For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गुमनामियों में खो गये कुछ लोग हार के- शिज्जु शकूर

फ़ैज़ साहब की ज़मीन पर एक कोशिश

221 2121 1221 212
गुमनामियों में खो गये कुछ लोग हार के
कुछ आ गये वरक़ पे फ़साना-निगार के

सपने तमाम पलकों से मैंने उतार के
लौटा दिये हयात को लम्हे उधार के

बेचैनियाँ मिली मुझे तेरी तलाश में
तुझको ही खो दिया तेरी आर्ज़ू में हार के

काँटों के चुभते ही मैं हक़ीकत में आ गया
खुश था मुग़ालतों की वो घड़ियाँ गुज़ार के

अपनी जबाँ से जिसने जलाई हैं निस्बतें
मा’ने बता रहे हैं वही इन्कि़सार के

पत्थर से जैसे रौशनी टकरा के रुक गई
धारे पकड़ लिये किसी ने आबशार के

मैं शाम तक भटकता रहा शहर भर मगर
मुझको मिले न पल मेरे ही इख़्तियार के

निस्बतें= रिश्ते, इन्किसार= नम्रता, आबशार= झरना, वरक़= पन्ना
फ़साना-निगार= कहानीकार

-मौलिक,अप्रकाशित

Views: 543

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2015 at 7:30pm
बहुत बहुत शुक्रिया आपका आदरणीय विजय निकोर सर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2015 at 7:29pm
बहुत बहुत शुक्रिया जान गोरखपुरीजी

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2015 at 7:29pm
बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय मिथिलेश भाई

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2015 at 7:28pm
बहुत बहुत शुक्रिया जनाब समर साहब आपके सुझावों को ध्यान में रखूँगा

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on December 28, 2015 at 7:28pm
आदरणीय जयनित भाई बहुत बहुत शुक्रिया
Comment by vijay nikore on December 16, 2015 at 2:12pm

गज़ल बहुत अच्छी लगी, आदरणीय शिज्जु जी। बधाई।

Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on December 15, 2015 at 3:08pm
बहुत शानदार गजल।दाद ही दाद।बहुत दिनों बाद नयापन लिए अच्छी ग़ज़ल मिली कई शेर तो बेइंतिहा खूबसूरत हुये है..आबशार और इंकिसार वाले शेर की जितनी तारीफ़ करूँ कम है..एक शेर को थोडा सा बदलने की गुस्ताखी कर रहा हूँ सर..देख लीजियेगा..

सपने तमाम पलकों से मैंने उतार के
लौटा दिये हयात को 'जेवर' उधार के

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on December 15, 2015 at 12:36am

आदरणीय शिज्जु भाई जी, शानदार ग़ज़ल हुई है. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. 

Comment by Samar kabeer on December 13, 2015 at 10:59pm
जनाब शिज्जु शकूर जी,आदाब,फ़ैज़ साहिब की ज़मीन में आपने अच्छी ग़ज़ल कही है,दाद के साथ मुबारकबाद क़ुबूल करें ,कुछ मिसरों में बयान साफ़ नहीं हैं ,इसकी तरफ़ ख़ुसूसी तवज्जो दें ,एक मिसरे की तरफ़ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहूँगा :–

"तुझको ही खो दिया तेरी आर्ज़ू में हार के"

इस मिसरे में लय बाधित हो रही है,देख लीजियेगा ।
Comment by जयनित कुमार मेहता on December 13, 2015 at 6:31pm
शानदार ग़ज़ल, आदरणीय शिज्जु शकूर जी।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय भाईजी  सभी पंक्तियों में योग की महिमा है और योग को जीवन शैली बनाने की प्रेरणा…"
6 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्रानुरूप अच्छे छंदों का सृजन हुआ है आदरणीय अखिलेश जी।         …"
11 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"अच्छे छंद हुए हैं आदरणीया प्रतिभा पांडे जी। चित्र को अच्छे से परिभाषित किया है आपने।    …"
19 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभाजी  चित्र के अनुरूप और शिल्प बद्ध है आपकी प्रस्तुति, हार्दिक बधाई स्वीकार…"
22 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीया प्रतिभा जी,  आपकी तीनों छंद रचनाएँ प्रदत्त चित्र को, इसके भाव को शाब्दिक कर रही…"
28 minutes ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"रचना प्रयास को अपना अमूल्य समय देकर सराहने और उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ…"
48 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"कुंडलिया छंद +++++++++ सारे चैनल देखिए, पढ़िए सब अखबार्। योग शक्ति को मानता, अब सारा संसार॥ अब सारा…"
2 hours ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"कुण्डलिया छंद  _____ कहता है यह प्यार से,बात पते की चित्र।  सेहत की कुंजी मिले, बने…"
2 hours ago
Chetan Prakash commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आदरणीय, 'नूर साहब, ग़ज़ल लेखन पर आपके सिद्धहस्त होने से मैंने कब इन्कार किया। परम्परागत ग़ज़ल…"
17 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अजय अजेय जी,  आपकी छंद-रचनाएँ शिल्पबद्ध और विधान सम्मत हुई हैं.  सर्वोपरि, आपके…"
18 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"योग ****    छोटी छोटी बच्चियाँ, हैं भविष्य की आस  शिक्षा लेतीं आधुनिक, करतीं…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 168 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service