बह्र : २२११ २२११ २२११ २२
ये झूठ है अल्लाह ने इंसान बनाया
सच ये है कि आदम ने ही भगवान बनाया
करनी है परश्तिश तो करो उनकी जिन्होंने
जीना यहाँ धरती पे है आसान बनाया
जैसे वो चुनावों में हैं जनता को बनाते
पंडे ने तुम्हें वैसे ही जजमान बनाया
मज़लूम कहीं घोंट न दें रब की ही गर्दन
मुल्ला ने यही सोच के शैतान बनाया
सब आपके हाथों में है ये भ्रम नहीं टूटे
यह सोच के हुक्काम ने मतदान बनाया
हर बार वो नौकर का इलेक्शन ही लड़े पर
हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया
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(मौलिक एवं अप्रकाशित)
Comment
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अब आप भी पाएँगे तमगा देशद्रोही का
बस आप लिए तो प् किस्तान बनाया ... ;)
हर बार वो नौकर का इलेक्शन ही लड़े पर
हर बार उन्हें आप ने सुल्तान बनाया
वाह बहुत खूब आदरणीय धर्मेन्द्र जी ... खूबसूरत अशआर ग़ज़ल में चार चाँद लगा रहे हैं ... इस दिलकश प्रस्तुति के लिए हार्दिक बधाई।
आदरनीय धर्मेन्द्र भाई , फिर एक बार आपने एक बेहतरीन गज़ल पढवाई , खूबसूरत गज़ल के लिये दिली बधाइयाँ
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