For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

दो घड़ी जब ठहरना नहीं आपको

२१२  २१२  २१२  २१२ 

दो घड़ी जब ठहरना नहीं आपको 

तय ही है प्यार करना नहीं आपको 

चाँद अम्बर पे भी चाँद छत पे भी है 

कुछ भी हो है बहकना नहीं आपको 

रात दिन हुस्न क्यूँ यूं संवरता फिरे 

आँखों से कुछ समझना नहीं आपको 

बात गुल बुलबुलों तोता मैना कि क्या 

है कभी जब चहकना नहीं आपको 

सूखती जूड़े में नित नयी गुल कली 

खूब समझे बदलना नहीं आपको 

कितना भी यूं घटाओं सा उमड़ो मगर 

अब्र जैसे बरसना नहीं आपको 

आँखें दहकें भले जिस्म चाहे जले 

मोम सा पर पिघलना नहीं आपको 

छोड़ कर जा रहा हूँ जहाँ , पर पता 

ख्वाब में भी बिखरना नहीं आपको 

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 403

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 9:09pm

भाई गुमनाम जी ..मेरी रचना आपको पसंद आयी मेरा लिखना सार्थक हुआ ..बस आप सब का स्नेह यूं ही मिलता रहे ..सादर धन्यवाद और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 9:07pm

आदरणीय श्याम जी ..आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ ..सादर आभार और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 9:06pm

आदरणीय लक्ष्मण भाई जी ..रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए ह्रदय से आभारी हूँ ..सादर धन्यवाद और नव बर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ सादर 

Comment by gumnaam pithoragarhi on December 30, 2015 at 7:35pm

बहुत खूब है भाई जी वाह खूब ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

Comment by Shyam Narain Verma on December 30, 2015 at 1:09pm
बहुत सुन्दर ग़ज़ल! आपको हार्दिक बधाई!
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on December 30, 2015 at 11:37am

रात दिन हुस्न क्यूँ यूं संवरता फिरे 

आँखों से कुछ समझना नहीं आपको

बहुत खूब ....आ० आशुतोष भाई जी हार्दिक बधाई l

Comment by Dr Ashutosh Mishra on December 30, 2015 at 11:02am

आदरणीय सुनील जी रचना पर आपकी उत्साहित करती प्रतिक्रिया के लिए हृदय से आभारी हूँ सादर 

Comment by सुनील प्रसाद(शाहाबादी) on December 29, 2015 at 8:09pm
बहुत खूब आदरणीय ।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय"
8 minutes ago
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 149 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
31 minutes ago
SACHIN updated their profile
57 minutes ago
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
" आदरणीय सुशील सरन जी,आपकी सुन्दर प्रतिक्रिया प्राप्त कर प्रसन्नता हुई।  हार्दिक धन्यवाद…"
8 hours ago
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कुछ हो मत हो नेता दिख -लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"वाह आदरणीय जी बहुत सुंदर और सार्थक प्रस्तुति सर हार्दिक बधाई"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"वाह आदरणीय जी सच और झूठ की बहुत सुंदर व्याख्या की है आपने ।हार्दिक बधाई सर"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Chetan Prakash's blog post एक ताज़ा गज़ल
"वाह आदरणीय जी बहुत ही खूबसूरत सृजन हुआ है, शेर दर शेर मुबारक कबूल करें सर"
9 hours ago
Sushil Sarna commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"अन्तस भावों की सहज अभिव्यक्ति आदरणीया जी । हार्दिक बधाई"
9 hours ago
Usha Awasthi commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"आदरणीय डा0 विजय शंकर जी,रचना अच्छी लगी, जानकर खुशी हुई। हार्दिक आभार आपका,सादर। "
18 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Usha Awasthi's blog post मन नहीं है
"आदरणीय उषा अवस्थी जी , रचना अछी है। हाँ , यह भी कहा जाता है कि कभी कभी कुछ लिखना हम लोगों की विवशता…"
20 hours ago
Dr. Vijai Shanker commented on Dr. Vijai Shanker's blog post सत्य और झूठ -- डॉ० विजय शंकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आभार , सादर।"
20 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

मधुमालती छंद. . . .

मधुमालती छंद ....1डर कर कभी, रोना नहीं ।विश्वास को, खोना  नहीं ।तूफान   में, सोना  नहीं ।नफरत कभी ,…See More
yesterday

© 2023   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service