For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

बिचार (छुआ-छूत विषयाधारित कथा)

मेज पर कहीं से परोसा आया रखा था..
“ये कहाँ से आया अम्मा?” भोजन सूघतें हुए मयंक ने पूछा.
“अरे वो पड़ोस से आया है सेठ जी की बरसी थी ना..”माँ ने बताया.
“मैं खा लूँ?”मयंक ने पूछा.
माँ के उत्तर देने से पहले दादी बोल उठी,
“राम राम, ‘उन लोगों’ के घर का खायेगा जिनके यहाँ आज भी जूते गांठे जाते हैं.”
“दादी उनके यहाँ लघु-उद्योग कारखाना है जूते नहीं गांठे जाते.”
मंयक ने खाना परोसते हुए कहा.
“तो क्या
? पीढ़ियों से जूते सीते-गांठते चले आ रहे हैं वही काम कर रहे हैं जो उनका है.. उद्योग बड़ा..” दादी ने बुदबुदाते हुए कहा..
मुँह में पहला निवाला रखते ही मंयक ने माँ और बहन को भी बुला लिया “आओ  तो माँ..अरे तू भी खा के देख  क्या स्वादिष्ट खाना हैं..कहते हुए बहन के मुँह मे कौर डाल दिया.
“खाना सच में बहुत स्वादिष्ट है” बोल तीनों खाने पर टूट पड़े. जी भर खाने के बाद मिठाई की बारी आई...  अब तो दादी का भी सब्र जाता रहा 
“मीठे मे क्या है ?”
“गुलाब-जामुन,गाजर का हलवा और पिन्नी है आप खायेंगी माँजी ?”
“हाँ ला एक मिठाई खिला तो मीठे का कोई बिचार नहीं होता हैं.”

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on January 23, 2016 at 7:10pm

प्रेमचंद की कहानी 'बूढ़ी काकी ' की याद आ गयी . सादर. 

Comment by Seema Singh on January 21, 2016 at 11:15pm
आप सब का ह्रदय से आभार .. आ० भंडारी जी मेरा नाम सीमा है।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 21, 2016 at 9:46pm

आदरणीया मीना जी , बढिया लगी आपकी लघुकथा । कड़वा थू थू मीठा गप गप । हार्दिक बधाइयाँ ।


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 20, 2016 at 8:49pm

आदरणीया सीमा जी बहुत बढ़िया लघुकथा है... इस प्रस्तुति पर हार्दिक बधाई आपको 

Comment by TEJ VEER SINGH on January 20, 2016 at 4:56pm

हार्दिक बधाई आदरणीय सीमा सिंह जी!बेहतरीन प्रस्तुति!

Comment by Samar kabeer on January 20, 2016 at 2:05pm
मोहतरमा सीमा सिंह जी आदाब,इस शानदार प्रस्तुति के लिये बधाई स्वीकार करें |
Comment by PHOOL SINGH on January 20, 2016 at 11:56am

बहुत बढ़िया रचना है ,बधाई स्वीकारें

Comment by pratibha pande on January 20, 2016 at 11:46am

भई वाह ,क्या सही पकड़ा है दादी को Iबहुत बढ़िया रचना है ,बधाई स्वीकारें सीमा जी 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
4 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service