For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

तरह ग़ज़ल -याद रख अगर कच्चा रास्ता नहीं होता

तरह ग़ज़ल
याद रख,अगर कच्चा रास्ता नहीं होता
आज तू सड़क पर यूँ दौड़ता नहीं होता ।
आदमी करेगा बेशर्म हरक़तें अक्सर,
ना समझ नहीं है,के जानता नहीं होता!!
तेज गति समय पहले मौत को बुलाती है
आप धीरे चलते तो हादसा नहीं होता
प्यार के मरासिम ऐसे निभाये जाते हैं
फूल को देखना तो है तोड़ना नहीं होता
क्यों ख़फा है दुनिया से,फैसला बदल अपना
इस जहाँ में हर कोई बेवफ़ा नहीं होता वो तो खूबसूरत है,हर नज़र उसी पर है
ग़म न कीजिए,वो गर आपका नहीं होता।
वो हजारों मीलों से प्यार देख लेते हैं
इश्क करने वालों में फासला नहीं होता
झूठ के सहारे हम तो "सुजान "जीते हैं
जिंदगी की सच्चाई का पता नहीं होता ।

मौलिक व अप्रकाशित।
सूबे सिंह "सुजान"

Views: 719

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by सूबे सिंह सुजान on July 15, 2016 at 2:07pm
जयनित जयनितकुमार जी,बिल्कुल सही फरमाया ।
दरअसल ़यह लिखने में गलत हो गया है ।
"फूल देखना तो है तोड़ना नहीं होता ।"
ऐसे होना चाहिए ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on July 14, 2016 at 9:31pm
आदरणीय सूबे सुजान जी, ग़ज़ल अच्छी हुई है,बधाई आपको।

चौथे शेर का सानी मिसरा बहर में बैठ नहीं रहा है-

"फूल को देखना तो है तोड़ना नहीं होता"
Comment by सूबे सिंह सुजान on July 14, 2016 at 12:32pm
गिरिराज भंडारी, जी आपकी बात ठीक है । भविष्य में ख्याल रखूँगा रखूँगा।
Comment by सूबे सिंह सुजान on July 14, 2016 at 12:26pm
Samar kabeer, जी आपकी बात ठीक है आभार ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on July 14, 2016 at 12:25pm
सतविन्दर् जी शुक्रिया शुक्रिया ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on July 14, 2016 at 12:25pm
शिज्जू शिज्जू जी आपका आभार है ।
Comment by सूबे सिंह सुजान on July 14, 2016 at 12:23pm
Shyam narain verma,जी आभार

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on July 14, 2016 at 11:43am

आदरणीय सूबे सिंह सुजान भी , अच्छी ग़ज़ल हुई है , दिल से बधाइयाँ आपको । बहर का उल्लेख किया जाना चाहिये था , आपने नही किया है ।

Comment by Samar kabeer on July 13, 2016 at 6:17pm
जनाब सूबेसिंह सुजान जी आदाब,ग़ज़ल अच्छी हुई है, बधाई स्वीकार करें ।
ग़ज़ल कहते वक़्त अल्फ़ाज़ की बंदिश चुस्त होना चाहिये, इसका ख़ास ध्यान रखिये ।
Comment by सतविन्द्र कुमार राणा on July 13, 2016 at 5:21pm
वाह्ह्ह् बेहतरीन ग़ज़ल।हार्डकी बधाई आदरणीय

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना
"वाह बहुत खूबसूरत सृजन है सर जी हार्दिक बधाई"
yesterday
Samar kabeer commented on Samar kabeer's blog post "ओबीओ की 14वीं सालगिरह का तुहफ़ा"
"जनाब चेतन प्रकाश जी आदाब, आमीन ! आपकी सुख़न नवाज़ी के लिए बहुत शुक्रिय: अदा करता हूँ,सलामत रहें ।"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 166 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 155

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ पचपनवाँ आयोजन है.…See More
Tuesday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"तकनीकी कारणों से साइट खुलने में व्यवधान को देखते हुए आयोजन अवधि आज दिनांक 15.04.24 को रात्रि 12 बजे…"
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया प्रस्तुति। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई। सादर।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"आदरणीय समर कबीर जी हार्दिक धन्यवाद आपका। बहुत बहुत आभार।"
Sunday
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जय- पराजय ः गीतिका छंद जय पराजय कुछ नहीं बस, आँकड़ो का मेल है । आड़ ..लेकर ..दूसरों.. की़, जीतने…"
Sunday
Samar kabeer replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"जनाब मिथिलेश वामनकर जी आदाब, उम्द: रचना हुई है, बधाई स्वीकार करें ।"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a blog post

ग़ज़ल: उम्र भर हम सीखते चौकोर करना

याद कर इतना न दिल कमजोर करनाआऊंगा तब खूब जी भर बोर करना।मुख्तसर सी बात है लेकिन जरूरीकह दूं मैं, बस…See More
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"मन की तख्ती पर सदा, खींचो सत्य सुरेख। जय की होगी शृंखला  एक पराजय देख। - आयेंगे कुछ मौन…"
Saturday
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-162
"स्वागतम"
Apr 13

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service