For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आग की रस्मो-राह पानी से- शिज्जु शकूर

2122 1212 22/112

आग की रस्मो-राह पानी से
खूब निकली ख़बर कहानी से

शहर का शहर जल गया साहिब
बोलिए किसकी मेह्रबानी से

बात कुछ और है, वगरना इश्क़!
वो भी इक मुद्दई-ए-जानी से?

ध्यान मुद्दों से क्यों भटकने लगा
ये न उम्मीद थी जवानी से

दिख रहा है असर उपेक्षा का
रंग धूसर हुआ है धानी से

तेरी बातों के हैं कई मतलब
मा’ने क्या निकले तरज़ुमानी से

मीडिया जैसे चल रही है ‘शकूर’
बस हरे और जाफ़रानी से

-मौलिक व अप्रकाशित

Views: 796

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by दिनेश कुमार on January 26, 2016 at 12:53pm
अच्छे तंज कसे हैं भाई शिज्जु जी। बेहतरीन ग़ज़ल। हार्दिक बधाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 8:02am
हार्दिक आभार आदरणीय डॉ गोपालनारायण सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 8:02am
हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 8:01am
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब शहज़ाद साहब

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 8:01am
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय रवि शुक्लाजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 8:00am
जनाब सलीम रज़ा साहब आपका बहुत बहुत शुक्रिया

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on January 24, 2016 at 7:59am
आदरणीय सतविंदर जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:30pm

मीडिया जैसे चल रही है ‘शकूर’
बस हरे और जाफ़रानी से--------------------------क्या बात है , शिज्जो भाई , आदाब आदाब ---

Comment by TEJ VEER SINGH on January 23, 2016 at 5:51pm

हार्दिक बधाई आदरणीय शिज्जु "शकूर" जी!बेहतरीन गज़ल!

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on January 23, 2016 at 12:07pm
बड़े ही ख़ूबसूरत अंदाज़ में कड़वा सच/व्यंग्य/कटाक्ष पेश किया है--
//दिख रहा है असर उपेक्षा का
रंग धूसर हुआ है धानी से

तेरी बातों के हैं कई मतलब
मा’ने क्या निकले तरज़ुमानी से

मीडिया जैसे चल रही है ‘शकूर’
बस हरे और जाफ़रानी से//...वाह...तहे दिल बहुत बहुत मुबारकबाद आपको जनाब शिज्जु शकूर साहब।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय सौरभ सर, मैं इस क़ाबिल तो नहीं... ये आपकी ज़र्रा नवाज़ी है। सादर। "
6 hours ago
Sushil Sarna commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय जी  इस दिलकश ग़ज़ल के लिए दिल से मुबारकबाद सर"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय गिरिराज जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया और सुझाव  का दिल से आभार । प्रयास रहेगा पालना…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन के भावों को मान और सुझाव देने का दिल से आभार । भविष्य के लिए  अवगत…"
7 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . लक्ष्य
"आदरणीय  अशोक रक्ताले जी सृजन को आत्मीय मान से सम्मानित करने का दिल से आभार । बहुत सुन्दर सुझाव…"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आ. शिज्जू भाई,एक लम्बे अंतराल के बाद आपकी ग़ज़ल पढ़ रहा हूँ..बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई है.मैं देखता हूँ तुझे…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . लक्ष्य

दोहा सप्तक. . . . . लक्ष्यकैसे क्यों को  छोड़  कर, करते रहो  प्रयास । लक्ष्य  भेद  का मंत्र है, मन …See More
11 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आदरणीय योगराज जी, ओबीओ के प्रधान संपादक हैं और हम सब के सम्माननीय और आदरणीय हैं। उन्होंने जो भी…"
12 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on शिज्जु "शकूर"'s blog post ग़ज़ल: मुराद ये नहीं हमको किसी से डरना है
"आदरणीय अमीरुद्दीन साहब, आपने जो सुझाव बताए हैं वे वस्तुतः गजल को लेकर आपकी समृद्ध समझ और आपके…"
13 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . . उमर
"आदरणीय सुशील भाई , दोहों के लिए आपको हार्दिक बधाई , आदरणीय सौरभ भाई जी की सलाहों कर ध्यान…"
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा से समृद्ध हुआ । "
13 hours ago
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया. . .
"आदरणीय शिज्जू शकूर जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
13 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service