मिसरा मुनासिब समझें तो यूँ कर लें:-
"इस दर्द को तुम और बढ़ा क्यों नहीं देते"
मक़्ते में शुतरगुरबा का दोष आ गया है,ऊला मिसरा मुनासिब समझें तो यूँ कर लें:-
"क्यों सामने अंजान के रोते हैं'सुजान'आप"
आपने ग़ज़ल पर अरकान नहीं लिखे जो नियम है मंच का ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
40 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
53 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
4 hours ago
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
17 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
19 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
Monday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service