For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

मैं नहीं लिखता कोई मुझसे लिखाता है !

मैं नहीं लिखता ;
कोई मुझसे लिखाता है !
कौन है जो भाव बन ;
उर में समाता है !
....................................
कौंध जाती बुद्धि- नभ में
विचार -श्रृंखला दामिनी ,
तब रची जाती है कोई
रम्य-रचना कामिनी ,
प्रेरणा बन कर कोई
ये सब कराता है !
मैं नहीं लिखता ;
कोई मुझसे लिखता है !
.........................................................
जब कलम धागा बनी ;
शब्द-मोती को पिरोती ,
कैसे भाव व्यक्त हो ?
स्वयं ही शब्द छाँट लेती ,
कौन है जो शब्दाहार
यूँ बनाता है ?
मैं नहीं लिखता
कोई मुझसे लिखाता है !
.............................................
सन्देश-प्रेषित कर रहा
वो अदृश्य कौन ?
हम अबोध क्या कहें !
जब वो स्वयं है मौन !
वो कवि से काव्य
अनुपम रचाता है !
मैं नहीं लिखता
कोई मुझसे लिखाता है !

शिखा कौशिक 'नूतन'

Views: 628

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by shikha kaushik on June 4, 2015 at 1:46pm

आदरणीय -कृष्ण मिश्रा जी  व् श्री सुनील जी उत्साहवर्धन हेतु  हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें .

Comment by shree suneel on June 4, 2015 at 8:19am
आपकी इस सुन्दर प्रस्तुति के लिए आपको बधाइयाँ आदरणीया.
Comment by Krish mishra 'jaan' gorakhpuri on June 3, 2015 at 10:28pm

लाजव़ाब! लाजव़ाब! लाजव़ाब! आपको हृदय से बधाई व् शुभकामनायें!

Comment by shikha kaushik on June 3, 2015 at 10:22pm

आदरणीय -समर जी , मोहन जी ,नरेंद्र  जी , गोपाल जी ,महर्षि जी ,आशुतोष जी व् शिज्जु जी ...रचना को सराहने हेतु हार्दिक धन्यवाद स्वीकार करें .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 3, 2015 at 6:58pm

बहुत बढिया शिखा जी बहुत बहुत बधाई

Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 3, 2015 at 1:23pm

आदरणीय शिखा जी
कौंध जाती बुद्धि- नभ में
विचार -श्रृंखला दामिनी ,
तब रची जाती है कोई
रम्य-रचना कामिनी.....वाह बहुत सुंदर ..इस रचना के लिए हार्दिक बधाई सादर

Comment by maharshi tripathi on June 2, 2015 at 10:40pm

बहुत सुन्दर आ. shikha kaushik जी ,,शब्द  चयन अच्छा है |

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on June 2, 2015 at 9:50pm

हर विदवान यही कह कर गया है -न कुछ  किया  न कर सका  न करने जोग शरीर

                                               जो कुछ किया सो हरि  किया भये कबीर कबीर

Comment by narendrasinh chauhan on June 2, 2015 at 5:04pm

वाह... बहुत सुंदर प्रस्तुति

Comment by Mohan Sethi 'इंतज़ार' on June 2, 2015 at 10:51am

वाह... बहुत सुंदर प्रस्तुति  ...सादर 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर posted a discussion
21 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  दिनेश जी,  बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
42 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर बागपतवी जी,  उम्दा ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
45 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय संजय जी,  बेहतरीन ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। मैं हूं बोतल…"
49 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय  जी, बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। गुणिजनों की इस्लाह तो…"
54 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय चेतन प्रकाश  जी, अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
58 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया रिचा जी,  अच्छी ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,  बहुत ही बढ़िया ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, बहुत शानदार ग़ज़ल हुई है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल कीजिए। सादर।"
1 hour ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीया ऋचा जी, बहुत धन्यवाद। "
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमीर जी, बहुत धन्यवाद। "
2 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-166
"आदरणीय अमित जी, आप का बहुत धन्यवाद।  "दोज़ख़" वाली टिप्पणी से सहमत हूँ। यूँ सुधार…"
2 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service